Kartik Purnima 2023 Do's and Don't: कार्तिक पूर्णिमा सभी पूर्णिमा में श्रेष्ठ मानी गई हैं. इस दिन दीपदान करना चाहिए. इस दिन कुछ बातों का विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए. ऐसे में जानिए इस दिन कौन-कौन सी गलतियां नहीं करनी चाहिए.
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Kartik Purnima 2023: प्रकाश के पर्व दीपावली के ठीक 15 दिन बाद कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima 2023) मनाई जाती है. कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima 2023 Kab Hai) को सभी पूर्णिमा में सबसे खास और पवित्र माना गया है. इस बार कार्तिक पूर्णिमा 27 नंवबर को पड़ रही है. इस दिन भी दिवाली की तरह लोग अपने-अपने घरों में दीपक जलाते हैं. मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर राक्षस का अंत किया था. इसी खुशी में देवताओं ने दीप जलाकर खुशियां मनाई थी. विष्णु पुराण के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही भगवान विष्णु (Lord Vishnu) ने मत्स्यावतार लिया था. इसलिए इस दिन पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व है. इस दिन कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए और गलती नहीं करनी चाहिए.
कार्तिक पूर्णिमा पर इन बातों का रखें खास ध्यान
1. कार्तिक पूर्णिमा के दिन तुलसी पूजा का भी खास महत्व होता है. इस दिन तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए और न ही तुलसी के पौधे को जड़ से उखाड़ना चाहिए.
2. घर को खाली छोड़कर नहीं जाना चाहिए.
3. मुख्य द्वार पर रंगोली जरूर बनाएं. इसके साथ ही आम के पत्ते का तोरण बांधे और दीप जलाएं. ऐसा करना शुभ माना जाता है.
4. घर के किसी स्थान पर अंधेरा न रखें. ऐसा करने से मां लक्ष्मी नाराज हो सकती हैं.
5. इस दिन तामसी चीजों का सेवन ना करें. नॉनवेज और शराब का सेवन करना जीवन में संकटों का बुलावा देता है.
6. इस दिन किसी असहाय या गरीब व्यक्ति का अपमान भूलकर भी नहीं करना चाहिए. यह आपके पुण्यों को नष्ट कर सकता है.
7. इस पावन पर्व पर किसी से बहस नहीं करनी चाहिए. किसी के साथ अभद्र व्यवहार और अपशब्द कहने की गलती न करें.
8. इस दिन नाखून और बाल नहीं काटने चाहिए. ऐसा करने से जीवन में परेशानियां बढ़ती हैं.
9. कार्तिक पूर्णिमा के दिन शारीरीक संबंध नहीं बनाना चाहिए. इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए.
कार्तिक पूर्णिमा से जुड़ी पौराणिक कथा (Kartik Purnima 2023 Katha)
एक पौराणिक कथा के अनुसार, "त्रिपुरासुर नाम के राक्षस ने तीनों लोकों में आतंक मचा रखा था. धीरे-धीरे उसने स्वर्ग लोक पर भी अपना अधिकार जमा लिया. त्रिपुरासुर ने प्रयाग में काफी दिनों तक तपस्या की. उसके तप के तेज से तीनों लोक जलने लगे. तब ब्रह्मा जी उसके सामने प्रकट हुए और उससे वरदान मांगने को कहा. त्रिपुरासुर ने वरदान मांगा कि उसे देवता, स्त्री, पुरुष, जीव ,जंतु, पक्षी, निशाचर कोई भी ना मार सके. इसी वरदान के मिलते ही त्रिपुरासुर अमर हो गया और देवताओं पर अत्याचार करने लगा. तब सभी देवता ब्रह्मा जी के पास पहुंचे और त्रिपुरासुर के अंत का उपाय पूछा. ब्रह्मा जी ने त्रिपुरासुर के अंत का रास्ता बताया. इसके बाद सभी देवता भगवान शंकर के पास पहुंचे और उनसे त्रिपुरासुर का वध करने की प्रार्थना की. तब महादेव ने उस राक्षस का वध किया. यही कारण है कि कई जगहों पर इसे त्रिपुरी पूर्णिमा भी कहते हैं."
काशी में मनाई जाती है देव दीपावली (Dev Dipawali in Kashi 2023)
कार्तिक पूर्णिमा वाले दिन काशी में देव दीपावली मनाई जाती है. कथा के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव द्वारा त्रिपुरासुर का वध करने के बाद सभी देवी-देवताओं ने काशी में मिलकर खुशी मनाई थी. तभी से काशी में कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दीपावली मनाने की परंपरा चली आ रही है. इस दिन काशी को दुल्हन की तरह सजाया जाता है.
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