छठ पर्व हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से लेकर सप्तमी तिथि तक मनाया जाता है. पर्व की शुरुआत नहाय खाय से होती है, जो कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है.
इसके अगले दिन खरना मनाया जाता है. कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को डूबते सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है. वहीं, सप्तमी तिथि को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है.
उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही छठ पूजा का समापन होता है. व्रती खरना पूजा के बाद लगातर 36 घंटे तक निर्जला उपवास करती हैं.
हिंदू पंचांग के मुताबिक, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि 7 नवंबर को देर रात 12 बजकर 41 मिनट पर शुरू होगी, 8 नवंबर को देर रात 12 बजकर 34 मिनट पर समाप्त होगी.
ऐसे में 7 नवंबर को संध्याकाल का सूर्य देव को अर्ध्य दिया जाएगा. इसके अगले दिन यानी 8 नवंबर को उगते सुबह सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाएगा.
छठ पूजा का पहला दिन, 5 नवंबर 2024 नहाय खाय (मंगलवार), दूसरा दिन, 6 नवंबर 2024- खरना (बुधवार) होगा.
वहीं, छठ पूजा का तीसरा दिन, 7 नवंबर 2024- संध्या अर्घ्य (गुरुवार) को होगा और छठ पूजा का चौथा दिन, 8 नवंबर 2024- उषा अर्घ्य (शुक्रवार) को होगा.
छठ पूजा के तीसरे दिन शाम को सूर्य देवता को अर्घ्य दिया जाता है. इस दौरान बांस के सूप में फल, गन्ना, चावल के लड्डू, ठेकुआ सहित अन्य सामग्री रखकर पानी में खड़े होकर पूजन किया जाता है.
छठ पूजा के दूसरे दिन को खरना कहा जाता है. इस दिन घर में छठी माता के लिए भोग बनाया जाता है. शाम के समय मीठा भात और लौकी की खिचड़ी खाई जाती है.