छठ पूजा में डूबते सूरज को अर्घ्य कैसे दें, छठी मैया के 36 घंटे के व्रत में किन बातों का रखें ध्यान
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छठ पूजा में डूबते सूरज को अर्घ्य कैसे दें, छठी मैया के 36 घंटे के व्रत में किन बातों का रखें ध्यान

Chhath Puja 2024: छठ पूजा का पर्व विशेष रूप से बिहार में बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है.  यह व्रत संतान के सुखी जीवन की कामना के लिए किया जाता है.  छठ पर्व की शुरुआत षष्ठी तिथि से दो दिन पहले यानी की चतुर्थी तिथि से होती है. छठ के तीसरे दिन यानी कि 7 नवंबर को संध्या अर्घ्य दिया जाएगा.

छठ पूजा में डूबते सूरज को अर्घ्य कैसे दें, छठी मैया के 36 घंटे के व्रत में किन बातों का रखें ध्यान

Chhath Puja 2024: आस्था का महापर्व छठ का आज तीसरा दिन है. आज डूबते सूर्य को शाम का अर्घ्य दिया जाएगा और इसकी तैयारियां जोरों पर हैं.  छठ पर्व की शुरुआत कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन नहाय खाय से हुई.  पंचमी को खरना, षष्ठी को डूबते सूर्य को अर्घ्य और उगते सूर्य सप्तमी को अर्घ्य देकर व्रत समाप्त हो जाएगा. चार दिवसीय त्योहार में सूर्य और छठी मैया की पूजा होती है. ये व्रत काफी कठिन माना जाता है क्योंकि इस व्रत को कठोर नियमों के अनुसार 36 घंटे तक रखा जाता है. छठ पर्व में मुख्यतः सूर्य देव को अर्घ्य देने का सबसे ज्यादा महत्व माना गया है. आइए जानते हैं छठ पूजा की तिथियां अर्घ्य का समय और पारण समय क्या है.

छठ पर्व के 4 दिन
छठ पूजा- पहला दिन, 5 नवंबर 2024- नहाय खाय
छठ पूजा- दूसरा दिन, 6 नवंबर 2024- खरना
छठ पूजा- तीसरा दिन, 7 नवंबर 2024- डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य
छठ पूजा- चौथा दिन, 8 नवंबर 2024- उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का पारण

संध्या अर्घ्य का समय
 तीसरा दिन छठ पूजा पर सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है. इस दिन शाम का अर्घ्य होता है. छठ के व्रती घाट पर आकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं. 
द्रिक पंचांग के अनुसार 
7 नवंबर को सूर्योदय प्रातः 06:42 बजे और सूर्यास्त सायं 05:48 बजे होगा.  इस दिन भक्त कमर तक पानी में खड़े होकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं.

उगते सूर्य को अर्घ्य 
छठ महापर्व का अंतिम और चौथा दिन सप्तमी तिथि होता है. इस दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण किया जाता है.  08 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा.

द्रिक पंचांग के अनुसार 
उषा अर्घ्य समय:08 नवंबर 2024 की सुबह 06 बजकर 38 मिनट तक होगा. इसके बाद ही 36 घंटे का व्रत समाप्त होता है. अर्घ्य देने के बाद व्रती प्रसाद का सेवन करके व्रत का पारण करते हैं. 

क्यों जरूरी है सूर्य को अर्घ्य 
शास्त्रों में सूर्य देव को ग्रहों का राजा कहा जाता है. सूर्य देव की पूजा करने से और विशेष रूप से उन्हें रोजाना अर्घ्य देने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन के संकट दूर हो जाते हैं.  सूर्य देव की पूजा से व्यक्ति का भाग्य साथ देने लगता है, सौभाग्य में वृद्धि होती है. पुराणों में कहा गया है कि इसी कारण से रामायण में भगवान श्री राम और महाभारत में कर्ण ने अपने जीवनकाल में हमेशा सूर्य को जल चढ़ाया और सूर्य की विधिवत पूजा-आराधना भी की थी.

कैसे रखते हैं छठ व्रत ?
छठ पूजा के लिए दो बड़े बांस की टोकरी लें, जिन्हें पथिया और सूप के नाम से जाना जाता है. इसके साथ ही डगरी, पोनिया, ढाकन, कलश, पुखार, सरवा भी जरूर रख लें. बांस की टोकरी में भगवान सूर्य देव को अर्पित करने वाला भोग रखा जाता है. जिनमें ठेकुआ, भुसवा, सुपारी, अंकुरी,मखान, अक्षत, गन्ना आदि चीजें शामिल हैं. इन सबके अतिरिक्त सूप में पांच प्रकार के फल जैसे शरीफा, नारियल, केला, नाशपाती और डाभ (बड़ा वाला नींबू) रखा जाता है. टोकरी में पांच रंग की मिठाई रखी जाती है. इस बात का जरूर ध्यान रखें कि जिन टोकरी में आप छठ पूजा के लिए प्रसाद रखा रहे हैं उन पर सिंदूर और पिठार जरूर लगा लें.इस दिन भगवान सूर्य देव को अर्घ्य देने के लिए बांस या पीतल की टोकरी या सूप इस्तेमाल करना चाहिए.

Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. Zeeupuk इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.

Chhath Puja 2024: महापर्व छठ के तीसरे दिन क्यों देते हैं डूबते हुए सूरज को अर्घ्य, जानें इसके पीछे की मान्यता

 

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