Raksha Bandhan 2024: हर साल सावन पूर्णिमा को रक्षा बंधन का त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन बहनें सुबह सवेरे स्नान करके अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ. बहनों को अपने भाई की कलाई पर राखी बांधने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि इस बार रक्षा बंधन पर भद्रा का साया है और इस काल में भाई को राखी बांधना शुभ नहीं माना जाता. शास्त्रों में भद्रा काल में राखी बांधना वर्जित है. अब आपके दिमाग में एक सवाल उठ रहा होगा कि आखिर कौन है भद्रा और क्यों वर्जित है इस काल में राखी बांधना? तो चलिए आपको आपके सारे सवालों का जवाब देते हैं.


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रक्षा बंधन पर कब तक है भद्रा?
रक्षा बंधन के शुभ मौके पर भद्रा काल 19 अगस्त की रात 02:21 बजे से दोपहर 01:30 बजे तक रहने वाला है. रक्षा बंधन पर सुबह 09:51 से 10:53 तक भद्रा पुंछ लगा. फिर 10:53 से 12:37 तक भद्रा मुख लगा है. दोपहर 01:30 बजे भद्रा काल खत्म हो जाएगा. 


कितना होगा भद्रा का प्रभाव?
चंद्रमा के मकर राशि में होने की वजह से भद्रा का निवास पाताल लोक में रहेगा. इसलिए धरती पर होने वाले शुभ कार्य बाधित नहीं होंगे. ऐसे में इस भद्रा काल का रक्षा बंधन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. ऐसे में बहनें अपने भाई की कलाई पर रक्षासूत्र बांध पाएंगी.   


जानें कौन है भद्रा?
पौराणिक मान्यताओं की मानें तो भद्रा सूर्य देव की पुत्री और शनि देव की बहन हैं. शनि की भांति इसका स्वभाव भी क्रूर है. वैसे भद्रा का शाब्दिक अर्थ कल्याण करने वाली है. इसके विपरीत भद्रा काल में शुभ कार्य वर्जित है. भद्रा राशि के अनुसार तीनों लोकों में भ्रमण करती हैं. पृथ्वी लोक में इसके होने से शुभ कार्यों में विघ्न आते हैं.


क्यों वर्जित है मंगल कार्य?
भद्रा काल बेहद अनिष्टकारी माना जाता है. इस काल में शुभ और मांगलिक कार्य वर्जित हैं. पृथ्वी लोक की भद्रा सभी कार्यों का विनाश करने वाली मानी जाती है. ऐसे में अगर आप भद्रा काल में भाई को राखी बांधती हैं तो आपको सोचने की जरूरत है. आप थोड़ा इंतजार कीजिए और भद्रा काल के टलने के बाद अपने भाई की कलाई पर राखी बांधिए.


भद्रा में राखी बांधने का नतीजा
रक्षा बंधन पर भद्रा का साया किसी भी तरह से शुभ नहीं माना गया है. पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, सूर्पणखा ने भद्रा नक्षत्र में ही अपने भाई रावण की कलाई पर राखी बांधी थी, जिसके बाद श्री राम और रावण के बीच युद्ध हुआ और इस युद्ध में श्री राम ने रावण का वध कर दिया.द्वापर युग की बात करें तो उस युग में द्रौपदी ने गलती से अपने भाई को भद्रा काल में राखी बांध दी थी. इसके बाद द्रौपदी का सुख चैन सब छिन गया था. यहां तक की द्रौपदी को चीरहरण का दर्द भी सहना पड़ा, जिसका परिणाम कुरुक्षेत्र के युद्ध के रूप में निकला.


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