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शिवलिंग पर क्‍यों चढ़ाया जाता है बेलपत्र?, महादेव को अति प्रसन्‍न है यह पत्‍ती

सावन का महीना 22 जुलाई से शुरू हो रहा है. इस दौरान भगवान शिव को प्रसन्‍न करने के लिए शिवालयों में भीड़ उमड़ने लगेगी. शिव भक्‍त भगवान भोले नाथ को खुश करने के लिए पूरे महीने जलाभिषेक और पूजन करते हैं. पूजा में भगवान शिव को बेलपत्र जरूर चढ़ाया जाता है.

बेल पत्र

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बेल पत्र

शिवपुराण के मुताबिक, सावन के महीने में भगवान शिव और माता पार्वती पृथ्‍वी पर निवास करते हैं. शिवलिंग की पूजा के दौरान बेलपत्र और जल अर्पित किए जाते हैं. 

ये भी वजह

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ये भी वजह

शिवपुराण के मुताबिक, भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाने से एक करोड़ कन्‍यादान के बराबर फल मिलता है. ऐसा माना जाता है कि बेलपत्र और जल से भगवान शिव मतिष्‍क शीतल रहता है. 

बेलपत्र का महत्‍व

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बेलपत्र का महत्‍व

बेलपत्र का धार्मिक, औषधीय और सांस्‍कृतिक महत्‍व पुराणों और वेदों में भी बताया गया है. पुराणों के मुताबिक, बेलपत्र से पूरे ब्राह्मांड का निर्माण हुआ है. 

ये है मान्‍यता

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ये है मान्‍यता

मान्‍यता है कि समुद्र मंथन में हलाहल नाम का विष निकला था. इसका प्रभाव विश्‍व पर न पड़े, इसलिए भगवान भोले नाथ ने उसका पान कर लिया था और पूरे पृथ्‍वी को बचा लिया था. 

बेलपत्र चढ़ाने की परंपरा

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बेलपत्र चढ़ाने की परंपरा

महादेव पर विष का प्रभाव कम करने के लिए बेलपत्र चढ़ाने की परंपरा शुरू हो गई. इसके बाद से भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ना शुरू हो गया. साथ जल भी चढ़ाया जाता है. 

इन रोगों के लिए रामबाण

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इन रोगों के लिए रामबाण

बेलपत्र के पेड़ की छाल, जड़, फल और पत्‍ते, सभी का इस्‍तेमाल अलग-अलग रोगों को ठीक करने के लिए भी किया जाता है. 

इन बीमारियों का इलाज

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इन बीमारियों का इलाज

बेलपत्र के पवित्र वृक्ष से मसूड़ों से खून आना, अस्‍थमा, पीलिया, पेचिश, एनीमिया और कई अन्‍य गंभीर बीमारियों का उपचार किया जा सकता है. 

 

ये विटामिन

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ये विटामिन

बेलपत्र में विटामिन ए, सी, बी1, बी6, बी12, कैल्शियम, पोटैशियम, राइबोफ्लेविन और फाइबर की भरपूर मात्रा पाई जाती है. ये सभी तत्‍व शरीर में कई तरह की बीमारियों से लड़ने में मददगार होते हैं. 

एंटीफंगल गुण

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एंटीफंगल गुण

इसके अलावा बेलपत्र में में एंटीफंगल और एंटीवायरल गुण पाते जाते हैं, जो शरीर को कई संक्रमणों से ठीक करने में सहायक होते हैं. 

ऐसे बेलपत्र की उत्‍पत्ति

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ऐसे बेलपत्र की उत्‍पत्ति

पुराणों के मुताबिक, बेलपत्र से पूरे ब्राह्मांड का निर्माण हुआ है. एक वक्‍त था, जब माता पार्वती के पसीने की बूंद मंदराचल पर्वत पर गिर गई. उससे बेल का पेड़ निकल आया. 

यह है वजह

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यह है वजह

इसलिए इस पेड़ पर वे कई स्‍वरूपों में निवास करती हैं. बेलपत्र में उनके स्‍वरूप बसते हैं. पेड़ की जड़ में गिरिजा, तनों में माहेश्‍वरी, शाखाओं में दक्षिणायनी और पत्तियों में पार्वती के रूप में बसती हैं. 

देवता भी करते हैं बेलपत्र के वृक्ष की पूजा

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देवता भी करते हैं बेलपत्र के वृक्ष की पूजा

माता पार्वती का प्रतिबिंब होने की वजह से बेलपत्र को भगवान शिव को अर्पित किया जाता है. कहा जाता है कि मानव ही नहीं देवता भी बेलपत्र के वृक्ष की पूजा करते हैं. 

डिस्क्लेमर

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डिस्क्लेमर

यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. zeeupuk इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.