Cabinet Expansion: मोदी कैबिनेट में यूपी से शामिल हो सकते हैं ये चेहरे, जानिए मप्र, बिहार, बंगाल से कौन हैं दावेदार
Advertisement

Cabinet Expansion: मोदी कैबिनेट में यूपी से शामिल हो सकते हैं ये चेहरे, जानिए मप्र, बिहार, बंगाल से कौन हैं दावेदार

Cabinet Expansion: मोदी कैबिनेट में यूपी से 3-4 लोगों को मौका दिया जा सकता है. वहीं, बिहार, बंगाल, मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों से भी कई नामों पर चर्चा चली रही है. जानिए राजनीति के जानकार इस पर क्या कहते हैं.

Cabinet Expansion: मोदी कैबिनेट में यूपी से शामिल हो सकते हैं ये चेहरे, जानिए मप्र, बिहार, बंगाल से कौन हैं दावेदार

लखनऊ:  उत्तर प्रदेश में साल 2022 में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. इससे पहले नरेंद्र मोदी की सरकार में कैबिनेट विस्तार को लेकर चर्चा चल रही है. बताया जा रहा है कि 19 जुलाई से शुरू होने वाले संसद सत्र से पहले ही मंत्रिमंडल में फेरबदल किया जा सकता है. पिछले एक महीने से कैबिनेट विस्तार को लेकर माहौल गर्म है. इसमें सबसे ज्यादा चर्चा उत्तर प्रदेश की चल रही है. बताया जा रहा है कि यूपी से 3-4 लोगों को मौका मिल सकता है. 

इस मुलाकात के बाद चर्चा ने पकड़ा जोर
जून के महीने में यूपी के नेताओं की मुलाकात अमित शाह से हुई. सबसे पहले सीएम योगी आदित्यनाथ अमित शाह और पीएम नरेंद्र मोदी से मिले. इस दिन ही अपना दल की नेता अनुप्रिया पटेल, निषाद पार्टी के नेता संजय निषाद और उनके बेटे भाजपा सांसद प्रवीण निषाद ने भी अमित शाह से मुलाकात की. इस मुलाकात के बाद से कहा जाने लगा कि मोदी कैबिनेट 2.0 के विस्तार में यूपी के इन नेताओं को शामिल किया जा सकता है. 

सहयोगी दल से अनुप्रिया पटेल और प्रवीण निषाद रेस में शामिल, जानिए किसका पलड़ा भारी
इस वक्त मोदी सरकार 2.0 में रामदास अठावले को छोड़कर कोई भी सहयोगी दल का मंत्री शामिल नहीं है. उत्तर प्रदेश में भाजपा ने अपना दल के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था. अब ठीक चुनाव से पहले अनुप्रिया पटेल को शामिल करने की चर्चा बढ़ गई है. अनुप्रिया मिर्जापुर से सांसद हैं और मोदी सरकार 1.0 में मंत्री भी रह चुकी हैं.  

अनुप्रिया पटेल की अहमियत और इस लिए बढ़ जाती है, क्योंकि वह कुर्मी समाज से आती हैं. यूपी में भाजपा ने क्षेत्रीय दलों को पस्त करने के लिए गैर यादव ओबीसी वोट बैंक दांव चला था.  इस वोट बैंक में अनुप्रिया काफी हैवीवेट माना जाता है. कुर्मियों को संख्या पूरे प्रदेश में लगभग 5 फीसदी है. वहीं, 17 ऐसे जिले हैं, जहां ये 15 फीसदी से अधिक है. वरिष्ठ पत्रकार और भाजपा को करीब से जानने वाले प्रदीप सिंह कहते हैं कि अनुप्रिया को 2019 में भी मंत्री बनाया जा रहा था. लेकिन वह कैबिनेट मंत्री से नीचे राजी नहीं थीं. यूपी से सबसे प्रबल संभावना इनकी ही है. 

fallback

क्या है प्रवीण का मजबूत पक्ष- वहीं, अगर प्रवीण निषाद की बात करें, तो वह गोरखपुर से भाजपा को हराने के बाद में चर्चा आए थे. हालांकि, साल 2019 में जब निषाद पार्टी का भाजपा से गठबंधन हुआ, तो प्रवीण निषाद भाजपा के ही टिकट से संत कबीर नगर से सांसद बन गए. उनके पिता संजय निषाद ही निषाद पार्टी के अध्यक्ष हैं. हालांकि, हाल ही में उन्होंने डिप्टी सीएम पद की मांग की है. जिसके बाद से असमंजस की स्थिति है. 

ब्राह्मण चेहरे को मिल सकता है मौका, लेकिन किसकी स्थिति सबसे मजबूत ?
इस बात का लगातार जिक्र किया जा रहा है कि यूपी में भाजपा को ब्राह्मण वोट बैंक का डर सता रहा है. ऐसे में मंत्रिमंडल में ब्राह्मण चेहरे की एंट्री की संभावना है. इसमें दो नाम प्रमुखता से चल रहे हैं. पहला भोजपुरी एक्टर रवि किशन शुक्ला और दूसरा वरुण गांधी का. 

रवि किशन-  भोजपुरी एक्टर रवि किशन गोरखपुर से सांसद हैं. पूर्वांचल के इलाकों में भोजपुरी फिल्मों का असर है. हालांकि, साल 2014 में वह जौनपुर से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े थे, लेकिन केपी सिंह के सामने खेत हो गए.  

वरुण गांधी- वरुण गांधी की बात करें, तो वह मेनका गांधी के बेटे हैं. एक समय था, जब उन्हें हिंदू फायरब्रांड नेता कहा जाता था. साल 2014 में सुल्तानपुर और साल 2019 में पीलीभीत से सांसद बने. साल 2017 में मेनका गांधी ने उन्हें बतौर यूपी सीएम भी प्रोजेक्ट करने की कोशिश की थी. 

जितिन प्रसाद-  जितिन प्रसाद का भी नाम भी चर्चा में आया है. वह हाल ही में कांग्रेस से भाजपा में आए हैं. जितेंद्र प्रसाद के बेटे जितिन कांग्रेस में रहते हुए ब्राह्मण वोट बैंक को लेकर सक्रिय थे. हालांकि, वह अभी सांसद नहीं है. ना ही उन्हें ऐसा मास लीडर माना जा रहा है, जो ब्राह्मण वोट बैंक खींच लाए. 

fallback

ये भी हैं ब्राह्मण चेहरे- इसके अलावा शिवप्रताप शुक्ल, हरीश द्विवेदी,रमापतिराम त्रिपाठी, सीमा द्विवेदी, विजय दुबे और हरिद्वार दुबे भी भाजपा के ब्राह्मण चेहरे हो सकते हैं. रमापतिराम त्रिपाठी को कलराज मित्र का शिष्य बताया जाता है. वहीं, उनका नाम  2019 के समय भी चल रहा था. इसके अलावा, शिवप्रताप शुक्ला को मोदी सरकार 1.0 के आखिरी दिनों में मंत्री बनाया गया था. 

एक्सपर्ट्स की राय-  ब्राह्मण चेहरे को लेकर वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप सिंह कहते हैं कि कलाराज मिश्र  के हटने के बाद किसी ब्राह्मण को मंत्री बनाया जा सकता है. हालांकि, वरुण गांधी, रविकिशन और जितिन प्रसाद के लिए संभावनाएं कम हैं. वरुण गांधी को लेकर हाईकमान के पास बहुत शानदार फीडबैक नहीं है. वहीं, 2017 सीएम प्रोजेक्ट करना भी उनके खिलाफ जा सकता है. रविकिशन को लेकर भी यही स्थिति है.  जितिन प्रसाद सांसद नहीं है, तो भाजपा उन्हें फिलहाल केंद्र की राजनीति में नहीं ला रही है. हालांकि, जो भाजपा के खांटी नेता हैं, उनमें से किसी को मौका मिल सकता है. 

बता दें कि यूपी में 18-20 फीसदी के करीब सवर्णं वोट बैंक हैं. इसमें ब्राह्मणों को लेकर दावा किया जाता है कि उनकी संख्या 8-10 फीसदी है. ऐसे में भाजपा कोई भी कोर कसर छोड़ने को तैयार नहीं है. 

गैर यादव ओबीसी में स्वतंत्र देव की चर्चा
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह के नाम की भी चर्चा है. साल 2014 में यूपी में पीएम मोदी का कैंपने देखने वाले स्वतंत्र देव सिंह को पिछले दिनों खूब प्रमोशन मिला. वह भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी बन गए.  कुर्मी समुदाय से आने वाले स्वतंत्र फिलहाल यूपी विधान परिषद के सदस्य हैं. संगठन की राजनीति करते हैं. 

fallback

एक्सपर्ट्स की राय-  एक्सपर्ट कहते हैं कि स्वतंत्र देव सिंह 2017 चुनाव की तैयारी कर रहे हैं.  इसके अलावा बांदा से सांसद आरके सिंह पटेल का नाम चल रहा है. खास बात है कि दोनों ही नेता बुदंलेखंड से आते हैं. इनके अलावा एसपी सिंह बघेल और रेखा वर्मा भी रेस में शामिल हैं. 

जाटव चेहरा को मिल सकता है मौका
चुनावी रणनीतिकार और पॉलिटिक्ल एक्सपर्ट अमिताभ तिवारी कहते हैं कि इस कैबिनेट विस्तार में जो बात उम्मीदों से परे हो सकती है, वो है जाटव के चहरे को मौका देना. दरअसल, मायावती को तीन चुनावों से सफलता नहीं मिली है. हालांकि, वह कुछ मुस्लिम, गैर यादव ओबीसी और जाटव का एक मुश्त वोट हासिल करती रही हैं. वहीं, भाजपा पिछले चुनावों में गैर जाटव दलित वोट हासिल करने में सफल रही है. ऐसे में अब किसी जाटव चेहरे को मौका देकर, दलितों को संदेश दिया जा सकता है. जो भाजपा को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मजबूत होने के मौका देगी. 

बता दें कि यूपी 21-22 फीसदी करीब दलित वोट है. वहीं, अगर भाजपा की बात करें, तो दलित नेता बृजलाल, विनोद सोनकर और बीपी सरोज जैसे नेता मौजूद हैं. इसके अलावा  किसी पूर्व आईपीएस को भी मौका देने के बात की चर्चा है. 

क्या जाट चेहरे को भी मिलेगा मौका?
पश्चिम उत्तर प्रदेश में जाट नेताओं को मौका देने की भी चर्चा है. हालांकि, इस वक्त संजीव बालियान केंद्र में मंत्री हैं. उन्होंने किसान आंदोलन के दौरान भी जमीन पर काफी काम किया है.  प्रदीप सिंह कहते हैं कि भाजपा किसी जाट को अभी मंत्री बनाए जाने की संभावना काफी कम है.  क्योंकि भाजपा संजीव के सामने किसी और खड़ा करने के विचार में नहीं है. हालांकि, भाजपा में ऐसे फैसले काफी गोपनीय तरीके से लिए जाते हैं. कुछ चौकानें वाले नाम सामने आ सकते हैं.

fallback

अन्य राज्यों के क्या हैं हाल?
बिहार- उत्तर प्रदेश के अलावा बिहार में भी मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर माहौल गर्म है. सबसे ज्यादा बात की चर्चा है कि क्या चिराग पासवान को मौका मिलेगा? हालांकि, कुछ नाम लगभग तय बताए जा रहे हैं. इसमें बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम सुशील मोदी का नाम शामिल है. इसके अलावा जेडीयू से भी दो मंत्री बनाए जा सकते हैं. गौरतलब है कि अभी तक जेडीयू केंद्र सरकार में शामिल नहीं है. 

मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़- मध्य प्रदेश से ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम सबसे आगे चल रहा है. इसके अलावा छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम रमन सिंह भी कैबिनेट की दौड़ में शामिल हैं. उनके साथ सरोज पाण्डेय भी रेस में शामिल हैं. 

Cabinet Expansion: मोदी कैबिनेट में MP-CG से शामिल हो सकते हैं ये चेहरे, जानिए बिहार, यूपी और बंगाल से कौन हैं दावेदार

बंगाल और असम- पश्चिम बंगाल से भी मंत्री बनाए जाने की चर्चा है. इसमें निशीथ प्रामाणिक, लॉकेट चटर्ची और दिलीप घोष में से कोई एक हो सकता है. इन दोनों के साथ मतुआ समाज के नेता शांतनु ठाकुर का भी नाम दौड़ में शामिल है. वहीं, असम से सर्वानंद सोनेवाल को मौक मिल सकता है. 

fallback

महाराष्ट्र- महाराष्ट्र नारायण राणे के मंत्री बनने की चर्चा सबसे ज्यादा है. कभी शिवसेना, तो कभी कांग्रेस के साथ रहने वाले राणे फिलहाल भाजपा के साथ हैं. वहीं, सामाजिक समीकरण को ध्यान में रखते हुए दो और भी नाम चर्चा में चल रहा है. प्रीतम मुंडे और हिना गावित. 

अन्य राज्य- पंजाब में चुनाव होने वाले हैं. पंजाब से राज्यमंत्री सोमनाथ को प्रमोशन मिल सकता है. उत्तराखंड से अनिल बलूनी और अजय टम्टा के नाम की चर्चा है.इसके अलावा लद्दाख से सांसद जामयांग नामग्याल, भाजपा प्रवक्ता जफर इस्लाम, राजस्थान से राहुल कासवान और हरियाणा से सुनीता दुग्गल का नाम पर चर्चा चली रही है. 

Trending news