एक ऐसा गांव, जहां दीपावली पर खुशियां नहीं शोक मनाते हैं लोग
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एक ऐसा गांव, जहां दीपावली पर खुशियां नहीं शोक मनाते हैं लोग

वे इस दिन को खुशी नहीं शोक का प्रतीक मानते हैं. गांव में शोक की ये परंपरा 11वीं शताब्दी से ही चली आ रही है. 

एक ऐसा गांव, जहां दीपावली पर खुशियां नहीं शोक मनाते हैं लोग

मीरजापुर: एक तरफ उत्तर प्रदेश में रामनगरी अयोध्या का दीपोत्सव पूरी दुनिया में देखा गया, वहीं इसी प्रदेश के मीरजापुर जिले का एक गांव ऐसा भी है जहां दीपावली पर दीये नहीं जलते. पूरे देश के लिए ये पर्व उल्लास और खुशियों से भरा होता है. लेकिन मीरजापुर के राजगढ़ ब्लॉक का अटारी गांव न तो इस दिन कोई खुशी मनाता है, न ही दीपक जलाकर उजाला करता है. 

क्यों नहीं मनती अटारी में दिवाली 
मीरजापुर जिले के अटारी गांव में राजा पृथ्वीराज चौहान के वंशज रहते हैं. चूंकि गांव के लोगों की मान्यता है कि दीपावली के दिन ही उनके पूर्वज पृथ्वीराज चौहान की हत्या मोहम्मद गोरी ने छल से की थी, ऐसे में वे इस दिन को खुशी नहीं शोक का प्रतीक मानते हैं. गांव में शोक की ये परंपरा 11वीं शताब्दी से ही चली आ रही है. 

न जलते हैं दीये, न बंटती है मिठाई 
राजगढ़ ब्लॉक में बसे करीब आधा दर्जन गांव में दीपावली का त्योहार नहीं मनाया जाता. पृथ्वीराज चौहान की हत्या का शेक आज भी चौहान वंशज के लोग मनाते हैं. अटारी गांव समेत कई गांवों में इस दिन घर में दीया नहीं जलाया जाता है. न तो मिठाई बंटती है न ही कोई शुभकामना दी जाती है. हालांकि दीपावली के बजाय एकादशी को यहां दीपक जलाकर प्रकाश की कामना की जाती है.

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