पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति का हिंदुस्तान से नाम-ओ-निशान होगा खत्म, बागपत में नीलाम हो रही पारिवारिक संपत्ति
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पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति का हिंदुस्तान से नाम-ओ-निशान होगा खत्म, बागपत में नीलाम हो रही पारिवारिक संपत्ति

Baghpat News: पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ का हिंदुस्तान की सरजमी से नानोनिशान खत्म होने को है. बागपत में मुशर्रफ के परिवार के नाम पर दर्ज शत्रु संपत्ति को नीलाम किया जा रहा है.

पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति का हिंदुस्तान से नाम-ओ-निशान होगा खत्म, बागपत में नीलाम हो रही पारिवारिक संपत्ति

बागपत/कुलदीप चौहान: बागपत के कोताना गांव में स्थित पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति और सेना प्रमुख जनरल परवेज़ मुशर्रफ के परिवार के नाम दर्ज 13 बीघा शत्रु संपत्ति की नीलामी प्रक्रिया शुरू हो गई है. प्रशासन ने इस संपत्ति को नीलाम करने के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया शुरू कर दी है, जो 5 सितंबर तक पूरी कर ली जाएगी. इस प्रक्रिया के पूरा होने के बाद, खरीदार के नाम पर संपत्ति दर्ज कर दी जाएगी.

कोताना से पाकिस्तान तक का सफर
ग्रामीणों के अनुसार, परवेज़ मुशर्रफ का परिवार बंटवारे से पहले कोताना गांव में रहता था. उनके परिवार के सदस्य 1947 के भारत-पाकिस्तान विभाजन के समय पाकिस्तान चले गए थे, लेकिन उनकी जमीन और हवेली यहां रह गई थी. इन्हें "शत्रु संपत्ति" के रूप में दर्ज किया गया था. अब प्रशासन ने इस शत्रु संपत्ति की नीलामी प्रक्रिया शुरू की है, जिसका फाइनल रिजल्ट 5 सितंबर को घोषित किया जाएगा.

परवेज़ मुशर्रफ की पैतृक जमीन और हवेली 
बताया जाता है कि परवेज़ मुशर्रफ के पिता मुशर्रफुद्दीन और माता बेगम जरीन कोताना गांव की रहने वाले थे. उनकी शादी भी इसी गांव में हुई थी, लेकिन 1943 में यह परिवार दिल्ली चला गया, जहां परवेज़ मुशर्रफ और उनके भाई डॉ. जावेद मुशर्रफ का जन्म हुआ. विभाजन के समय, 1947 में उनका परिवार पाकिस्तान चला गया. दिल्ली के अलावा, उनकी हवेली और खेती की जमीन कोताना में भी मौजूद थी.

हालांकि, बाद में परवेज़ मुशर्रफ की जमीन बेच दी गई, लेकिन उनके भाई डॉ. जावेद मुशर्रफ और परिवार के अन्य सदस्यों की 13 बीघा से ज्यादा की खेती की जमीन बची रही. इसके अलावा, कोताना की हवेली उनके चचेरे भाई हुमायूं के नाम दर्ज हो गई थी.

शत्रु संपत्ति में दर्ज और नीलामी प्रक्रिया शुरू
लगभग पंद्रह साल पहले, डॉ. जावेद मुशर्रफ और उनके परिवार के अन्य सदस्यों की जमीन को शत्रु संपत्ति के रूप में दर्ज कर दिया गया था. अब बागपत प्रशासन ने इस शत्रु संपत्ति की नीलामी प्रक्रिया शुरू कर दी है. नीलामी की प्रक्रिया में आधी जमीन की नीलामी 5 सितंबर तक पूरी हो जाएगी और रिकॉर्ड में नया नाम दर्ज कर लिया जाएगा. इसके बाद, पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ के भाई और परिवार का बागपत से नाम-ओ-निशान खत्म हो जाएगा.

इस प्रक्रिया के माध्यम से, भारत सरकार शत्रु संपत्ति के तहत दर्ज संपत्तियों का पुनर्निर्धारण कर रही है, जिससे भारत और पाकिस्तान के बीच ऐतिहासिक संबंधों की एक नई कहानी लिखी जा रही है.

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