UP Nagar Nikay Chunav 2023: प्रयागराज इन दिनों सुर्खियों में बना हुआ है. माना जा रहा है कि अतीक-अशरफ की हत्या के बाद यहां सियासी समीकरण बदल गए हैं. ऐसे में देखने होगा कि यहां महापौर और पंचायत में किस पार्टी का कब्जा होगा.
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Prayagraj Nagar Nigam Chunav 2023: उत्तर प्रदेश में नगर निकाय चुनाव को लेकर सरगर्मियां तेज हैं. सत्ताधारी बीजेपी समेत सभी राजनैतिक दल वोट बैंक साधने के लिए एड़ी से चोटी तक का जोर लगा रहे हैं. 4 मई को पहले चरण का मतदान है. जिसमें 9 मंडल के कुल 37 जिलों में वोट डाले जाएंगे. इसमें प्रयागराज भी शामिल है. प्रयागराज नगर निगम और उसके दायरे में आने वाली आठ नगर पंचायतों के लिए कल मतदान होगा. ऐसे में आइये प्रयागराज की नगर निगम और नगर पंचायत सीटों का सियासी हाल और चुनाव को लेकर हुए इंतजाम के बारे में जानते हैं.
गुरुवार को होने वाले चुनाव में 17 लाख 22 हजार से ज्यादा वोटर मतदान की प्रक्रिया में भाग लेंगे. महापौर की एक सीट के अलावा 100 वार्ड में पार्षद और आठ नगर पंचायतों में अध्यक्ष पद के लिए भी कल भी मतदान होना है. नगर निगम के 100 वार्ड में 1180 बूथों पर और आठ नगर पंचायत के 128 बूथों पर मतदान होगा. निगम में ईवीएम और नगर पंचायतों में बैलेट पेपर से मतदान होगा. महापौर के 21 प्रत्याशी चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे हैं. वहीं 100 वार्डों के लिए 921 प्रत्याशी पार्षद का चुनाव लड़ रहे हैं.
सीएम की जनसभा का दिखेगा असर?
चुनाव प्रचार के आखिरी दिन सभी प्रत्याशियों ने जोर-शोर से रोड शो और जुलूस निकाला. बात करें बीजेपी की तो प्रचार-प्रसार के आखिरी दिन खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ यहां आए और प्रत्याशियों के समर्थन में जनसभा की. इससे पहले डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और स्वतंत्र देव सिंह लगातार प्रयागराज में एक्टिव रहे. वहीं सपा के महापौर प्रत्याशी अजय श्रीवास्तव और अन्य प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार करने के लिए केवल प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम ही आए. चुनाव प्रचार में बसपा और कांग्रेस सबसे पीछे रही. इन दोनों ही दलों से कोई बड़ा चेहरा उम्मीदवारों के समर्थन में प्रयागराज नहीं आया. ऐसे में माना जा रहा है कि इसका असर निकाय चुनाव पर भी देखने को मिल सकता है.
बीजेपी-सपा-बसपा में त्रिकोणीय टक्कर
वहीं, बीते दिनों प्रयागराज में अतीक अहमद और अशरफ अहमद की हत्या के बाद पूरा समीकरण बदला नजर आ रहा है. प्रयागराज में महापौर की सीट के लिए मुकाबला त्रिकोणीय होता दिख रहा है. जो बसपा अतीक की बीवी शाइस्ता परवीन पर दांव लगाने की पूरी तैयारी कर चुकी थी, उसने उमेशपाल हत्याकांड के बाद अपने हाथ पीछे खींच लिए. शाइस्ता खुद फरारी काट रही है. उसकी जगह बसपा ने मुस्लिम उम्मीदवार को उतार कर, सपा के वोट बैंक में सेंधमारी की कोशिश की है. वहीं, बीजेपी में भी बगावत देखने को मिल रही है. माना जा रहा है कि प्रयागराज में बीजेपी, समाजवादी पार्टी और बसपा उम्मीदवार के बीच त्रिकोणीय टक्कर हो सकती है.
किस पार्टी ने किसे दिया टिकट
प्रयागराज नगर निगम के महापौर पद की सीट सामान्य (अनारक्षित) के खाते में गई है. मेयर पोस्ट के लिए बीजेपी ने मंत्री नंद गोपाल नंदी की पत्नी और मौजूदा महापौर अभिलाषा नंदी का टिकट काटकर गणेश केसरवानी पर भरोसा जताया है. जिससे भाजपा में बगावत भी देखने को मिली है. वहीं, भाजपा के समीकरण को तोड़ने के लिए सपा ने कायस्थ उम्मीदवार उतारा है. वहीं, बसपा ने सईद अहमद को टिकट देते हुए भाजपा और सपा को टक्कर देने का प्लान तैयार किया है. वहीं, कांग्रेस ने प्रभा शंकर मिश्रा को टिकट दिया है. प्रभा शंकर मिश्रा करीब 30 साल से कांग्रेस से जुड़े हैं. प्रयागराज में सक्रिय राजनीति कर रहे हैं. उनका अपना वोट बैंक है.
क्या कहते हैं राजनीतिक विशेषज्ञ?
राजनीतिक विशेषज्ञों के मुताबिक, चुनाव प्रचार के आखिरी दिन सीएम योगी के प्रचार से चुनाव बीजेपी के पक्ष में जाता नजर आ रहा है. अतीक-अशरफ की हत्या के बाद पुराने समीकरण फ्लॉप हो सकते हैं. इससे पहले 2017 नगर निगम चुनाव में सपा ने भाजपा को टक्कर दी थी, लेकिन इस बार माफिया अतीक का परिवार खुद सपा के खिलाफ है. बसपा ने मुस्लिम कैंडिडेट उतारा है, ऐसे में इस सीट पर फिलहाल बीजेपी हावी नजर आ रही है.
कब किसके सिर सजा मेयर का ताज
1989 नगर निकायों के लिए चुनाव हुआ था. तब प्रयागराज (इलाहाबाद) महानगर पालिका थी और पार्षदों ने नगर प्रमुख का चुनाव किया था. उस चुनाव में श्यामा चरण गुप्ता नगर प्रमुख चुने गए थे. हालांकि, उन्होंने कार्यकाल पूरा होने से एक साल पहले इस्तीफा दे दिया था और उपचुनाव में रविभूषण बधावन नगर प्रमुख निर्वाचित हुए. नगर निगम के गठन के बाद 1995 में चुनाव हुए. पहली बार यहां महापौर चुना गया. उस समय यह सीट महिलाओं के आरक्षित थी और डॉ. रीता बहुगुणा जोशी मेयर चुनी गईं. इसके बाद साल 2000 में डॉ. केपी श्रीवास्तव और 2006 में चौधरी जितेंद्र नाथ सिंह महापौर बने.
इसके बाद फिर यह सीट महिला के लिए आरक्षित हो गई और अभिलाषा गुप्ता नंदी महापौर चुनी गईं. 2017 में यह सीट फिर अनारक्षित हो गई और अभिलाषा गुप्ता दोबारा मेयर बनीं. इस तरह से इस सीट पर अब तक हुए पांच चुनाव में चार महापौर चुने गए और सभी सामान्य वर्ग से रहे. बता दें कि प्रयागराज की आठ नगर पंचायतों में तीन सीटें अनारक्षित, दो सीटें पिछड़ा वर्ग और एक-एक सीट अनुसूचित जाति महिला, पिछड़ा वर्ग महिला और महिला के लिए आरक्षित की गई हैं.
सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
प्रयागराज में मतदान को लेकर बूथों पर सुरक्षा व्यवस्था के कड़े इंतजाम किए गए हैं. 8 डीसीपी, 16 एसीपी, 62 इंस्पेक्टर, 680 सब इंस्पेक्टर, तीन हजार सिपाही की तैनाती रहेगी. 2800 होम गार्ड, 5 कंपनी पीएसी, 16 उड़नदस्ता भी तैनात किया गया है. संवेदनशील और अति संवेदनशील बूथों पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं. बीएसएफ, सीआरपीएफ और आरएएफ के जवानों की तैनाती रहेगी. प्रयागराज नगर निगम के सभी बूथों के लिए कुल 1180 पोलिंग पार्टियां भी बनाई गई हैं. इसी तरह आठ नगर पंचायतों के 128 बूथों के लिए 128 पोलिंग पार्टियां बनाई गई हैं. प्रत्येक पोलिंग पार्टी में पीठासीन अधिकारी, मतदान अधिकारी प्रथम, द्वितीय, तृतीय व चतुर्थ मौजूद रहेंगे. नगर निगम में आने वाले वार्ड में ईवीएम से मतदान होगा तो वही नगर पंचायतों में बैलेट पेपर से मतदाता मतदान कर सकेंगे.
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