धर्मगुरु मौलाना रशीद फिरंगी ने दी मोहसिन रजा को चुप बैठने की नसीहत
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धर्मगुरु मौलाना रशीद फिरंगी ने दी मोहसिन रजा को चुप बैठने की नसीहत

धर्मगुरु मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने कहा कि हमारी संस्था देश के संविधान के मुताबिक रजिस्टर्ड है, जिसका बाकायदा आयकर रिटर्न भी दाखिल किया जाता है. देश की आजादी में हमारे लोगों का बड़ा योगदान रहा है. हमने कभी ऐसी कोई बात नहीं कही, जो देश के खिलाफ हो.

मौलाना रशीद फिरंगी ने कहा कि जिन लोगों को जानकारी न हो, उनको सवाल नहीं उठाने चाहिए.

लखनऊ: अयोध्या मामले (Ayodhya case) को लेकर लखनऊ (Lucknow) में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (All India Muslim Personal Law Board) की बैठक को लेकर उठाए सवाल के बाद धर्मगुरु मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली (Maulana Khalid Rasheed Firangi Mahali) ने योगी के मंत्री मोहसिन रजा (Mohsin Raza) को चुप बैठने की नसीहत दी है. उन्होंने कहा कि जिन लोगों को जानकारी न हो. उनको सवाल नहीं उठाने चाहिए. 

उन्होंने कहा कि हमारी संस्था देश के संविधान के मुताबिक रजिस्टर्ड है, जिसका बाकायदा आयकर रिटर्न भी दाखिल किया जाता है. देश की आजादी में हमारे लोगों का बड़ा योगदान रहा है. हमने कभी ऐसी कोई बात नहीं कही, जो देश के खिलाफ हो.

मोहसिन रजा ने बैठक पर सवाल करते हुए कहा था, 'यह बैठक ऐसे समय पर बुलाई गई है, जब सुप्रीम कोर्ट राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट फैसला देने वाला है. इस समय एक असंवैधानिक NGO जो हमेशा से देश के खिलाफ काम करता रहा है, हमेशा आतंकवाद के समर्थन में बोलता रहा है, NRC और तीन तलाक कानून के खिलाफ बोलता रहा है. उसने अचानक यह बैठक क्यों बुलाई है?'

मोहसिन रजा ने कहा था, 'राम मंदिर पर फैसले से पहले एक असंवैधानिक एनजीओ बैठक कर रहा है, ऐसे में इसके मकसद पर सवाल उठना लाजमी है. आज देश के बाहर से टेरर फंडिंग हो रही है . ऐसे में यह सवाल उठना भी लाजमी है कि इनकी फंडिंग कौन करता है? वहीं जब राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने वाला है तो इस बैठक का मकसद क्या है? इसके पीछे कौन लोग हैं?'

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आपको बता दें इस बैठक से पहले इंडियन मुस्लिम्स फॉर पीस की बैठक में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के पूर्व वीसी और लेफ्टीनेंट जनरल रिटायर्ड जमीरउद्दीन शाह ने कहा था, 'अगर सुप्रीम कोर्ट का फैसला हमारे पक्ष में आ भी जाए तो मस्जिद बनना मुमकिन नहीं है.'

इस पर मौलाना रशीद फिरंगी ने कहा, 'बैठक करने वालों को कैसे पता कि उस वक्त हालात ठीक नहीं होंगे. अगर बात सिर्फ हालात की है तो उसकी जिम्मेदारी सुप्रीम कोर्ट की है. ये मामला आप उस पर ही छोड़ दीजिए.'

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