इंदिरा के अंदाज में दिखीं प्रियंका, जनता का भरोसा जीतने की ली जिम्मेदारी
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इंदिरा के अंदाज में दिखीं प्रियंका, जनता का भरोसा जीतने की ली जिम्मेदारी

प्रियंका गांधी का काफिला वाराणसी BHU के ट्रॉमा सेंटर से जैसे ही मिर्जापुर के नारायणपुर के तरफ बढ़ा तो उन्हें धारा 144 की बात बताते हुए प्रशासन ने सोनभद्र जाने से रोक दिया था.

कई शहरों में सरकार और प्रशासन के खिलाफ कांग्रेस के कार्यकताओं ने विरोध प्रदर्शन किया.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस अलग ही कलेवर में दिखती नजर आ रही है. भले ही कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में गहरी निराशा हाथ लगी थी. लेकिन, अब कांग्रेस के लिए प्रियंका गांधी वाड्रा संजीवनी का काम कर रही हैं. ऐसे में पार्टी के प्रति जनता का भरोसा फिर से जीतने की जिम्मेदारी प्रियंका गांधी ने अपने कंधों पर ली है. जमीनी विवाद को लेकर हुए सोनभद्र नरसंहार के दौरान 10 लोगों की मौत की खबर आई तो, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी पीड़ित परिवारों से मुलाकात करने सोनभद्र के लिए निकल पड़ीं. 26 घंटे तक संघर्ष करती रहीं और आखिर में कामयाब हुईं. अब रविवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी पीड़ित परिवार से मिलने पहुंच रहे हैं.

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शुक्रवार को जब प्रियंका गांधी का काफिला वाराणसी BHU के ट्रॉमा सेंटर से जैसे ही मिर्जापुर के नारायणपुर के तरफ बढ़ा तो उन्हें धारा 144 की बात बताते हुए प्रशासन ने सोनभद्र जाने से रोक दिया. 26 घंटे तक वह मिर्जापुर के चुनार गेस्ट हाउस पर डटी रहीं. प्रशासन को कहती रहीं या तो मुझे परिवार से मिलने जाने दीजिए नही तो परिवार को ले आइये तभी मे यहां से जाऊंगी. रातभर उनके साथ बड़ी संख्या में कांग्रेसी कार्यकर्ताओं का जमावड़ा रहा. कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों, बड़े नेताओं और प्रवक्ता समेत देशभर के कार्यकर्ताओं ने एकजुटता जाहिर की.

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कई शहरों में सरकार और प्रशासन के खिलाफ कांग्रेस के कार्यकताओं ने विरोध प्रदर्शन किया. प्रियंका गांधी से मिलने के लिए खुद पीड़ित परिवार के महिलाएं खबर मिलते ही पहुंच गईं. महिलाएं प्रियंका को साथ पाकर भावुक हो गईं और सभी ने उन्हें अपनी पीड़ा बताई. प्रियंका गांधी ने सोनभद्र हत्याकांड के पीड़ित परिवारों से मिलने के बाद धरना खत्म किया. प्रियंका गांधी ने धरना खत्म करने के बाद मृतकों के परिवार को कांग्रेस की ओर से 10-10 लाख रुपये का अनुदान देने का ऐलान किया. साथ ही प्रियंका गांधी ने प्रशासन से 25 लाख का मुआवजा देने को कहा. उसके बाद प्रियंका वाराणसी के लिए निकल गईं, जहां उन्होंने काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन पूजन करने किया और दिल्ली के लिए निकल गईं.

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कई अफसर आये समझाने को, कई ट्वीट हुए
प्रियंका गांधी को एडीजी वाराणसी बृज भूषण, वाराणसी कमिश्नर दीपक अग्रवाल, कमिश्नर मीरजापुर, DIG मीरजापुर समझाने पहुंचे. लगातार 1 घंटे तक समझाते रहे लेकिन कोई फायदा दिखता नजर नही आया वह निराश होकर चले गए.

प्रियंका का पहला ट्वीट
उत्तर प्रदेश सरकार की ड्यूटी है अपराधियों को पकड़ना. मेरा कर्तव्य है अपराध से पीड़ित लोगों के पक्ष में खड़े होना. भाजपा अपराध रोकने में तो नाकामयाब है मगर, मुझे मेरा कर्तव्य करने से रोक रही है. मुझे पीड़ितों के समर्थन में खड़े होने से कोई रोक नहीं सकता. कृपया अपराध रोकिए.

लगातार चला ट्वीट का सिलसिला
अगर सरकार पीड़ितों से मिलने के अपराध के लिए मुझे जेल में डालना चाहें तो मैं इसके लिए पूरी तरह से तैयार हूं.

मैं नरसंहार का दंश झेल रहे गरीब आदिवासियों से मिलने, उनकी व्यथा-कथा जानने आयी हूं. जनता का सेवक होने के नाते यह मेरा धर्म है और नैतिक अधिकार भी. उनसे मिलने का मेरा निर्णय अडिग है.

मैंने इनसे मेरे वकीलों के मुताबिक मेरी गिरफ़्तारी हर तरह से गैर-क़ानूनी है. मुझे इन्होंने सरकार का संदेश दिया है कि मैं पीड़ित परिजनों से नहीं मिल सकती.

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