Dahi Handi 2024: क्यों मनाते हैं दही हांडी उत्सव? कैसे हुई शुरुआत? जन्माष्टमी पर लीला दिखाएंगे माखनचोर कान्हा
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Dahi Handi 2024: क्यों मनाते हैं दही हांडी उत्सव? कैसे हुई शुरुआत? जन्माष्टमी पर लीला दिखाएंगे माखनचोर कान्हा

Dahi Handi 2024: सनातन धर्म में भाद्रपद मास श्रीकृष्ण की पूजा के लिए समर्पित है. इसी महीने में कृष्ण जन्माष्टमी भी धूमधाम से मनाई जाती है, जिसे कृष्ण जन्मोत्सव के नाम से भी जाना जाता है. इसके ठीक अगले दिन दही हांडी का त्योहार भी मनाया जाता है. आइए जानते हैं आखिर क्यों दही-हांडी का पर्व मनाया जाता है?

Dahi Handi 2024: क्यों मनाते हैं दही हांडी उत्सव? कैसे हुई शुरुआत? जन्माष्टमी पर लीला दिखाएंगे माखनचोर कान्हा

Why Celebrate Dahi Handi Festival​: सनातन धर्म में भाद्रपद मास भगवान कृष्ण की अराधना के लिए समर्पित माना जाता है. इसी महीने में कृष्ण जन्माष्टमी भी धूमधाम से मनाई जाती है, जिसे कृष्ण जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है. इसके ठीक अगले दिन बाद दही हांडी का त्योहार भी धूमधाम से मनाया जाता है. दही हांडी भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाती है. इस पर्व को द्वापर युग से मनाने की परंपरा चली आ रही है. दही हांडी का पर्व श्री कृष्ण की बाल लीलाओं को याद करते हुए मनाया जाता है. भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हुआ था. इसी दिन कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है. दही हांडी का पर्व कृष्ण जन्माष्टमी के अगले दिन देश के कई हिस्सों में मनाया जाता है. 

क्या है दही हांडी का महत्व?
जन्माष्टमी पर दही हांडी का खास महत्व होता है. भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं की झांकिया दर्शाने के लिए दही हांडी पर्व मनाया जाता है. हिंदु धर्म में मान्यता है कि घर में माखन चोरी के लिए मटकी फोड़ने से घर के दुख दूर हो जाते हैं और घर में खुशियों का वास होता है. महाराष्ट्र, यूपी के मथुरा, वृंदावन और गोकुल में इसकी अलग ही धूम देखने को मिलती है.

क्यों मनाया जाता है ये पर्व?
दरअसल, कान्हा को दही, दूध और माखन बहुत प्रिय थे. वो अपने दोस्तों के साथ अड़ोस पड़ोस के घरों से माखन चुराकर खा जाते थे. इसलिए उन्हें माखन चोर भी कहा जाता है. इतना ही नहीं कान्हा गोपियों की मटकियां भी फोड़ देते थे. जिससे तंग आकर गोपियों ने माखन और दही की हांडियों को ऊंचाई पर टांगना शुरू कर दिया था. लेकिन वो नाकाम ही रहीं. कान्हा इतने नटखट थे कि अपने सखाओं की मदद से हांडी को फोड़कर माखन और दही खा जाते थे. भगवान कृष्ण की इन्हीं बाल लीलाओं को याद करते हुए दही हांडी का उत्सव मनाने की शुरुआत हुई थी.

कब मनाया जाएगा ये पर्व?
द्वापर युग से शुरू हुआ ये पर्व अब भी धूमधाम से मनाया जाता है. इस पर्व में गोविंदाओं की टोली ऊंचाई पर बंधी दही से भरी मटकी फोड़ने की कोशिश करती है. इस बार जन्माष्टमी 26 अगस्त को मनाई गई और आज यानी 27 अगस्त को दही हांडी का पर्व मनाया जा रहा है.

Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां लोक मान्यताओं/ पौराणिक कथाओं पर आधारित हैं. इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. Zeeupuk इसकी किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है.

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