अयोध्या विवाद पर रामविलास वेदांती ने जताई उम्मीद, मंदिर के पक्ष में आ सकता है फैसला
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अयोध्या विवाद पर रामविलास वेदांती ने जताई उम्मीद, मंदिर के पक्ष में आ सकता है फैसला

उन्होंने कहा कि रामलला जहां विराजमान हैं, वहां मंदिर था और वहीं रहेगा. उन्होंने कहा जहां कभी मस्जिद थी ही नहीं, वहां मस्जिद कैसे बन सकती है.

फाइल फोटो

नई दिल्ली/फैजाबाद: अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट गुरुवार (27 सितंबर) को अहम फैसला सुना सकता है. फैसला, 1994 में सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम व्‍यवस्‍था देते हुए कहा था कि मस्जिद, इस्लाम का अभिन्न हिस्सा नहीं है. फैसला आने से पहले राम जन्मभूमि न्यास के वरिष्ठ सदस्य डॉक्टर रामविलास वेदांती का कहना है कि फैसला मंदिर के पक्ष में ही आएगा. उन्होंने कहा कि मस्जिद में हिंदू देवता देवी देवता नहीं होते हैं, इसलिए वहां मस्जिद कभी नहीं थी. 

उन्होंने कहा कि रामलला जहां विराजमान हैं, वहां मंदिर था और वहीं रहेगा. उन्होंने कहा जहां कभी मस्जिद थी ही नहीं, वहां मस्जिद कैसे बन सकती है. बाबरी मस्जिद विवाद पर उन्होंने कहा कि बाबक कभी भी अयोध्या में नहीं आया. अयोध्या की गली-गली में राम नाम है. 

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नमाज के सवाल पर उन्होंने कहा कि अयोध्या में बहुत सी मस्जिद हैं और मुस्लिम कहीं भी नमाज पढ़ सकते हैं, तो दूसरी मस्जिदों में जाकर नामाज पढ़ी जा सकती है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विश्व शांति के अजेंडे के तहत सहमति कायम करते हुए उन्होंने अयोध्या में भव्य राम मंदिर बने और लखनऊ में खुदा के नाम पर भव्य मस्जिद बन जाए. 

कोर्ट में क्या फैसले आएगा इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि फैसला राम मंदिर के पक्ष में आएगा, क्योंकि कोर्ट में बैठे जज पढ़े-लिखें हैं और वो ये अच्छी तरह जानते हैं कि बाबर कभी भी अयोध्या नहीं आया.  

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आपको बता दें कि प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति अशोक भूषण तथा न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की पीठ गुरुवार को मालिकाना हक को लेकर अपना फैसला सुना सकती है. पीठ ने 20 जुलाई को इसे सुरक्षित रख लिया था. अयोध्या मामले के एक मूल वादी एम सिद्दीक ने एम इस्माइल फारूकी के मामले में 1994 के फैसले में इन खास निष्कर्षों पर ऐतराज जताया था जिसके तहत कहा गया था कि मस्जिद इस्लाम के अनुयायियों द्वारा अदा की जाने वाली नमाज का अभिन्न हिस्सा नहीं है. सिद्दीकी की मृत्यु हो चुकी है और उनका प्रतिनिधित्व उनके कानूनी वारिस कर रहे हैं.

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मुस्लिम समूहों ने प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष यह दलील दी है कि इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट के अवलोकन पर पांच सदस्यीय पीठ द्वारा पुनर्विचार करने की जरूरत है क्योंकि इसका बाबरी मस्जिद - राम मंदिर भूमि विवाद मामले पर असर पड़ेगा. वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने सिद्दीक के कानूनी प्रतिनिधि की ओर से पेश होते हुए कहा था कि मस्जिदें इस्लाम का अभिन्न हिस्सा नहीं है, यह टिप्पणी उच्चतम न्यायालय ने बगैर किसी पड़ताल के या धार्मिक पुस्तकों पर विचार किए बगैर की.

उत्तर प्रदेश सरकार ने शीर्ष न्यायालय से कहा था कि कुछ मुस्लिम समूह ‘इस्लाम का अभिन्न हिस्सा मस्जिद के नहीं होने’ संबंधी 1994 की टिप्पणी पर पुनर्विचार करने की मांग कर लंबे समय से लंबित अयोध्या मंदिर - मस्जिद भूमि विवाद मामले में विलंब करने की कोशिश कर रहे हैं. अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने उप्र सरकार की ओर से पेश होते हुए कहा था कि यह विवाद करीब एक सदी से अंतिम निर्णय का इंतजार कर रहा है.

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