Dev deepawali and Diwali Difference: अक्सर कुछ लोग दिवाली और देव दीपावली को एक ही त्योहार समझ लेने की भूल कर बैठते हैं. हालांकि ये दोनों त्योहार रोशनी के हैं लेकिन इनकी मान्यता, महत्व और पौराणिक कहानियां बिल्कुल अलग हैं. आइये समझते हैं इनमें क्या है अंतर.
दिवाली और देव दीपावली भारत में हिंदुओं द्वारा मनाए जाने वाले दो प्रमुख त्योहार हैं और दोनों अलग-अलग तिथियों (तारीखों) को मनाये जाते हैं. इस साल दिवाली का पर्व 31 अक्टूबर को है जबकि देव दीपावली इसके 15 दिन बाद मनाई जाती है.
भगवान राम 14 बरस का वनवास काट कर जब अयोध्या लौटे थे तो उनकी वापस आने की खुशी में पूरी अयोध्या को दीपों से सजाया गया था. अयोध्यावासियों ने उनका घी के दीयों की रोशनी के साथ उपहारों से स्वागत किया था. तभी से ये दिन दीपावली के रूप में मनाया जाता है. यह खशियां बांटने और पारिवारिक समारोह का पर्व है.
भगवान राम सीता और लक्ष्मण के साथ लंका के राजा रावण पर विजय प्राप्त करके अयोध्या लौटे थे इसलिए इसे बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक भी माना जाता है. यह पांच दिवसीय त्योहार होता है जो धनतेरस से शुरू होकर भैया दूज तक चलता है.
मान्यता है कि दिवाली के दिन घर में लक्ष्मी जी आती हैं इसलिए उनके स्वागत में घर को साफ-सुथरा कर सजाया जाता है. घर पर रंग रोगन किया जाता है, संध्या को दीपों और लड़ियों से सजाया जाता है और फिर देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है. खुशियों के इस त्योहार पर लोग एक दूसरे को मिठाई और दूसरे उपहारों के साथ शुभकामनायें देते हैं.
दिवाली कार्तिक मास की अमावस्य को मनाई जाती है तो वहीं देव दीपावली इसके पंद्रह दिन बाद कार्तिक पूर्णिमा को मनाई जाती है. इस साल देव दीपावली का त्योहार 15 नवंबर को है.
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन त्रिपुरासुर नाम के असुर का वध किया था. इसलिए देव दीपावली का त्योहार शिव की दैत्य पर विजय का प्रतीक है. इसके अलावा यह दिन भगवान कार्तिक की जयंती के रूप में भी मनाया जाता है. कार्तिक भगवान शिव की ही संतान हैं.
द्रिक पंचाग के अनुसार कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि 15 नवंबर 2024 को शाम 5 बजकर 10 मिनट पर शुरू होगी और 16 नवंबर को सुबह 2 बजकर 58 मिनट पर खत्म होगी. इसलिये प्रदोष काल में देव दिवाली का मुहूर्त 15 नवंबर को शाम 5:10 से 7: 47 बजे तक रहेगा
देव दिवाली यानी देव दीपावली का उत्सव उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में वाराणसी, हरिद्वार और ऋषिकेश समेत कई शहरों में धूमधाम से मनाया जाता है. यहां पवित्र घाटों पर वैदिक मंत्रों के उच्चारण के साथ गंगा आरती की जाती है जिसका नजारा बहुत ही आनंददायक होता है.
देव दिवाली के दिन कार्तिक पूर्णिमा होती है इस दिन स्नान और दान का भी बहुत महत्व होता है. लोग अपने घरों को रंगोली और मोमबत्ती और दीयों से सजाते हैं. मान्यता है कि वाराणसी में देव दिवाली पर देवता निवास करने आते हैं.
यहां बताई गई सारी बातें धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं. इसकी विषय सामग्री और एआई द्वारा काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.