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कौन हैं दुनिया के सबसे बड़े इंजीनियर, जिसने ब्रह्माजी के साथ मिलकर सृष्टि का निर्माण किया

विश्‍वकर्मा पूजा (Vishwakarma Puja) हर साल 17 सितंबर को मनाई जाती है. इस दिन सूर्य की कन्या संक्रांति भी है. इस दिन सूर्य सिंह राशि से निकलकर कन्या राशि में गोचर करेंगे. हर साल कन्या संक्रांति के अवसर पर ही विश्वकर्मा पूजा की जाती है. इसे विश्वकर्मा जयंती भी कहते हैं.

शुभ मुहूर्त

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शुभ मुहूर्त

इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सूर्योदय से लेकर लगभग 11 बजकर 42 मिनट तक रहेगा.  साथ ही अभिजीत मुहूर्त (11 बजकर 51 मिनट से 12 बजकर 40 मिनट तक) में भी विश्वकर्मा भगवान की पूजा करना शुभ माना जाएगा. 

विश्‍वकर्मा जयंती

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विश्‍वकर्मा जयंती

माना जाता है कि भगवान विश्वकर्मा ने ही देवताओं के लिए महलों, हथियारों और इमारतों का निर्माण किया था. इसीलिए विश्वकर्मा जयंती के दिन औजारों-मशीनों, हथियारों और लोहे की पूजा की जाती है. 

 

निर्माण के देवता

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निर्माण के देवता

भगवान विश्वकर्मा सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी के सातवें पुत्र थे. इन्‍हें निर्माण का देवता माना जाता है. मान्यता है कि रावण की लंका, पांडवों के लिए इंद्रप्रस्थ और श्रीकृष्ण के लिए द्वारका का निर्माण भगवान विश्‍वकर्मा ने ही किया था. 

सुदर्शन चक्र बनाया

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सुदर्शन चक्र बनाया

साथ ही भगवान विश्वकर्मा ने यमराज का कालदंड, भगवान विष्णु का सुदर्शन चक्र, भगवान शिव का त्रिशूल, पुष्पक विमान समेत कई अस्त्र-शस्त्र और उपकरणों का निर्माण किया.

उपकरणों का देवता

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उपकरणों का देवता

भगवान विश्वकर्मा को यंत्र, औजार, उपकरणों का भी देवता माना जाता है. इनके पांच पुत्र मनु, मय, त्वष्टा, शिल्पी और दैवज्ञ हैं.

कौन कर सकता है पूजा

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कौन कर सकता है पूजा

विश्वकर्मा पूजा का महत्व उन लोगों के बीच बहुत अधिक है जो तकनीकी और निर्माण क्षेत्र में कार्यरत हैं, जैसे कि इंजीनियर, आर्किटेक्ट्स, मेकैनिक, और कारीगर.

कारीगरों को लाभ

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कारीगरों को लाभ

इस पर्व के जरिये लोग भगवान विश्वकर्मा से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं और उनसे सफलता की प्रार्थना करते हैं. माना जाता है कि इस दिन उपकरणों और मशीनों की पूजा करने से वो सुरक्षित रहती हैं और उनके जरिये कारीगरों को लाभ प्राप्त होता है. 

पूजा विधि

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पूजा विधि

सबसे पहले भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा या चित्र पर पुष्प, चंदन, रोली, और अक्षत (अटूट चावल) अर्पित करें. इसके बाद धूप और दीप जलाकर भगवान का ध्यान करें. 

प्रसाद वितरित करें

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प्रसाद वितरित करें

इसके बाद भगवान विश्‍वकर्मा को मिठाई और फल अर्पित करें. फ‍िर विश्वकर्मा चालीसा, आरती और अन्य स्तोत्रों का पाठ कर सकते हैं. घर के लोगों में प्रसाद वितरण करें.