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8 बच्चों से 160 साल पहले शुरू हुआ लखनऊ विश्वविद्यालय, जहां से पढ़े राष्ट्रपति, कई मुख्यमंत्री और नामचीन हस्तियां

लखनऊ यूनिवर्सिटी आज अपना 67वां दीक्षांत समारोह बना रहा है, लेकिन इसका जन्‍म 160 साल पहले ही हो गया था. 1 मई 1864 को हुसैनाबाद में कैनिंग कॉलेज की स्‍थापना एक कोठी में हुई जो आगे चलकर 219 एकड़ में फैल गया.

कब विश्‍वविद्यालय का दर्जा मिला

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कब विश्‍वविद्यालय का दर्जा मिला

कैनिंग कॉलेज को 25 नवंबर 1920 को विश्‍वविद्यालय का दर्जा मिला तो 1921 में यहां पहली बार शैक्षिक सत्र की शुरुआत हुई. 

कोठी से हुई थी शुरुआत

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कोठी से हुई थी शुरुआत

इससे पहले कैनिंग कॉलेज हुसैनाबाद की कोठी से होते हुए अमीनाबाद के अमीनुलदौला पार्क पहुंचा फिर वहां से कैसरबाग में परीखाना से लाल बारादरी होते हुए आखिरी में बादशाह बाग स्थित वर्तमान परिसर पहुंचा.  

कब हुई स्‍थापना

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कब हुई स्‍थापना

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अवध के सातवें नवाब  गाजी-उद-दीन हैदर ने बादशाह बाग में इसकी स्‍थापना की थी, हालांकि कुछ इतिहासकारों का मानना है कि अवध के आठवें नवाब नसीरुद्दीन हैदर ने इसे बनाया था. 

कितना खर्च आया था?

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कितना खर्च आया था?

माना जाता है कि उस समय लखनऊ विश्वविद्यालय को बनवाने में करीब 35 लाख रुपये से खर्च हुए थे, जो उस समय की बड़ी रकम थी. 

पहला कुलपति कौन?

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पहला कुलपति कौन?

लखनऊ विश्वविद्यालय के पहले कुलपति ज्ञानेंद्र नाथ चक्रवर्ती थे, उस समय उन्‍हें 3000 रुपये प्रति माह वेतन दिया जाता था. उनका कार्यकाल पांच साल का था. 

हर महीने वेतन

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हर महीने वेतन

वहीं, आगरा कॉलेज के मेजर टीएफओ डोनेल को कुल सचिव बनाया गया था. उन्‍हें उस समय हर महीने वेतन के रूप में 1200 रुपये दिए जा रहे थे. 

 

हाई स्‍कूल की पढ़ाई

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हाई स्‍कूल की पढ़ाई

कहा जाता है कि लखनऊ विश्‍वविद्यालय की स्‍थापना के दो साल तक यहां सिर्फ हाईस्‍कूल तक की ही पढ़ाई होती थी. इसके बाद इसे कोलकाता विश्‍वविद्यालय से संबद्ध किया गया था. 

शुरू में 8 छात्र ही थे

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शुरू में 8 छात्र ही थे

इसके बाद साल 1857 में इसे इलाहाबाद विश्वविद्यालय से संबद्ध कर दिया गया. बताया जाता है जब कैनिंग कॉलेज की शुरुआत हुई थी तो 8 ही अभ्‍यर्थी पढ़ाई कर रहे थे. 

ऐसे बढ़ती गई छात्रों की संख्‍या

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ऐसे बढ़ती गई छात्रों की संख्‍या

इसके बाद यहां विद्यार्थियों की संख्‍या बढ़ती गई. साल 1865 में 377 अभ्‍यर्थी हो गए. फ‍िर साल 1866 में  यह संख्‍या बढ़कर 518 हो गई. 

कब-कब बढ़ी छात्रों की संख्‍या

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कब-कब बढ़ी छात्रों की संख्‍या

इसके बाद साल 1867 में लखनऊ विश्‍वविद्यालय में पढ़ने वाले छात्रों की संख्‍या 533 हो गई. इसके बाद साल 1868 में 661 और साल 1889 में छात्रों की संख्‍या 600 पार कर गई थी. 

कौन-कौन से कोर्स चल रहे

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कौन-कौन से कोर्स चल रहे

लखनऊ यूनिवर्सिटी का पुराना नाम 'अवध यूनिवर्सिटी' था. लखनऊ यूनिवर्सिटी में स्नातक, स्नातकोत्तर, डिप्लोमा, सर्टिफिकेट और शोध पाठ्यक्रमों में स्टूडेंट्स हर साल एडमिशन लेते हैं. 

आज कितने विषयों की हो री पढ़ाई?

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आज कितने विषयों की हो री पढ़ाई?

आज लखनऊ विश्वविद्यालय में ऑनर्स की पढ़ाई के साथ ही हर विषय की पढ़ाई भी हो रही है. मौजूदा समय में विश्वविद्यालय में 10 संकायों के साथ 49 विषयों की पढ़ाई हो रही है.

राष्‍ट्रपति-राज्‍यपाल रहे छात्र

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राष्‍ट्रपति-राज्‍यपाल रहे छात्र

यहां भारत के पूर्व राष्ट्रपति पंडित शंकर दयाल शर्मा से पूर्व राज्यपाल सैयद सितबे रजी, झारखंड के राज्यपाल सैयद अहमद ने भी शिक्षा ग्रहण की. 

ये मुख्‍यमंत्री भी पढ़े

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ये मुख्‍यमंत्री भी पढ़े

साथ ही उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत, उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी, यूपी के डिप्‍टी सीएम ब्रजेश पाठक, परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह, अल्पसंख्यक मंत्री दानिश आजाद ने भी पढ़ाई की.