Ganesh Chaturthi: भगवान गणेश के श्राप के कारण गणेश चतुर्थी को चन्द्रमा का दर्शन वर्जित होता है, अगर आपने वर्जित समय पर चांद देख लिया है तो भारी कलंक लग सकता है. ऐसे करें बचाव.
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Ganesh Chaturthi: भगवान गणेश उत्सव शुरू हो चुका है. गणेश चतुर्थी के दिन से यह पर्व शुरू हो जाता है. गणेश चतुर्थी के दिन चन्द्रमा का दर्शन वर्जित है. इस साल 18 तारीख को रात्रि मे चतुर्थी तिथि थी और 19 तारीख को उदय कालीन चतुर्थी थी. अगर आपने इन दोनों तिथियों में भूलवश या अज्ञानता के कारण चंद्र दर्शन कर लिए हैं तो बड़ा भारी कलंक लग सकता है, जिसके कारण जीवन कठिनाइयों से भर जाएगा. अगर आप इस गलती को सुधारना चाहते हैं तो कुछ आसान उपाय कर सकते हैं लेकिन पहले जानें क्यों हैं चतुर्थी के दिन चन्द्रमा को देखना वर्जित. इसके पीछे एक पौराणिक कथा है.
एक दिन भगवान गणेश अपने मूषक की सवारी करते हुए गिर पड़े तो चन्द्रमा ने उन्हें देख लिया और उनके गिरने पर हंसने लगे. चन्द्रमा को इस प्रकार हँसते हुए देखकर गणेश जी को बहुत क्रोध आ गया. उन्होंने चंद्रदेव को श्राप दे दिया कि अब से जो भी तुम्हे देखेगा उस पर बड़ा भारी कलंक लग जाएगा. इसलिए तुम्हारी ओर कोई नहीं देखेगा. यह सुनकर चंद्रदेव बेहद दुखी हो गए और झील में जाकर छिप गए. चन्द्रमा को श्राप से मुक्ति दिलाने के लिए सभी देवताओं ने गणपति पूजा अर्चना कर उनका आवाह्न किया. तब गणपति ने कहा कि मैं अपना श्राप तो वापस नहीं ले सकता लेकिन इसमें कुछ बदलाव जरूर कर सकता हूं. भगवान गणेश ने कहा कि चंद्र का ये श्राप सिर्फ एक ही दिन मान्य रहेगा. गणेश चतुर्थी के दिन अगर कोई चन्द्रमा के दर्शन करेगा तो उसको कलंक का सामना करना पड़ेगा.
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कलंक से बचने के उपाय
स्कन्दमहापुराण में भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं कहा है कि भादौ के शुक्लपक्ष के चन्द्र का दर्शन मैंने गोखुर के जल में किया जिसके कारण मुझे मणि की चोरी का कलंक सहना पड़ा. अगर किसी ने इस दिन चन्द्रमा के दर्शन कर लिए तो उसको ये उपाय अपनाने चाहिए.
चतुर्थी के दिन यदि अनजाने में चन्द्रमा के दर्शन हो भी जाएं तो इससे बचने के लिए छोटा सा कंकर या पत्थर का टुकड़ा लेकर किसी की छत पर फेंके. ऐसा करने से चंद्र दर्शन से लगने वाले कलंक से बचाव हो सकता है. इसलिए इस चतुर्थी को पत्थर चौथ भी कहते है.
अगर चतुर्थी के चांद के पहले द्वितीया का चांद देख लिया है तो चतुर्थी का चन्द्र कलंक नहीं लगा सकता.
भागवत की स्यमन्तक मणि की कथा सुनकर भी कलंक लगने से बचा जा सकता है.
इस मंत्र का 21 बार जप करने से कलंक से छुटकारा पाया जा सकता है-
सिंहः प्रसेनमवधीत् सिंहो जाम्बवता हतः
सुकुमारक मा रोदीस्तव ह्येष स्यमन्तकः
इन में से कोई भी उपाय संभव न हो तो सबसे सरल उपाय ये है कि एक लड्डू किसी भी पड़ोसी के घर पर फेंक दे, इस उपाय से भी कलंक लगने से बचा जा सकता है.
Disclaimer
यह जानकारी सनातन धर्म के तमाम ग्रंथों के आधार पर लिखी गई है. खबर की सत्यता की पुष्टि Zee News नहीं करता.
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