आजम खान बोले, `बेसिक शिक्षा आज भी पेड़ों के नीचे हो रही है, अल्पसंख्यकों को कहां से देंगे सहूलियत?`
उन्होंने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि मदरसों को आज तक मिड डे मील से महरूम रखा है और बात आधुनिक मदरसे की करते हैं. वजीफा देने की बात तो कर रहे हैं, लेकिन साथ ही इंस्टीटूशन खत्म कर रह हैं.
नई दिल्ली/रामपुर: एक बार फिर से मोदी सरकार के बनने के बाद सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास के नए नारे के साथ देश के अल्पसंख्यकों को साथ लेकर चलने के लिए अल्पसंख्यक मंत्रालय ने सक्रियता दिखाते हुए देश के अल्पसंख्यक विद्यार्थियों के लिए अगले पांच वर्ष का खाका खींच दिया है. सरकार ने तय किया है कि देश भर के मदरसों में मुख्यधारा की शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए मदरसा शिक्षकों को विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों से प्रशिक्षण दिलाया जाएगा, ताकि वे मदरसों में मुख्यधारा की शिक्षा-हिंदी, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान, कंप्यूटर आदि दे सकें. सरकार के इस फैसले पर सपा नेता और रामपुर से सांसद आजम खान ने निशाना साधा है.
सही हो मदरसो का स्टैंडर्ड
उन्होंने कहा कि दो तरह के शिक्षा होती है. मदरसों में मजहबी तालीम दी जाती है. उन्हीं मदरसो में अंग्रेजी, हिन्दी, गणित पढ़ाई जाती है. उन्होंने कहा कि अगर मदद करनी है तो मदरसों का स्टैंडर्ड सही करना होगा. उन्होंने कहा कि झूठ बोलने, ठगी करने या धोखा देने से नुकसान हिन्दुस्तान का होगा.
अल्पसंख्यकों को कहां से देंगे सहूलियत
सपा सांसद ने देश की बेसिक शिक्षा पर निशाना साधते हुए कहा कि जिस मुल्क में हमारी बेसिक शिक्षा अभी भी पेड़ों के नीचे बैठकर पढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि बच्चे घर से टाट-फट्टा लेकर जाते हैं. तो सवाल ये कि सरकार सिर्फ अल्पसंख्यकों को कहां से सहूलियत देगी.
सरकार पर साधा निशाना
रामपुर सांसद आजम खान ने कहा कि आधुनिक मदरसे बनवाइए, उनकी इमारते बनावाइए, तन्खवा दिलवाइए ये अच्छी बात है. लेकिन धोखा मत दीजिए. उन्होंने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि मदरसों को आज तक मिड डे मील से महरूम रखा है और बात आधुनिक मदरसे की करते हैं. वजीफा देने की बात तो कर रहे हैं, लेकिन साथ ही इंस्टीटूशन खत्म कर रह हैं. उन्होंने जौहर यूनिवर्सिटी का जिक्र करते हुए कहा कि ले देकर एक अल्पसंख्यक संस्थान बचा है और बीजेपी सरकार उसके पीछे पड़ी हुई है कि किस तरह उसे बर्बाद किया जाए.
... तो इन्हें माना जाए लोकतंत्र का दुश्मन
उन्होंने इस दौरान प्रज्ञा ठाकुर और नाथूराम गोडसे के विचारों को बढ़ावा देने वालों पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि मदरसे में नाथूराम गोडसे की फितरत पैदा नहीं की जाती, प्रज्ञा ठाकुर जैसी शखसियत पैदा नहीं की जाती. पहले सरकार को इन्हें रोकना चाहिए. उन्होंने कहा सरकार को ऐलान करना चाहिए कि नाथूराम गोडसे के विचारों को बढ़ावा देनेवालों को लोकतंत्र का दुश्मन माना जाएगा.
क्या लिया मोदी सरकार ने फैसला
आपको बता दें कि अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी के नेतृत्व में मंगलवार को दिल्ली के अंत्योदय भवन में मौलाना आजाद एजुकेशन फाउंडेशन की 112वीं गवर्निंग बॉडी और 65वीं आम सभा की बैठक हुई. इस बैठक के बाद मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि मोदी सरकार ने सांप्रदायिकता और तुष्टीकरण की 'बीमारी' को खत्म किया है और देश में स्वस्थ समावेशी विकास का माहौल बनाया है. नकवी ने कहा कि सरकार 'समावेशी विकास, सर्वस्पर्शी विश्वास' के प्रति प्रतिबद्ध है.
केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि देशभर में बने बड़ी संख्या में मदरसों को औपचारिक शिक्षा और मुख्यधारा की शिक्षा से जोड़ा जाएगा, ताकि मदरसों में पढ़ने वाले बच्चे भी समाज के विकास में योगदान दे सकें. उन्होंने अल्पसंख्यकों को मिलने वाली स्कॉलरशिप पर कहा है कि केंद्र सरकार पांच करोड़ से ज्यादा गरीब अल्पसंख्यक वर्गों के गरीब छात्र छात्राओं को वजीफा देगी. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार अल्पसंख्यक वर्गों के सशक्तिकरण के साथ शैक्षणिक, सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए प्रतिबद्ध है.