प्रदेश में पुराने वोट बैंक को मजबूत करने के साथ ही बोनस वोट जुटाने की जुगत में भी पार्टी है. इसके लिए अल्पसंख्यक मोर्चा ने हर बूथ पर सौ मुस्लिम वोट अतिरिक्त हासिल करने की रणनीति के साथ साथ मुस्लिम प्रबुद्ध सम्मलेन कराने की योजना बनाई है.
Trending Photos
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए बीजेपी ने सूबे में मुस्लिमों को पार्टी से जोड़ने की नई रणनीति पर काम कर रही है. प्रदेश में पुराने वोट बैंक को मजबूत करने के साथ ही बोनस वोट जुटाने की जुगत में भी पार्टी है. इसके लिए अल्पसंख्यक मोर्चा ने हर बूथ पर सौ मुस्लिम वोट अतिरिक्त हासिल करने की रणनीति के साथ-साथ मुस्लिम प्रबुद्ध सम्मलेन कराने की योजना बनाई है.
'एक बूथ सौ वोट' की बनाई रणनीति
प्रदेश संगठन को 31 अगस्त तक बूथ स्तर तक तैयार करने का है. हर बूथ पर 21 सदस्यों की समिति होगी. इन्हें लक्ष्य दिया गया है कि हर बूथ पर अल्पसंख्यकों में खास तौर पर मुस्लिमों के सौ वोट भाजपा प्रत्याशी को दिलाए. एक बूथ, सौ वोट की रणनीति होगी तो सभी 403 विधानसभा सीटों के लिए, लेकिन जिन सीटों पर मुस्लिम आबादी एक लाख से अधिक है, उन पर विशेष ध्यान दिया जाएगा. मुस्लिम प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन प्रदेशभर में कराए जाने का फैसला किया जा चुका है.
मुस्लिमों की पिछड़ी जातियों पर बीजेपी की नजर
बीजेपी की नजर उत्तर प्रदेश में मुसलमानों की पिछड़ी जातियों (पसमांदा) पर है. जिन्हें सरकार में आयोग और पार्टी संगठन में तवज्जो देकर उनके बीच गहरी पैठ बनाने की कोशिश की गयी है. राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग की कमान मौजूदा समय में मुस्लिम पिछड़ी जातीय के गाड़ा बिरादरी से आने आतिफ रशीद के हाथों में है, जो पश्चिम उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर से आते हैं. इतना ही नहीं, यूपी में योगी सरकार ने भी यूपी अल्पसंख्यक आयोग का चेयरमैन अशरफ सैफी को बनाया है. जो पिछड़ी जाति के बढ़ई समाज से आते हैं.
सूबे के दो दर्जन से ज्यादा जिलों में मुस्लिम मतदाताओं की भूमिका निर्णायक
20 फीसदी मुस्लिम जनसंख्या वाले सूबे के दो दर्जन से ज्यादा ऐसे जिले हैं, जहां 20 से 65 फीसद तक मुस्लिम आबादी है. इन जिलों की 50 से अधिक विधानसभा सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका में होते है. मुसलमानों की पिछड़ी जातियों (पसमांदा) पर भाजपा अब अपना फोकस कर रही है. जिसपर विरोधी हमलावर है. तीन तलाक के खिलाफ कानून और मदरसों का आधुनिकीकरण सहित सभी योजनाओं के जरिए पार्टी ने मुस्लिमों का भरोसा भी जीतने की कोशिश शुरू की है.
संगठन में दी गई अंसारी बिरादरी को जगह
यूपी में मुसलमानों में सबसे बड़ी संख्या अंसारी बिरादरी की है. जिसे यूपी के पार्टी अल्पसंख्यक संगठन में अच्छी खासी जगह दी गई है. इसके अलावा मुसलमानों के अल्वी और अब्बासी समुदाय को भी शामिल किया गया है. सियासी तौर पर अंसारी समाज का प्रतिनिधित्व है. लेकिन अल्वी और अब्बासी समुदाय की संख्या अच्छी खासी होने के बाद भी राजनीति में वो जगह नहीं मिल पाई है. ऐसे में बीजेपी ने उन्हें संगठन में जगह देकर अपने साथ जोड़ने का बड़ा दांव चला है.
मुस्लिम वोट बैंक पर बीजेपी का फोकस
2014 के लोकसभा चुनाव में ''सबका साथ, सबका विकास'' की नीति अपनाने वाली भाजपा ने 2019 आते-आते अपनी नीति को विस्तार दिया. प्रधानमंत्री मोदी ने सबका साथ, सबका विकास के साथ सबका विश्वास को भी जोड़कर स्पष्ट कह दिया था कि अल्पसंख्यकों को छला गया. अब हम उनका भी विश्वास हासिल करेंगे. इसीलिए अब यूपी में मुस्लिम वोट बैंक पर भाजपा फोकस कर रही है.
WATCH LIVE TV