UP Nagar Nikay Chunav 2022 : उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव पर हाईकोर्ट का बड़ा OBC आरक्षण से जुड़ी याचिकाओं पर आया है.
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UP Nagar Nikay Chunav 2022 : उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव की अधिसूचना पर हाईकोर्ट (Allahabad High Court Lucknow Bench) ने 20 दिसंबर तक रोक लगाई थी और आज भी इस पर सुनवाई पूरी नहीं हो सकी. इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच अब इस पर कल सुनवाई करेगी.नगर निगम नगर पालिका चुनाव में पिछड़ा वर्ग आरक्षण को लेकर यूपी सरकार (Uttar Pradesh Govdernment) ने हलफनामा पहले ही दाखिल कर दिया था. इसमें कहा गया था कि 2017 के आरक्षण को ही माना जाए. हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने 12 दिसंबर को अधिसूचना जारी करने पर पहली बार रोक लगाई थी, जिसे दो बार बढ़ाया गया. 24 दिसंबर से हाईकोर्ट में शीतकालीन अवकाश शुरु होना है, लिहाजा जनहित याचिका पर HC में आज ही फैसला लिया गया.
म्यूनिसिपल कारपोरेशन (Municipal Election) को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान योगी आदित्यनाथ सरकार ने कहा कि 2017 के आरक्षण को ही सर्वे को आधार माना जाए. सरकार की ओर से दायर हलफनामे में यही कहा गया कि इसी सर्वे को ट्रिपल टेस्ट माना जाए.सरकार ने यह भी दलील दी कि ट्रांसजेंडर्स को आरक्षण नहीं दिया जा सकता. इस पर याचिकाकर्ता की ओर से अपनी दलील रखी गई. उल्लेखनीय है कि निकाय चुनाव में आरक्षण को लेकर कई तरह की याचिकाएं हाईकोर्ट में दायर की गई हैं.
यूपी में बीजेपी, सपा, कांग्रेस और बसपा समेत सभी राजनीतिक दलों के नेताओं और कार्यकर्ता टकटकी लगाए अदालती फैसले की ओर से देख रहे थे. उच्च न्यायालय का फैसला याचिकाकर्ताओं के पक्ष में आया तो निकाय चुनाव टल सकते हैं.
हाईकोर्ट में लंबा अवकाश
पहले आशंका ये जताई जा रही थी कि अगर निकाय चुनाव पर 22 दिसंबर से पहले अदालती फैसला नहीं आता है तो दिक्कत होगी. हाईकोर्ट में 23 दिसंबर से 4 जनवरी तक अवकाश रहेगा. जबकि यूपी बोर्ड के एग्जाम 16 फरवरी से शुरू हो जाएंगे. ऐसे में अप्रैल मई के पहले चुनाव कराने की नौबत नहीं आएगी. बीजेपी जैसे बड़े दल भी नगर निकाय चुनाव की तारीख अब तीन से चार महीने खिसकने की बातें कर रहे हैं.
पिछड़ा वर्ग आरक्षण न होने से फंसा पेंच
यूपी में लखनऊ कानपुर समेत 17 नगर निगम, 200 नगरपालिका और 545 नगर पंचायतों का आरक्षण 5 दिसंबर 2022 को जारी किया गया था. खुद नगर विकास मंत्री एके शर्मा ने इसकी घोषणा की थी.वार्डवार आरक्षण पहले ही जारी कर एक हफ्ते में आपत्तियां मांगी गई थीं. लेकिन इसमें ओबीसी रिजर्वेशन नहीं था. ऐसे में प्रदेश की 762 नगर निकाय में पिछड़ा वर्ग आरक्षण को लेकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया. 545 नगर पंचायत आरक्षण में 182 महिला, 26 SC महिला, 48 SC, 49 ओबीसी महिला, 97 अन्य पिछड़ा वर्ग, 107 महिलाओं के लिए और 217 अनारक्षित हैं.
निकायों में नगर निगम मेयर या नगरपालिका अध्यक्ष का कार्यकाल खत्म होने पर प्रशासकों को बैठाया जा रहा है. ऐसे में जिन निकायों का आरक्षण खत्म होगा, वहां प्रशासक ही अगले चुनाव तक कामकाज निपटाएंगे.. नगर निगम में ये नगर आयुक्त होगा. जबकि नगरपालिका में अधिशासी अभियंता को ये जिम्मेदारी दी जाएगी.
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