इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सूर्योदय से लेकर लगभग 11 बजकर 42 मिनट तक रहेगा. साथ ही अभिजीत मुहूर्त (11 बजकर 51 मिनट से 12 बजकर 40 मिनट तक) में भी विश्वकर्मा भगवान की पूजा करना शुभ माना जाएगा.
माना जाता है कि भगवान विश्वकर्मा ने ही देवताओं के लिए महलों, हथियारों और इमारतों का निर्माण किया था. इसीलिए विश्वकर्मा जयंती के दिन औजारों-मशीनों, हथियारों और लोहे की पूजा की जाती है.
भगवान विश्वकर्मा सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी के सातवें पुत्र थे. इन्हें निर्माण का देवता माना जाता है. मान्यता है कि रावण की लंका, पांडवों के लिए इंद्रप्रस्थ और श्रीकृष्ण के लिए द्वारका का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने ही किया था.
साथ ही भगवान विश्वकर्मा ने यमराज का कालदंड, भगवान विष्णु का सुदर्शन चक्र, भगवान शिव का त्रिशूल, पुष्पक विमान समेत कई अस्त्र-शस्त्र और उपकरणों का निर्माण किया.
भगवान विश्वकर्मा को यंत्र, औजार, उपकरणों का भी देवता माना जाता है. इनके पांच पुत्र मनु, मय, त्वष्टा, शिल्पी और दैवज्ञ हैं.
विश्वकर्मा पूजा का महत्व उन लोगों के बीच बहुत अधिक है जो तकनीकी और निर्माण क्षेत्र में कार्यरत हैं, जैसे कि इंजीनियर, आर्किटेक्ट्स, मेकैनिक, और कारीगर.
इस पर्व के जरिये लोग भगवान विश्वकर्मा से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं और उनसे सफलता की प्रार्थना करते हैं. माना जाता है कि इस दिन उपकरणों और मशीनों की पूजा करने से वो सुरक्षित रहती हैं और उनके जरिये कारीगरों को लाभ प्राप्त होता है.
सबसे पहले भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा या चित्र पर पुष्प, चंदन, रोली, और अक्षत (अटूट चावल) अर्पित करें. इसके बाद धूप और दीप जलाकर भगवान का ध्यान करें.
इसके बाद भगवान विश्वकर्मा को मिठाई और फल अर्पित करें. फिर विश्वकर्मा चालीसा, आरती और अन्य स्तोत्रों का पाठ कर सकते हैं. घर के लोगों में प्रसाद वितरण करें.