Shiv Puran: भगवान् शिव की लीलाओं और कथाओं के अलावा शिव पुराण में विभिन्न प्रकार की पूजा और ज्ञानप्रद शिक्षाओं का उल्लेख भी किया गया है...वैसे तो यह माना जाता है कि मूल शिवमहापुराण में श्लोकों की संख्या 1 लाख थी लेकिन महर्षि वेद व्यास जी ने इसको 24 हजार श्लोकों में समेट दिया...इसमें भगवान शिव के व्यक्तित्व का और उनकी महिमा का प्रचार-प्रसार किया गया है...
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Shiv Puran: सभी पुराणों में शिव पुराण को सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होने का दर्जा मिला हुआ है. शिव पुराण में भगवान शिव के व्यक्तित्व का और उनकी महिमा का वर्णन किया गया है. इसमें भोले बाबा के अलग-अलग स्वरूपों, अवतारों, ज्योतिर्लिंगों आदि का वर्णन किया गया है. शिव पुराण के मुताबिक यह पुराण परम उत्तम शास्त्र बताया गया है. धर्म शास्त्रों में ऐसी मान्यता है कि इस पुराण को पढ़ने और सुनना लाभकारी और आनंददायी होता है. शिव महापुराण एक ऐसा पुराण ग्रन्थ है हिन्दू धर्म में जो की अठारह पुराणों में से सबसे अधिक बार पढ़ा जाने वाला ग्रन्थ है.
24 हजार श्लोक मौजूद
धार्मिक शास्त्रों के मुताबिक शिव पुराण में 24 हजार श्लोक मौजूद हैं. इसके साथ ही यह पुराण 7 संहिताओं से भी युक्त है. ऐसी मान्यता है कि यह दिव्य शिवपुराण परब्रह्म परमात्मा के समान विराजमान है. वैसे तो यह माना जाता है कि मूल शिवमहापुराण में श्लोकों की संख्या एक लाख थी लेकिन महर्षि वेद व्यास जी ने इसको 24 हजार श्लोकों में संक्षिप्त कर दिया.
त्रिदेवों में संहार के देवता हैं शिव
शिव पुराण में शिव के जीवन पर प्रकाश डाला गया है. यहां पर उनके रहन-सहन, विवाह और उनके पुत्रों के बारे में बताया गया है. ऐसा बताया गया है कि भगवान शिव सदैव लोकोपकारी और हितकारी हैं. वहअपने भक्तों को कभी निराश नहीं करते. इन्हें त्रिदेवों में संहार का देवता कहा गया है. भगवान शिव को नटराज की उपाधि भी दी गई है. इनमें जीवन और मृत्यु का बोध निहित है. भोलेनाथ के शीश पर गंगा और चंद्रमा जीवन और कला का प्रतीक माना जाता है.
शिवजी को किसी तरह का मोह नहीं है. उन्हें स्वच्छ जल, बिल्व पत्र, कंटीले और न खाए जाने वाले पौधे के फल धूतरा ही प्रिय है. शिवजी इन्हीं सब चीजों से प्रसन्न हो जाते हैं। शिव के अघौड़ बाबा हैं जो जटा धारण किए हुए, गले में नाग लिपटे हुए, शरीर पर बाघम्बर पहने हुए और रुद्राक्ष की मालाएं धारण किए हुए हैं। साथ ही डमरू और त्रिशुल भी भोलेनाथ ने धारण किया हुआ है। शिवजी के शरीर पर चिता की भस्म लगी हुई है।
शिव पुराण में मौजूद हैं 7 संहिता
विद्येश्वर संहिता
रुद्र संहिता
उमा संहिता
कैलास संहिता
वायु संहिता
शतरुद्र संहिता
कोटिरुद्र संहिता
शैव मत से है शिव पुराण का संबंध
शिव पुराण का संबंध शैव मत से है. इस पुराण में प्रमुख रूप से शिव-भक्ति और शिव-महिमा का प्रचार-प्रसार किया गया है. प्राय: सभी पुराणों में शिव को त्याग, तपस्या, वात्सल्य तथा करुणा की मूर्ति बताया गया है.
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