अयोध्या का मणि पर्वत, जहां भगवान राम और मां सीता झूलते थे झूला, जानिए खास पौराणिक बातें
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अयोध्या का मणि पर्वत, जहां भगवान राम और मां सीता झूलते थे झूला, जानिए खास पौराणिक बातें

मान्यता है कि श्रावण मास में हरियाली तीज से शुरू हुए झूलन उत्सव में भगवान को झूला झुलाने से जीवन मरण के झूले से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है. 

अयोध्या का मणि पर्वत, जहां भगवान राम और मां सीता झूलते थे झूला, जानिए खास पौराणिक बातें

मनमीत गुप्ता/अयोध्या: धर्म नगरी अयोध्या में श्रावण मास, तृतीया तिथि, हरियाली तीज के दिन मणि पर्वत पर भगवान श्री राम मां सीता के साथ झूला झूलते हैं. इसी के साथ अयोध्या में श्रावण पूर्णिमा तक सभी मंदिरों के अंदर झूलन उत्सव की शुरुआत हो जाती है और मंदिर में रखें चल विग्रह झूले पर विराजमान हो जाते हैं.मान्यता है कि श्रावण मास में हरियाली तीज से शुरू हुए झूलन उत्सव में भगवान को झूला झुलाने से जीवन मरण के झूले से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है. यही कारण है कि देश विदेश से लाखों की संख्या में श्रद्धालु अयोध्या पहुंचते हैं.

मणि पर्वत में भगवान को झूला झूलते हैं. श्रद्धालु मंदिरों में झूला झुलाते हैं, पूजा अर्चना दर्शन करते हैं और अपने जीवन को सफल बनाने की कामना करते हैं. हालांकि विगत 2 वर्षों से अयोध्या में झूलनोत्सव पर्व में कोविड-19 का असर पड़ा है. जिला प्रशासन को भीड़ न जमा होना पड़े के लिए झूलनोत्सव पर्व में श्रद्धालुओं के शामिल होने पर रोक लगाना पड़ा है.

आपको हम ले चलते हैं मणि पर्वत की यात्रा पर और बताते हैं कि मणि पर्वत का महत्व क्या है....

बन गया मणियों का पहाड़ 
मान्यता है कि भगवान श्री राम जब विवाह के उपरांत मां सीता को अयोध्या लेकर आए तो महाराजा जनक ने उपहार स्वरूप मणियों की श्रंखला भेंट किया था. जिसको महाराजा दशरथ ने विद्या कुंड के पास रखवा दिया. इतनी ज्यादा मणियां थी कि वहां मणियों का पहाड़ बन गया. जो आज मणि पर्वत के रूप में प्रसिद्ध है. इस ऐतिहासिक मणि पर्वत पर भगवान श्री राम मां सीता के साथ श्रावण मास में तृतीया तिथि हरियाली तीज के दिन झूला लगा कर झूला झूले थे. इस त्रेतायुगीन झूलनोत्सव परंपरा आज कलयुग में भी चली आ रही है.

देश-विदेश से अयोध्या पहुंचते हैं रामभक्त 
आज के दिन सभी मंदिरों से भगवान के विग्रह ढोल नगाड़ों के साथ मणि पर्वत लाए जाते हैं यहां पर भगवान के चल विग्रह को झूला जलाया जाता है मणि पर्वत में बने भगवान राम मां सीता के मंदिर का दर्शन कराया जाता है और फिर उस विग्रह को वापस मंदिर ले जाते हैं और उनको झूले पर विराजमान करते हैं. हरियाली तीज से ही झूलन उत्सव की शुरुआत हो जाती है जो सावन की पूर्णिमा तक चलती है. इस दौरान देश विदेश के राम भक्त श्रद्धालु अयोध्या पहुंचते हैं.मणि पर्वत में पहाड़ पर चढ़कर भगवान राम और सीता के विग्रह को झूला झूल आते हैं.

इससे मिलती है मुक्ती 
मान्यता है कि मनुष्य की 84 यूनिया होती हैं. लेकिन, भगवान राम मां सीता को श्रावण मास के हरियाली तीज तृतीया तिथि में झूला झुलाने से जीवन और मरण के झूले से मुक्ति मिलती है. मोक्ष की प्राप्ति होती है . अयोध्या में राम भक्त श्रद्धालु दूरदराज से मणि पर्वत भगवान श्री रामा सीता को झूला झुलाने के लिए पहुंचते हैं. इन श्रद्धालुओं की मान्यता है कि हरियाली तीज के दिन से शुरू झूलनोत्सव में भगवान राम और सीता को झूला झुलाने से जीवन मरण के बंधन से मुक्ति मिलती है. 

रक्षा बंधन के दिन श्रवण पूर्णिमा को होता है समाप्न 
मणि पर्वत पर बने मंदिर में रामसीता के चल विग्रह झूला पर विराजते हैं. हरियाली तीज के दिन श्रद्धालुओं को चने का प्रसाद वितरित किया जाता है. 12 दिन तक चलने वाले झूलनोत्सव की समाप्ति रक्षा बंधन के दिन श्रवण पूर्णिमा को होता है.

हालांकि कोरोना काल में इस दूसरे वर्ष भी हरियाली तीज पर शुरू होने वाली मणि पर्वत मेले पर ग्रहण लग चुका है. मणि पर्वत मेले के दौरान जहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु अयोध्या पहुंचते थे. अब कोरोना की तीसरी लहर से बचने के लिए जिला प्रशासन ने पर्व पर कड़ाई करते हुए बिना RT-PCR निगेटिव रिपोर्ट के अयोध्या आने पर रोक लगा दी है. जिस वजह से बहुत कम संख्या में श्रद्धालु अयोध्या पहुंच रहे हैं. लेकिन आस्था के अनुसार श्रद्धालु भगवान राम और सीता को झूलन उत्सव पर्व में मणि पर्वत पर झूला झूला रहे हैं. 

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