बचपन में दिवाली की रात किताबे पढ़ने की परंपरा, जानें इसके पीछे की वजह
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बचपन में दिवाली की रात किताबे पढ़ने की परंपरा, जानें इसके पीछे की वजह

Diwali 2023: पूरे देश में आज धनतेरस का पर्व मनाया जा रहा है. दो दिन बाद दिवाली धूमधाम से मनाई जाएगी. दिवाली की पूजा के दौरान ही बच्‍चों को किताबें पढ़ने की परंपरा है. सदियों से चली आ रही इस परंपरा के पीछे क्‍या मान्‍यता है.  

बचपन में दिवाली की रात किताबे पढ़ने की परंपरा, जानें इसके पीछे की वजह

Diwali 2023: आज पूरे देश में धनतेरस का पर्व मनाया जा रहा है. दो दिन बाद 12 नवंबर को दिवाली धूमधाम से मनाई जाएगी. दिवाली के साथ ही हिंदू नव वर्ष की शुरुआत भी होती है. दिवाली की पूजा के दौरान ही बच्‍चों को किताबें पढ़ने की परंपरा है. तो आइये जानते हैं इसके पीछे का मान्‍यता है.  

यह है मान्‍यता 
दरअसल, माना जाता है कि दिवाली की रात पढ़ाई करने से मां सरस्वती और मां लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है. इससे जीवन में धन-बुद्धि की वृद्धि होती है. साथ यह भी मान्‍यता है कि सनातन धर्म में दिवाली या होली जैसे बड़े त्योहारों के दिन देवी और देवता घर-घर जाते हैं. इस दौरान रात्रि जागरण को देखते हैं. 

पढ़ाई करने का महत्‍व 
रात्रि जागरण में भजन, संध्या गाना-बजाना, पढ़ना-लिखना, मंत्रोच्यारण शामिल हैं. माना जाता है कि अगर रात्रि में पढ़ाई की जाती है तो इससे जीवन में उन्नति और तरक्की होती है. साथ ही आने वाली बाधाएं स्वयं खत्म हो जाती है. दिवाली की रात अगर आप पढ़ाई करते हैं तो माता लक्ष्मी की असीम कृपा आप पर बनी रहेगी.

दिवाली पर दीपक जलाने की परंपरा 
इसके अलावा दिवाली के दिन दीपक जलाने की भी परंपरा है. बता दें जब भगवान राम वनवास के बाद अयोध्‍या लौटे थे तो उस दिन कार्तिक मास की अमावस्‍या थी, भगवान राम के आने की खुशी में नगरवासियों से दीपक जलाकर पूरे शहर को रौशन कर दिया था, तभी से दीपक जलाने की परंपरा चली आ रही है. 

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