Lucknow news: नए साल की शुरूआत से ही एससीआर का निर्माण शुरु हो जाएगा. सरकार ने कहा है कि अगर सब कुछ योजनाबद्ध हा तो 2024 की शुरूआत से ही हम एससीआर को आकार देने का काम शुरू कर देंगे. उत्तर प्रदेश सरकार इसे ऐसा बनाना चाहती है कि एनसीआर से इसमें अधिक सुविधाएं हों.
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Lucknow news: उत्तर प्रदेश में रहने वालों के लिए 2024 नई खुसखबरी लेकर आ रहा आ रहा है. उत्तर प्रदेश राज्य राजधानी क्षेत्र विकास प्राधिकरण की स्थापना के लिए जारी विधेयक के प्रारूप में इसका प्रावधान किया गया है. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र योजना बोर्ड (एनसीआरपीबी) की स्थापना 1985 में संतुलित विकास को बढ़ावा देने और अनियोजित विकास से बचने के लिए की गई थी. अगर सब कुछ ठीक रहा तो इस साल की शुरूआत के साथ ही राज्य राजधानी क्षेत्र यानी (एससीआर) आकार लेने लगेगा.
उत्तर प्रदेश सरकार इसे ऐसा बनाना चाहती है कि एनसीआर से इसमें अधिक सुविधाएं हों. एससीआर में किसी भी तरह की कमी न हो, आपको बता दें कि एससीआर में अभी कुल 6 जिले शामिल है, जिसमें लखनऊ, हरदोई, सीतापुर, उन्नाव, रायबरेली और बाराबंकी को रखा जा रहा है. उत्तर प्रदेश सरकार समय के अनुसार और जरूरत को देखते हुए एससीआर के क्षेत्र को बढ़ाया जा सकता है.
सरकार ऐसा औद्योगिक गलियारा बसाना चाहती है जिसमें सभी तरह की सुविधाएं दी जाएं. एससीआर में उद्योग लाने वालो के लिए सरकार की तरफ से आवासीय सुविधाएं देने के लिए जमीन दी जाएंगी. इन सभी छह जिलों में चलने के लिए इलेक्ट्रिक बस के साथ माल लाने-ले जाने के लिए ट्रांसपोर्ट और रेल लाइन तक की सुविधा देने की योजना है. इसके साथ ही बेहतर कनेक्टिविटी की सुविधा दी जाएगी. लोगों के आने-जाने के लिए मेट्रो रेल की सुविधा भी पूरे एससीआर में देने की योजना बनाई जा रही है.
एससीआर के निर्माण के लिए किसानों से समझौते के आधार पर जमीन ली जाएंगी और उनके पुनर्वास की व्यवस्था की जाएगी. उनके पुनर्वास की व्यवस्था भी सरकार द्वारा की जाएगी. जमीन के एवज में किसानों को उचित मुआवजा दिया जाएगा, जिससे किसी तरह विवाद की स्थिति न पैदा होने पाए. विधेयक को मंजूरी के बाद इसके लिए पदों का निर्धारण किया जाएगा. एससीआर के लिए बनने वाले प्राधिकरण का मुखिया मुख्य कार्यपाल अधिकारी होगा. इस पद पर वरिष्ठ आईएएस अफसर की तैनाती की जाएगी. इसकी देखरेख में जमीन की व्यवस्था की जाएगी. किसानों से समझौते के आधार पर जमीन ली जाएंगी और उनके पुनर्वास की व्यवस्था की जाएगी. जमीन के एवज में किसानों को उचित मुआवजा दिया जाएगा, जिससे किसी तरह विवाद की स्थिति न पैदा होने पाए.
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