स्वामी विवेकानंद ने भारत के पुनरुत्थान और विश्व के उद्धार के लिए जो कार्य किया वह अपने गुरु रामकृष्ण परमहंस से मिले ज्ञान के आधार पर ही रामकृष्ण परमहंस को एक ऐसा शिष्य मिला जिसने गुलाम भारत को ‘विश्व गुरु’ का दर्जा दिलाया.
रामकृष्ण परमहंस का जन्म 18 फरवरी 1836 में हुआ था. आध्यात्मिक रास्ते पर चलकर संसार के अस्तित्व संबंधी परम तत्व (परमात्मा) का ज्ञान प्राप्त कर लेने वाले को 'परमहंस' कहा जाता है. रामकृष्ण परमहंस की गिनती ऐसे ही महात्माओं में होती है, इसीलिए उनके नाम के साथ परमहंस लगाया जाता है. जन्म से उनका नाम गदाधर चट्टोपाध्याय था.
स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 में हुआ था. स्वामी विवेकानंद ने अपना जीवन गुरु स्वामी रामकृष्ण परमहंस को समर्पित कर दिया था.
25 साल की आयु में ही नरेंद्र दत्त (स्वामी विवेकानंद) ने गेरुआ वस्त्र धारण कर पैदल ही पूरे भारतवर्ष की यात्रा की. सन 1893 में शिकागो (अमेरिका) में विश्व धर्म परिषद में विवेकानंद ने भारत का प्रतिनिधित्व किया. सभा में आए विद्वान उनका भाषण सुनकर चकित हो गए थे.
आध्यात्मिक गुरु और ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु जग्गी का जन्म 3 सितंबर, 1957 को मैसूर, कर्नाटक हुआ. सदगुरु 13 साल से ही हर दिन मल्लाडिहल्ली राघवेंद्र के साथ योग सीखते थे, लेकिन उस समय उनकी आध्यात्मिकता में बहुत कम रुचि थी. हालांकि, बाद में उनकी रुचि बढ़ती गई.
वासुदेव ने महाजन प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज और मैसूर के डिमॉन्स्ट्रेशन स्कूल में पढ़ाई की. सामाजिक कल्याण में उनकी सेवाओं के लिए उन्हें 2017 में भारत का दूसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान पद्म विभूषण दिया गया था.
बाबा रामदेव का जन्म हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले के सैद अलीपुर गांव में हुआ. उनके पिता का नाम रामनिवास व माता का नाम गुलाब देवी है. जब रामदेव छोटे थे तो उनके गांव में एक योगी आए, उनके सानिध्य में रहकर रामदेव का मन योग में लगने लगा और उनका रुझान वैदिक शिक्षा की तरफ बढ़ा.
गुरुकुल में शिक्षा ग्रहण करने के लिए रामदेव घर से भाग गए और कई गुरुकुल में प्रवेश के लिए पहुंचे लेकिन वहां प्रवेश नहीं मिल सका. अंत में वे हरियाणा के खानपुर गुरुकुल में पहुंचे जहां गुरुकुल शिक्षा पद्धति से शिक्षा ग्रहण की. हरिद्वार के कृपालु आश्रम में 10 नवंबर 1994 में बाबा रामदेव व आचार्य बालकृष्ण ने चैरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना की. यहां वे योग कैंप लगाने लगे और आयुर्वेदिक पद्धति से लोगों की मुफ्त चिकित्सा भी करने लगे.
श्री श्री रवि शंकर का जन्म 13 मई 1956 में दक्षिण भारत में हुआ. चार साल की आयु में ही वह संस्कृत में लिखे प्राचीन धर्मग्रंथ भागवत गीता का व्याख्यान करने लगे. आध्यात्मिक ज्ञान होने के साथ ही श्री श्री ने वैदिक साहित्य और भौतिक विज्ञान की डिग्री प्राप्त की.
1982 में श्रीश्री रवि शंकर भारत के कर्नाटक में स्थित, शिमोगा में 10 दिनों के लिए मौन में चले गए और इसके बाद सुदर्शन क्रिया का जन्म हुआ, जोकि एक शक्तिशाली श्वास (सांस) तकनीक है. बाद में सुदर्शन क्रिया आर्ट ऑफ लिविंग (Art of Living) के पाठ्यक्रमों का केंद्र बिंदु बना.