अपने वादों पर गंभीर नहीं है मोदी सरकार : शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती
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अपने वादों पर गंभीर नहीं है मोदी सरकार : शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती

शंकराचार्य ने केंद्र व प्रदेश की मोदी व योगी सरकारों को आड़े हाथों लिया. उन्होंने दोनों ही सरकारों की नीयत एवं कार्यप्रणाली पर उंगली उठाई और उन्हें वादाखिलाफी करने वाला बताया 

शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती फाइल फोटो

मथुरा: द्वारकाशारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती ने संसद में सरकार के खिलाफ विपक्ष द्वारा पेश किए अविश्वास प्रस्ताव के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा प्रधानमंत्री को झप्पी दिए जाने वाले व्यवहार का समर्थन करते हुए कहा कि वह (राहुल गांधी) सरकार की नीतियों के विरोध में हैं, न कि खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरोध में. उन्होंने यह भी कहा कि अगर लोग चाहें तो 2019 में विपक्षी गठबंधन मोदी सरकार का विकल्प बन सकता है.

केंद्र व प्रदेश की सरकार से असंतुष्ट शंकराचार्य ने राहुल की प्रशंसा करते हुए कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष ने संसद में साफ कहा कि वह मोदी के नहीं, उनकी नीतियों के विरोध में हैं. इसीलिए वह अपना संबोधन समाप्त कर उनसे (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से) गले मिलने उनकी सीट पर पहुंचे. शंकराचार्य चातुर्मास प्रवास पर वृन्दावन आए हुए हैं और आगामी 25 सितम्बर तक यहीं रहेंगे. वह पहली बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व भी यहीं मनाएंगे तथा गुरु पूर्णिमा पर होने वाले गुरु पूजन कार्यक्रमों में भी भाग लेंगे.

मोदी और योगी सरकारों को लिया आड़े हाथ
संवाददाताओं से मुलाकात में शंकराचार्य ने केंद्र व प्रदेश की मोदी व योगी सरकारों को आड़े हाथों लिया. उन्होंने दोनों ही सरकारों की नीयत एवं कार्यप्रणाली पर उंगली उठाई और उन्हें वादाखिलाफी करने वाला बताया. 

गठबंधन के भविष्य के विषय में पूछे गए सवाल के उत्तर में शंकराचार्य ने कहा, ‘यदि लोग चाहेंगे तो विपक्षी गठबंधन आने वाले आम चुनाव में बीजेपी नीत मोदी सरकार का विकल्प अवश्य बन सकता है. क्योंकि, उन्होंने बीजेपी के जिन वादों पर इतना प्रचण्ड बहुमत सौंपा था, वह उन पर आज कतई भी गंभीर नहीं है.’ 

उन्होंने विशेष तौर पर गौहत्या एवं जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 संबंधी मुद्दों पर कहा, ‘अगर मोदी सरकार चाहे तो नोटबंदी के समान निर्णय लेकर एक ही झटके में गौमांस के निर्यात पर रोक लगाकर आजादी के 70 वर्ष गुजर जाने के बाद भी देश में जारी गौहत्या पर प्रभावी रोक लगा सकती है. लेकिन वह जानबूझकर ऐसा नहीं कर रही.’ उन्होंने इसी प्रकार धारा 370 पर भी सरकार की आलोचना करते हुए कहा, ‘यह सरकार अब अपने वादे से पीछे हट गई है. अब उसे इन मुद्दों को सुनना व विचार करना भी बिल्कुल नहीं भाता.’

अयोध्या में राम मंदिर निर्माण से जुड़े सवाल पर शंकराचार्य ने कहा, ‘बीजेपी झूठ बोलती है कि केंद्र में उसकी सरकार है तो वह मंदिर बना सकती है. क्योंकि, संविधान के अनुसार सरकार धर्मनिरपेक्ष होती है. वह किसी एक धर्म विशेष का पक्ष लेकर मंदिर, मस्जिद, चर्च या गुरुद्वारा नहीं बना सकती. लेकिन फिर भी बीजेपी चुनावों में इसी प्रकार के वादे कर वोट बटोरती आ रही है.’

तीन तलाक की समस्या का निदान सुझाते हुए उन्होंने कहा, ‘यदि मोदी सरकार इस समस्या का वास्तविक एवं स्थाई निदान करना ही चाहती है तो मुसलमानों को चार बीवियां रखने का अधिकार वापस ले ले. क्योंकि वे इसी कारण पत्नी का महत्व नहीं समझते. हिन्दुओं के समान एक पत्नी रखने की बाध्यता रहेगी तो यह समस्या स्वतः ही जड़ से समाप्त हो जाएगी.’

'योगी आदित्यनाथ से बहुत आशाएं थीं'
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार से नाराजगी प्रकट करते हुए द्वारका-शारदापीठ के शंकराचार्य ने कहा कि संत समाज का प्रतिनिधि होने के चलते योगी आदित्यनाथ से बहुत आशाएं थीं कि वह तो संत समाज की आस्थाओं के अनुसार कार्य करेंगे ही. लेकिन अफसोस है कि वह भी इसके बिल्कुल उलट कार्य कर रहे हैं. वह स्वयं मंदिर और प्राचीन विग्रहों को तोड़ने जैसा कार्य करा रहे हैं. 

पंद्रह मई की शाम वाराणसी में एक निर्माणाधीन पुल गिरने की घटना के संबंध में उन्होंने कहा कि काशी में प्राचीन देव-विग्रह और मंदिर तोड़े जा रहे हैं. इससे संतों के साथ आमजन की भावनाएं भी आहत हुई हैं. इसी का परिणाम है कि काशी में पुल गिर गया.

(इनपुट - भाषा)

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