UP Nagar Nikay Chunav : बीजेपी ने 18 भीतरघातियों पर चलाया अनुशासन का डंडा, डिप्टी सीएम बोले- लिस्ट तैयार करें
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UP Nagar Nikay Chunav : बीजेपी ने 18 भीतरघातियों पर चलाया अनुशासन का डंडा, डिप्टी सीएम बोले- लिस्ट तैयार करें

UP Nagar Nikay Chunav 2023 : नगरीय निकाय चुनाव के दौरान बीजेपी के लिए गुटबाजी और पार्टी विरोधी गतिविधियां मुसीबत बन रही हैं. इसी कड़ी में अब पार्टी ने भी सख्त रुख अख्तियार कर लिया है. फिरोजाबाद में भाजपा ने डेढ़ दर्जन पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को बाहर का रास्ता दिखाया है. 

Nagar Nigam Election 2023 in UP

अली मुक्तेदा/कौशांबी : उत्तर प्रदेश में होने वाले निकाय चुनाव (UP Nagar Nikay Chunav) को लेकर प्रचार करने कौशांबी (Kaushambi) जिले के डाइट मैदान आए यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने शनिवार को भारतीय जनता पार्टी से भितरघात करने वालों को चेतावनी दी थी. उन्होंने मंच से कहा था कि 2022 में तो भीतरघातियों को माफ कर दिया गया था. लेकिन निकाय चुनाव में पार्टी विरोधी काम बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

इसके बाद 24 घंटे के अंदर 18 पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं पर कार्रवाई कर दी गई. बीजेपी में रहकर पार्टी विरोधी गतिविधियों में सक्रिय रहने वाले 18 पदाधिकारियों और सदस्यों पर 6 साल के लिए निष्कासन की कार्रवाई की गई है. इसमें अनुसूचित मोर्चा के जिला अध्यक्ष ज्ञानचंद सरोज जो बघेला पुर भरवारी के रहने वाले हैं. इन पर आरोप है कि पार्टी से बगावत कर भरवारी नगरपालिका का चुनाव लड़ रहे हैं.

वीरेंद्र फौजी के साथ पार्टी से बगावत कर चुनाव प्रचार किया. इसके अलावा किसान मोर्चा के जिला अध्यक्ष रमेश पाल को भी पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया गया है. मंझनपुर नगर पालिका के वार्ड नंबर 22 से भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर सभासद का चुनाव लड़ रही कविता पाल के विरुद्ध अपने बेटे सनी पाल को निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में खड़ा किया. और उनका प्रचार भी किया. इसकी शिकायत होने के बाद पार्टी ने निष्कासन की कार्रवाई की. ऐसे ही जिला उपाध्यक्ष अनुसूचित मोर्चा लोकेश कुमार उर्फ पप्पू चौधरी ने भी पार्टी से बगावत कर नगर पालिका मंझनपुर के अध्यक्ष पद के लिए निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं. 

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हालांकि माना जा रहा है कि निकाय चुनाव के 3 दिन पहले 18 पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं पर हुई बड़ी कार्रवाई का असर निकाय चुनाव के प्रदर्शन पर भी पड़ सकता है. इसका सीधा फायदा पार्टी से बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं प्रत्याशियों को होगा. 

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