Meerut Nagar Nikay Chunav 2023: नगर निकाय आरक्षण सूची के अनुसार, मेरठ के जिन वार्ड में महिला पार्षदों का चुनाव होना है...उनमें से 18 सीटें सामान्य महिला के लिए आरक्षित हैं...इतना ही नहीं 5 बार अनुसूचित जाति-जनजाति महिलाओं के लिए आरक्षित की गई हैं...
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Meerut Nagar Nikay Chunav 2023: पिछले दशक के मुकाबले राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है. राज्यसभा हो या लोकसभा या फिर हो पार्षद. आपको महिला राजनेता देश के विकास में अहम योगदान निभाती हुई मिल जाएंगी. कुछ इसी तरह का नजारा मेरठ नगर निगम क्षेत्र में भी देखने को मिलेगा. यूपी शासन की तरफ से जारी की गई आरक्षण लिस्ट के अनुसार, इस बार मेरठ में 90 वार्ड में से 31 वार्ड में महिला पार्षदों का चुनाव आरक्षण के हिसाब से तय होगा.
नगर निकाय आरक्षण सूची (Municipal body reservation list) के अनुसार, मेरठ के जिन वार्ड में महिला पार्षदों का चुनाव होना है. उनमें से 18 सीटें सामान्य महिला के लिए आरक्षित हैं. इतना ही नहीं 5 बार अनुसूचित जाति-जनजाति महिलाओं के लिए आरक्षित की गई हैं. वहीं, 8 बोर्ड पर ओबीसी महिलाएं अपना भाग्य आजमाएंगी.
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सामान्य महिलाओं के लिए आरक्षित सीट- 18
अनुसूचित जाति जनजाति की महिलाओं के लिए आरक्षित सीट-5
OBC महिलाएं के लिए आरक्षित सीट-8
महिलाओं के लिए आरक्षित वार्ड
महिलाओं के लिए जो वार्ड आरक्षित किए गए हैं उनमें अनुसूचित जाति, जनजाति महिलाओं की वार्ड की बात करें. तो उसमें वार्ड नंबर 9, 10, 14, 15 ,16, ओबीसी महिलाओं के लिए -वार्ड नंबर 20, 41, 49, 65, 74, 88 और 89 है. वहीं दूसरी हो जो सामान्य सीट महिला आरक्षित की गई है. उसमें वार्ड नंबर 31, 32, 33, 34, 38, 40, 55, 60, 66, 68, 75, 77, 80, 81, 86 और 90 शामिल हैं. आपको बता दें कि सामान्य आरक्षण वाली सीट पर किसी भी वर्ग से महिला चुनावी मैदान में उतर सकती है. गौर हो कि जब से चुनाव की आरक्षण सूची जारी हुई है. उसके बाद से राजनीतिक गलियारों में चुनाव जीतने को लेकर रणनीति बनाई जा रही हैं.
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उत्तर प्रदेश में 17 नगर निगम, 200 नगर पालिका और 545 के करीब नगर पंचायत सीटें हैं. पिछली बार 5 दिसंबर 2022 को आरक्षण की अनंतिम सूची जारी की गई थी. इसके बाद यह मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के सामने चला गया था. इसमें ओबीसी आरक्षण में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुरूप ट्रिपल टेस्ट के फार्मूले का पालन नहीं करने की बात कही गई थी. इसके बाद हाईकोर्ट ने सरकार को 31 जनवरी तक बिना आरक्षण के चुनाव कराने को कहा था. इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट से यूपी सरकार को राहत मिली. प्रदेश सरकार ने पिछड़ा वर्ग आयोग गठित किया था. जिसने ढाई महीने में ओबीसी आरक्षण को लेकर अपनी रिपोर्ट दी.
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