लखनऊ : राज्यसभा चुनावों में 8 सीट पर जीत पहले से ही तय कर चुकी बीजेपी के खाते में जैसे ही नौंवी सीट गई पार्टी के वारे-नायरे हो गए. मतदान से लेकर वोटों की गिनती तक इन चुनावों में मुकाबला आखिरी तक रोमांच बरकरार रहा. खास बात यह रही की बीजेपी पहले 8 सीटों के लिए आश्वास्त थी, लेकिन उसके खाते में 9 सीटें गई जिसने बुआ-भतीजे की सारी राजनीतिक प्रक्रिया का खेल पलट कर रख दिया. इन चुनावों में बीजेपी को अपनी एकजुटता के साथ बसपा-सपा के गठबंधन से नाराज चल रहे विधायकों से फायदा मिला है.
- यूपी की 10 राज्यसभा सीटों पर हुआ मतदान
- 10 सीटों में से 9 पर बीजेपी ने जीत दर्ज की है
- बीएसपी ने लगाए चुनावों में धांधली के आरोप
ये बनीं बीजेपी की 9वीं सीट की संजीवनी
- यूपी की राज्यसभा सीट पर मतदान की प्रक्रिया शुरू होने ही वाली थी कि सपा और बसपा को करार झटका लगा. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जेल में बंद बसपा विधायक मुख्तार अंसारी के वोट डालने पर रोक लगा दी. बसपा के बाद ही जेल में कैद सपा विधायक हरिओम यादव को भी वोट डालने की इजाजत नहीं दी गई. इन दोनों चुनावों के दम पर बसपा-सपा एक और उम्मीदवार जीतवाने में सफल हो सकती थी, लेकिन यह दोनों की वोट योगी सरकार के लिए चुनावी मैदान में मास्टर स्ट्रोक साबित हो गए.
- यूपी राज्यसभा चुनावों के लिए दोनों पक्षों की तरफ से क्रॉस वोटिंग की कोशिश की गई. पहले बुआ-बबुआ को झटका देते हुए सपा विधायक नितिन अग्रवाल और बसपा विधायक अनिल सिंह ने बीजेपी को वोट दिया. ऐसे में दो और वोट बीजेपी के खाते में चले गए, लेकिन बीजेपी अपना एक वोट बचाने में नाकामयाब रही. बीजेपी की सहयोगी पार्टी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के विधायक कैलाश नाथ सोनकर की ओर से भी क्रॉस वोटिंग की गई.
- इन चुनावों में बीजेपी की ओर काफी सतर्कता और समझदारी बरती गई. पार्टी के एक भी विधाय़क ने क्रॉस वोटिंग नहीं की. क्रॉस वोटिंग ना करने के पीछे सीएम योगी आदित्यनाथ का हाथ माना जा रहा है. ऐसा इसलिए है क्योंकि चुनावों से ठीक पहले योगी ने एक बैठक बुलाई थी. माना जा रहा है कि इस बैठक में ही योगी ने पूरा प्लान विधायकों के साथ शेयर किया था. इस मीटिंग में पहले ही योगी ने विधायकों को मतदान के दौरान क्या करना है और क्या नहीं करना है इस पर रणनीति पूरी तरह से समझा दी.
- एक तरफ योगी पार्टी के विधायकों का मोर्चा संभाले हुए थे तो दूसरी ओर यूपी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेंद्रनाथ पांडेय, ने बसपा और कांग्रेस से बीजेपी खेमें में आए मंत्रियों से तालमेल मिलाया और क्रॉस वोटिंग पर रणनीति ने मनाई. वहीं, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने नाराज विधायकों को मनाने का काम करते हुए राजभर को अपने खेमे कर एक वोट पार्टी के नाम करने में सफल रहे.
- विधायकों के साथ योगी ने निर्दलीय विधाय़कों का पलड़ा अपनी ओर करते हुए विधायक अमन मणि और निषाद पार्टी के विजय मिश्रा के वोट बीजेपी खेमे की तरफ खींचने का काम किया, जिससे सपा और बसपा को बड़ा झटका लगा.
- नौंवी सीट को डगमगाता देख मतदान के दौरान ही बीजेपी नेताओं ने आपात बैठक की और आगे की रणनीति पर चर्च करते हुए सिर्फ माहौल बनाए रखा की वह जीत रही है. पार्टी के नेताओं को पहले ही कह दिया गया कि वह अपना आत्म विश्वास ना खोएं.
- सपा और बसपा के मिलन के बाद पार्टी के ही नेता एक-दूसरे से नाराज दिखे, जिसका फायदा बीजेपी को हुआ. सपा और बसपा के दो विधायकों ने ना सिर्फ बीजेपी उम्मीदवार को वोट दिया बल्कि अपनी ही पार्टी की तरफ बागी तेवर दिखाए, जिससे अन्य में सपा-बसपा के प्रति एक नकारात्मक संदेश गया.
- 9वें उम्मीदवार के रूप में बीजेपी ने वैश्य वोटबैंक का ध्यान रखा और अनिल अग्रवाल को उम्मीदवार बनाया. अनिल को पार्टी के बचे हुए 28 अतिरिक्त और क्रॉट वोटिंग के जरिए जीत हासिल की. बता दें कि अग्रवाल का यूपी में एक इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट कॉलेज हैं. हालांकि जिस तरह आखिरी तक मुकाबला रोमांचित रहा और अंत में सिर्फ एक वोट ने विपक्ष का खेल बिगाड़ दिया. अनिल अग्रवाल को 33 जबकि भीमराव अंबेडकर को 32 वोट मिले.