Varanasi News : काशी में चल रही इस सभा में अलग-अलग 15 राज्यों के विद्वान हिस्सा ले रहे हैं. सभा में 2024-25 में प्रमुख त्यौहार और व्रत कब पड़ेंगे, इसको लेकर निर्णय किया जा रहा है.
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Kashi Panchang Sabha : काशी में दक्षिण भारत के पंचांगकारों की सभा चल रही है. इसमें आगामी संवत्सर में व्रत, त्यौहार, अनुष्ठान और कब कौन से दिन पड़ेंगे, इसको लेकर चर्चा की जा रही है. पंचांग सभा के दूसरे दिन बुधवार को कई निर्णय लिया गया. इनमें आगामी संवत्सर में पड़ने वाली एकादशी, पूर्णिमा, बैकुंठ एकादशी व नवरात्र की तिथियों पर अंतिम मुहर लगी.
प्रमुख त्यौहारों को लेकर चर्चा
काशी में चल रही इस सभा में अलग-अलग 15 राज्यों के विद्वान हिस्सा ले रहे हैं. पंचांगकारों के मुताबिक, आने वाले वर्ष (संवत्सर) का नाम क्रोधी है. सभा में 2024-25 में प्रमुख त्यौहार और व्रत कब पड़ेंगे, इसको लेकर निर्णय किया जा रहा है. वहीं, दक्षिण और उत्तर भारत के पंचांगकारों के बीच गणित की गण्ना को लेकर मत अलग था, इसका समाधान किया गया.
कब होती है पंचांग सभा
बता दें कि सावन में शंकराचार्य के चातुर्मास्त व्रत प्रवास के दौरान पंचांग सभा होती है. पंचांग सभा में लिए गए फैसलों को उत्तर भारत के पंचांगकारों के समक्ष रखकर तुलना की जाती है. इसके बाद व्रत, त्यौहार, ग्रहण की तिथियों पर मुहर लगाई जाती है.
क्या होता है संवत्सर
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा वर्ष प्रतिपदा कहलाती है. इस दिन से ही नया वर्ष शुरू होता है. इसी दिन ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना की थी. इसमें मुख्यता ब्रह्माजी और उनकी निर्माण की हुई सृष्टि के मुख्य देवी देवताओं, यक्ष-राक्षस, ऋषि-मुनियों, मनुष्यों, नदियों, पशु-पक्षियों और पर्वतों का ही नहीं, रोगों और उनके उपचारों तक का पूजन किया जाता है. इस दिन से नया संवत्सर शुरू होता है. अत: इस तिथि को नव-संवत्सर भी कहते हैं. संवत्सर उसे कहते हैं, जिसमें सभी महीने पूर्णत: निवास करते हों.
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