Mirzapur Ka Itihaas: वैसे तो उत्तर प्रदेश के हर जिले और शहर का अपना एक गौरवशाली इतिहास रहा है, लेकिन आज हम बात करेंगे मिर्जापुर का, जिसके बारे में शायद ही किसी ने नहीं सुना होगा.आइए जानते हैं इसका पूरा इतिहास.
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Mirzapur Ka Itihaas: उत्तर प्रदेश के तमाम जिलों का एक समृद्ध पौराणिक और आधुनिक इतिहास है. इन्हीं में से एक जिला है मिर्जापुर. जिस पर वेबसीरिज भी बन चुकी है. ऐसे में आए दिन मिर्जापुर लोगों की जुबान पर रहता है. मिर्जापुर का नाम पहले गिरिजापुर हुआ करता था. जिसका मतलब होता है- पार्वती का नगर.
इस जिले का नाम केंद्र सरकार के दस्तावेजों में मिर्जापुर और राज्य सरकार के दस्तावेजों में मीरजापुर है. इन्हीं वजहों से समय-समय पर इसका नाम बदलने की मांग उठती रही और लोग अक्सर मां विध्यवासिनी के नाम पर इसका नाम रखने की मांग सरकार से करते रहे. ये शहर अपने कालीन और पीतल के बर्तन उद्योग के लिए भी जाना जाता है. यहां की कालीन दुनिया भर में फेमस है. इसी उद्योग की वजह से शहर को कालीन सिटी भी कहते हैं. इस शहर को महात्रिकोण नगर और रामेश्वर के नाम से भी लोग जानते हैं.
कैसे पड़ा शहर का नाम?
रिपोर्ट्स की मानें तो जब 17वीं शताब्दी में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी भारत आई तो उसका कारोबार कोलकाता से लेकर दिल्ली तक फैलता ही जा रहा था. उस समय कंपनी के अधिकारियों को मध्य भारत में भी अपना व्यापार फैलाने की जरूरत महसूस हुई. ऐसे में उन्होंने गंगा किनारे स्थपित कई इलाकों का दौरा किया, जिसके बाद उन्हें विंध्याचल का इलाका काफी पसंद आया. 1735 में लार्ड मर्क्यूरियस वेलेजली नाम के एक अंग्रेज अधिकारी ने इस क्षेत्र की स्थापना मिर्जापुर नाम से की.
अंग्रेज ने रखा था नाम
अब आप सोच में पड़ गए होंगे की आखिर अंग्रेज अधिकारी ने शहर का नाम मिर्जापुर ही क्यों रखा. दरअसल, मिर्जा शब्द अंग्रेजी शब्दकोश में 1595 ईसवी से जुड़ा था, जिसका शाब्दिक अर्थ है "राजाओं का क्षेत्र". इस शब्द की व्युत्पत्ति अमीर (English: Emir) और जाद (Persian) को मिलाकर बनाए शब्द अमीरजादा से हुई है. पर्शिया में अमीरजादा के लिए एक शब्द मोरजा भी है. ऐसे में अंग्रेजी सेना ने अपने क्षेत्र विस्तार के समय मिर्जा शब्द को उपाधि की तरह इस्तेमाल किया और इस शहर का नाम 'मिर्जापुर' रख दिया.
शहर में घूमने की जगह
ये शहर कई पहाड़ियों से घिरा हुआ है. मिर्जापुर जिले का मुख्यालय है. यहां घूमने के लिए कई जगहें हैं, जहां बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं. विंध्याचल, अष्टभुजा और काली खोह के पवित्र मंदिर के लिए ये मशहूर है. इतना ही नहीं यहां देवरहवा बाबा का आश्रम के साथ-साथ टुंडा जल प्रपात और चुनार का किला भी है. इसके अलावा यहां कई अन्य किले, झरने और प्राकृतिक स्थल हैं, जो देखने लायक हैं.
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