Lalita Panchami 2023: अश्विन मास की शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली पंचमी तिथि पर देवी ललिता को समर्पित व्रत ललिता पंचमी पड़ता है. देवी ललिता अपने भक्तों के सभी रोग, दोष से मुक्त होने का आशीर्वाद देती है.
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Lalita Panchami 2023 Kab hai: ललिता पंचमी का व्रत हर साल अश्विन माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली पंचमी तिथि को रखा जाता है. इस दिन पूरे मन से व्रत रखने और पूजा करने से देवी ललिता अपने भक्तों को रोग दोष से मुक्त होने का आशीर्वाद देती हैं. शारदीय नवरात्र के पांचवे दिन जब माता स्कन्दमाता की पूजा अर्चना की जाती है तब माता सती के देवी ललिता स्वरूप की भी पूजा की जाती है. इस पर्व को देश के अलग अलग राज्यों में मनाया जाता है लेकिन इसे गुजरात और महाराष्ट्र में मनाने की परंपरा अधिक है. आइए जानते हैं ललिता पंचमी के दिन पूजा का मुहूर्त क्या होने वाला है और इसका महत्व क्या है.
ललिता पंचमी 2023 डेट (Lalita Panchami 2023 Date)
19 अक्टूबर 2023, गुरुवार को ललिता पंचमी का व्रत पड़ रहा है. इस पंचमी को उपांग पंचमी भी कहते हैं और माता ललिता के भी कई नाम बताए गए हैं- मां ललिता को महात्रिपुरसुन्दरी, षोडशी, ललिता, लीलावती और लीलामती, ललिताम्बिका, लीलेशी, लीलेश्वरी के साथ ही ललितागौरी भी कहते हैं.
ललिता पंचमी 2023 मुहूर्त (Lalita Panchami 2023 Muhurat)
पंचांग पर गौर करें तो अश्विन माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली पंचमी तिथि अक्टूबर महीने की 19 तारीख को 2023 को रात के 01 बजकर 12 मिनट पर शुरू होगी. अगले दिन यानी 20 अक्टूबर 2023 को आधी रात 12 बजकर 31 मिनट तक रहेगी.
पूजा का मुहूर्त -
सुबह 06.24 से लेकर सुबह 07.49
सुबह 10:40 से लेकर दोपहर के 12:06
ललिता पंचमी का महत्व (Lalita Panchami Significance)
10 महाविद्या में से एक मां ललिता हैं. नवरात्रि के 5वें दिन इन्हें समर्पित व्रत रखा जाता है और विधि-विधान से देवी सती के इस मां ललिता स्वरूप की पूजा की जाती है. ऐसी भी मान्यता है कि देवी ललिता को चण्डी का स्थान दिया गया है जिनकी आराधना करने से शरीर आरोग्य होता है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है.
ललिता पंचमी की पूजा विधि (Lalita Panchami Puja Vidhi)
माता ललिता को समर्पित इस व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान-ध्यान सम्पन्न कर लेना चाहिए और फिर मंदिर जाकर ललिता पंचमी व्रत के लिए संकल्प करना चाहिए. सबसे पहले आपको भगवान श्री गणेश, भगवान शिव के साथ माता पार्वती की पूजा करनी चाहिए. इसके बाद माता अशोक सुन्दरी की पूजा करनी चाहिए. सुख-समृद्धि का आशीर्वाद पाने के लिए माता ललिता की प्रतिमा के आगे शुद्ध घी का दीपक जलाना चाहिए और फिर माता ललिता सहस्रावली का पाठ करना चाहिए. पूजा के समय ध्यान रखना चाहिए कि मुख उत्तर की ओर न रहे.
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