प्रयागराज: अभिव्यक्ति की आजादी को ले कर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है. हाई कोर्ट का कहना है कि राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति पर असंतोष व्यक्त करना गलत नहीं है, बल्कि यह हमारा संवैधानिक अधिकार है. भारतीय संविधान के अनुच्छेद-19 से हमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी मिलती है. इस आदेश के साथ ही हाई कोर्ट ने याची के खिलाफ दर्ज की गई रिपोर्ट को खारिज कर दिया.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

ये भी पढ़ें: सरकारी मिल को बताने लगा अपनी, पूजा-पाठ भी कर डाली, 2 महीने में उजागर फर्जीवाड़ा


याची ने पोस्ट में सीएम के लिए लिखा था यह
जानकारी मिली है कि याची यशवंत सिंह ने ट्विटर पर उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री और राज्य की कानून व्यवस्था को लेकर टिप्पणी की थी. उसने ट्वीट कर लिखा था कि यूपी के सीएम ने प्रदेश को जंगलराज में तब्दील कर दिया है. पोस्ट में यह भी लिखा गया था कि प्रदेश में कानून व्यवस्था नहीं है. जिसके बाद 2 अगस्त 2020 को उसके खिलाफ कानपुर देहात में रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी. याची के खिलाफ सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 500 मानहानि और 66डी कंप्यूटर संसाधन का उपयोग करके धोखाधड़ी का केस दर्ज हुआ था.


ये भी पढ़ें: देश के 9 करोड़ किसानों को PM मोदी ने दी सौगात, कृषि कानूनों पर भी बोले, पढ़ें उनके भाषण की 8 बड़ी बातें


रद्द की गई सारी कार्रवाई
मामले की सुनवाई के बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट ने याची यशवंत सिंह के खिलाफ दर्ज की गई रिपोर्ट को खारिज करते हुए पहले की कार्रवाई भी रद्द कर दी. यह आदेश जस्टिस पंकज नकवी और जस्टिस विवेक अग्रवाल की बेंच ने दिया है.


WATCH LIVE TV