Madrasa Latest News in Hindi: उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों में मदरसा बोर्ड को भंग करने और इनको सरकारी फंडिंग पर रोक लगाने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला सुनाया है.
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UP Madrasa Board Latest News in Hindi: उत्तर प्रदेश समेत तमाम राज्यों में संचालित मदरसा बोर्ड को भंग करने और उनका सरकारी अनुदान रोकने की याचिका पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने मदरसा बोर्ड में पढ़ रहे बच्चों को सरकारी स्कूलों में दाखिला कराने के राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग( NCPCR) की गाइडलाइन पर भी स्टे दे दिया है. जमीयत उलेमा ए हिंद ने ये याचिका उच्चतम न्यायालय में दाखिल की थी.
दरअसल, आयोग ने मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों को औपचारिक शिक्षा देने और इसके लिए उनका दाखिला सरकारी स्कूलों में कराने का बड़ा आदेश दिया था. इस फैसले की जद में उत्तर प्रदेश के हजारों सरकारी अनुदानित मदरसे भी आ गए थे. लेकिन प्रांरभिक सुनवाई के बाद राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ( NCPCR) की सिफारिशों के अमल पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है. कोर्ट ने केंद्र और सभी राज्यों को NCPCR की सिफारिशों पर अमल करने से रोकने का आदेश दिया है. इस बारे में दायर जमीयत उलेमा ए हिंद की याचिका पर अदालत ने सभी राज्यों को नोटिस जारी कर दिया है. एनसीपीसीआर ने कुछ वक्त पहले सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर सभी मदरसों को सरकार की ओर से मिलने वाली फंडिंग को बंद करने और इसी के साथ मदरसा बोर्ड को भंग करने की सिफारिश की थी.
NCPCR ने मदरसों में पढ़ रहे गैर मुस्लिम बच्चों को मदरसे से बाहर निकलकर शिक्षा के अधिकार के तहत ज़रूरी शिक्षा के लिए दूसरे स्कूलों में दाख़िला करवाने के लिए कहा था। इसके साथ ही मदरसों में पढ़ रहे मुस्लिम बच्चों को औपचारिक स्कुलों में दाखिल करने का निर्देश दिया था.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मदरसा बोर्ड के पूर्व चेयरमैन डॉ. इफ्तिखार अहमद जावेद ने इस फैसले पर कहा कि NCPCR मदरसों के खिलाफ काम कर रहा है. मदरसों पर मौका मिलते ही आरोप लगाते हैं. सुप्रीम कोर्ट के फैसले का मुस्लिम समाज स्वागत करता है. सुप्रीम कोर्ट ने NCPCR के मंसूबो को नाकाम कर दिया है. मदरसों को संकीर्ण नजरों से देखना अच्छे संकेत नहीं है. मुस्लिम समाज के बच्चे भी संस्कृत स्कूलों में पढ़ते हैं. हिंदू समाज के बच्चे भी मदरसों में पढ़ते हैं. जावेद ने कहा, मैं काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से पढ़कर यहां तक पहुंचा हूं. अभिभावक अपनी मर्जी से अपने बच्चों को पढ़ाते हैं. शिक्षा के केंद्र में हिंदू मुसलमान करना उचित नहीं है.
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