बसपा सुप्रीमो के इस फैसले से यूपी में बड़ा सियासी असर पड़ेगा, क्योंकि कुछ लोग मान रहे थे कि दलित और मुस्लिम साथ आकर भाजपा को मात दे सकते हैं.
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लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 (UP assembly elections 2022) से पहले प्रदेश में सियासी हलचल तेज हो गई है. प्रदेश की सभी पार्टियां अभी से चुनाव की तैयारियों में लग गई हैं. इसी कड़ी में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मयावती (Mayawati) ने बड़ा ऐलान किया है. बसपा उत्तर प्रदेश के साथ ही उत्तराखंड का विधानसभा चुनाव भी अकेले ही लड़ेगी.
ट्वीट कर किया खंडन
बसपा सुप्रीमो ने रविवार सुवब एक ट्वीट कर लिखा कि मीडिया के एक न्यूज चैनल में कल से यह खबर प्रसारित की जा रही है कि यूपी में आगामी विधानसभा आमचुनाव औवेसी की पार्टी AIMIM व बीएसपी मिलकर लड़ेगी. यह खबर पूर्णतः गलत, भ्रामक व तथ्यहीन है. इसमें रत्तीभर भी सच्चाई नहीं है तथा बीएसपी खण्डन करती है.
1. मीडिया के एक न्यूज चैनल में कल से यह खबर प्रसारित की जा रही है कि यूपी में आगामी विधानसभा आमचुनाव औवेसी की पार्टी AIMIM व बीएसपी मिलकर लड़ेगी। यह खबर पूर्णतः गलत, भ्रामक व तथ्यहीन है। इसमें रत्तीभर भी सच्चाई नहीं है तथा बीएसपी इसका जोरदार खण्डन करती है। 1/2
— Mayawati (@Mayawati) June 27, 2021
मायावती ने आगे लिखा- वैसे इस संबंध में पार्टी द्वारा फिरसे यह स्पष्ट किया जाता है कि पंजाब को छोड़कर, यूपी व उत्तराखण्ड प्रदेश में 2022 में विधानसभा का यह आमचुनाव बीएसपी किसी भी पार्टी के साथ कोई भी गठबंधन करके नहीं लड़ेगी.
2. वैसे इस सम्बन्ध में पार्टी द्वारा फिरसे यह स्पष्ट किया जाता है कि पंजाब को छोड़कर, यूपी व उत्तराखण्ड प्रदेश में अगले वर्ष के प्रारंभ में होने वाला विधानसभा का यह आमचुनाव बीएसपी किसी भी पार्टी के साथ कोई भी गठबन्धन करके नहीं लड़ेगी अर्थात् अकेले ही लड़ेगी। 2/2
— Mayawati (@Mayawati) June 27, 2021
मीडिया से की यह अपील
उन्होंने कहा कि बीएसपी के बारे में इस किस्म की मनगढ़न्त व भ्रमित करने वाली खबरों को खास ध्यान में रखकर ही अब बीएसपी के राष्ट्रीय महासचिव व राज्यसभा सांसद सतीश चन्द्र मिश्र को बीएसपी मीडिया सेल का राष्ट्रीय कोओर्डिनेटर बना दिया गया है. साथ ही, मीडिया से भी यह अपील है कि वे बहुजन समाज पार्टी व पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष आदि के संबंध में इस किस्म की भ्रमित करने वाली अन्य कोई भी गलत खबर लिखने, दिखाने व छापने से पहले एससी मिश्र से उस संबंध में सही जानकारी जरूर प्राप्त कर लें.
गौरतलब है कि बसपा सुप्रीमो के इस फैसले से यूपी में बड़ा सियासी असर पड़ेगा, क्योंकि कुछ लोग मान रहे थे कि दलित और मुस्लिम साथ आकर भाजपा को मात दे सकते हैं.
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