आखिर कैसे पूरी दुनिया के लिए खतरा बन गया इराक में जन्मा खूंखार आतंकी संगठन ISIS? पढ़ें
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आखिर कैसे पूरी दुनिया के लिए खतरा बन गया इराक में जन्मा खूंखार आतंकी संगठन ISIS? पढ़ें

ISIS का मतलब है इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया, IS का मतलब है इस्लामिक स्टेड और ISI का मतलब है इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक. ये एक ही संगठन के अलग-अलग नाम हैं, जो समय-समय पर बदलते रहे हैं.

सांकेतिक तस्वीर.

लखनऊ: उत्तर भारत में इन दिनों ISIS नाम अचानक चर्चा में आ गया है. इसका कारण है ISIS के एक आतंकी का दिल्ली में पकड़ा जाना. यह आतंकी उत्तर प्रदेश के बलरामपुर का रहने वाला है. आपके मन में सवाल आ रहा होगा कि यह ISIS है क्या? आइए जानते हैं दुनिया के इस सबसे बड़े आतंकी संगठन के बारे में सबकुछ. इसे IS या ISI नाम से भी जाना जाता है. ISIS का मतलब है इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया, IS का मतलब है इस्लामिक स्टेट और ISI का मतलब है इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक. ये एक ही संगठन के अलग-अलग नाम हैं, जो समय-समय पर बदलते रहे हैं. वर्तमान में IS नाम ही प्रचलित है.

मध्य एशिया का खूंखार आतंकवादी संगठन आईएसआईएस
ISIS मध्य एशिया का एक खूंखार आतंकवादी संगठन है, जिसकी चाहत पूरी दुनिया में इस्लाम का परचम लहराना है. अमेरिका ने एक लंबी लड़ाई के बाद इराक को तानाशाह सद्दाम हुसैन के शासन से 2003 में आजाद करा चुका था. हालांकि, इराक को सद्दाम हुसैन की तानाशाही से आजादी की कीमत बर्बाद होकर चुकानी पड़ी. क्योंकि अमेरिका की बमबारी में इराक के ज्यादातर शहर खंडहर में तब्दील हो गए. हजारों लोगों की मौत हुई, अर्थव्यवस्था खत्म हो गई. सद्दाम हुसैन को इराकी कोर्ट ने 5 नवंबर 2006 को ''मानवता के विरुद्ध अपराध'' का दोषी करार देते हुए सजा-ए-मौत सुनाई. सद्दाम हुसैन को 30 दिसंबर 2006 को फांसी दे दी गई.

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जानिए कैसे बना आईएसआईएस?
अमेरिकी सेना के इराक छोड़ते ही बहुत से छोटे-मोटे गुट सत्ता हथियाने की लालच में आपस में लड़ने-झगड़ने लगे. उन्हीं में एक गुट का नेता था अबु बक्र अल-बगदादी. तब वह अल-कायदा इराक का प्रमुख हुआ करता था. उसने 2006 से ही इराक में अपनी जमीन तैयार करनी शुरू कर दी थी. अमेरिकी सेना 2011 में जब इराक से लौटी तो इराक पर कब्जे के लिए बगदादी ने युद्ध छेड़ दिया. उसने अपने संगठन अल-कायदा इराक का नाम बदल कर आईएसआई यानी ''इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक'' रखा. हालांकि, बगदादी को इराक पर कब्जा करने के लिए अभी इंतजार करना पड़ा.

बगदादी ने इराक से सीरिया का रुख किया
बगदादी के साथ तब तक हजारों लड़ाके लोग जुड़ चुके थे. उसने सद्दाम हुसैन की सेना के कमांडर्स और सोल्जर्स को अपने साथ मिला लिया. उसने इराक में पुलिस और सेना के दफ्तरों को निशाना बनाना शुरू किया. फिर भी बगदादी को इराक में वह कामयाबी नहीं मिल रही थी, जिसकी चाहत उसे थे. बगदादी ने रणनीति के तहत इराक से सीरिया का रुख किया. उसने अपने संगठन का नाम बदलकर ISIS यानी ''इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया'' रखा. सीरिया गृह युद्ध में बुरी तरह उलझा हुआ था.

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सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल-असद को पद से हटाने के विरोध में अल-कायदा और फ्री सीरियन आर्मी नाम के दो सबसे बड़े मोर्चा ले रहे थे. बशर अल-असद सरकार को रूस, ईरान और हिजबुल्ला से मदद मिल रही थी, जबकि फ्री सीरियन आर्मी के पक्ष में अमेरिका, इजरायल, सऊदी अरब जैसे देश थे. बगदादी सीरिया में भले ही पहुंच गया था, लेकिन उसे यहां भी शुरुआती 4 साल तक कोई बड़ी कामयाबी नहीं मिली. जून 2013 में फ्री सीरियन आर्मी के जनरल ने पहली बार सामने आकर दुनिया से अपील की थी कि अगर उन्हें हथियार नहीं मिले तो चरमपंथी संगठनों के खिलाफ वह अपनी जंग एक महीने के अंदर हार जाएंगे.

फ्री सीरियन आर्मी के नाम पर बगदादी ने दुनिया की आंखों में धूल झोंकी
इस अपील के हफ्ते भर के अंदर ही अमेरिका, इजराइल, जॉर्डन, टर्की, सऊदी अरब और कतर ने फ्री सीरियन आर्मी को हथियार, पैसे और ट्रेनिंग देनी शुरू कर दी. यहीं से आईएसआईएस और बगदादी पूरी दुनिया के लिए खतरा बन गए. दरअसल जो हथियार इन देशों की ओर से फ्री सीरियन आर्मी के लिए भेजे गए थे, साल भर के अंदर आईएसआईएस ने उन पर कब्जा कर लिया. क्योंकि फ्री सीरियन आर्मी में आईएसआईएस सेंध लगा चुका था. फ्री सीरियन आर्मी के अधिकतर बड़े कमांडर बगदादी के साथ हो लिए थे. एक तरह से आईएसआईएस ने फ्री सीरियन आर्मी के नाम पर दुनिया के ताकतवर देशों को धोखा दिया और सीरिया तथा इराक के एक बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया.

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इराक और सीरिया में ISIS हुआ कमजोर
अमेरिका को अपनी गलती का अहसास होने पर उसने सीरिया और इराक को आईएसआईएस के खिलाफ लड़ाई में सहयोग दिया. सीरियाई कुर्द बलों के साथ मिलकर इस्लामिक स्टेट के खिलाफ अभियान चलाया. इसमें आईएसआईएस को काफी नुकसान हुआ बहुत. सीरिया के जिन इलाकों पर आईएसआईएस का कब्जा, वे धीरे-धीरे उसके हाथ से निकलने लगे. इराक में इस इस्लामिक संगठन से जुड़े लड़ाके अमेरिका समर्थित फौज के सामने घुटने टेक चुके हैं. इराक के सबसे बड़े शहरों में एक मोसुल अब आईएसआईएस के हाथ से निकल चुका है. इन दोनों देशों में आईएसआईएस की कमर जरूर टूट चुकी है, लेकिन अस्तित्व नहीं मिटा है.

अबु बक्र अल-बगदादी की 2019 में हुई मौत
दुनिया के सबसे बड़े आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया यानी ISIS का सरगना अबु बक्र अल-बगदादी  26 अक्टूबर, 2019 की शाम सीरिया में हुए अमेरिकी सेना के ऑपरेशन में मारा गया था. अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने 27 अक्टूबर, 2019 को उसकी मौत का ऐलान किया था. ट्रंप ने बताया था कि उत्तर-पश्चिमी सीरिया के इदलिब प्रांत में बसे ‘बारिशा’ नाम के गांव में बगदादी का ठिकाना था. यह गांव तुर्की की सीमा के पास पड़ता है. अमेरिकी सेना ने यहां एक सीक्रेट ऑपरेशन को अंजाम दिया. बगदादी अमेरिकी सेना के ऑपरेशन की भनक पाकर सुरंग के जरिए भागने लगा. जब उसे लगा कि वह नहीं बच पाएगा, उसने खुद को बम से उड़ा लिया. इस धमाके में उसके तीन बच्चे भी मारे गए.

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