अखिलेश यादव से मनमुटाव के बाद शिवपाल को 2017 में समाजवादी पार्टी छोड़नी पड़ी. उन्होंने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का गठन किया और 2019 के लोकसभा चुनाव में उतरे, लेकिन करारी हार का सामना करना पड़ा.
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इटावा: प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल यादव ने समाजवादी पार्टी के साथ सुलह के संकेत दिए हैं. उन्होंने स्वतंत्रता दिवस के दिन इटावा में बड़ा बयान दिया. शिवपाल ने कहा कि वह चाहते हैं कि सभी समाजवादी फिर से एक हो जाएं. इसके लिए वह पूरा त्याग करने के लिए भी तैयार हैं. उन्होंने कहा, ''अगर फिर भी कुछ नहीं होता है तो प्रगतिशील समाजवादी पार्टी जनता के बीच जाएगी. जनता का जो निर्णय होगा उसे स्वीकार करेगी.''
वर्ष 2017 में अखिलेश से मनमुटाव के बाद शिवपाल ने छोड़ दी थी सपा
गौरतलब है कि वर्ष 2017 में यूपी विधानसभा चुनावों से पहले मुलायम परिवार में बिखराव शुरू हुआ था. अखिलेश यादव और चाचा शिवपाल के बीच की तल्खी सार्वजनिक हो गई थी. दोनों के बीच इस मनमुटाव का असर विधानसभा चुनाव के परिणामों पर भी पड़ा और सपा को करारी हार झेलनी पड़ी थी. कांग्रेस के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ने के बावजूद सपा सिर्फ 47 सीटें जीत सकी थी. कांग्रेस के खाते में 7 सीटें आईं. भाजपा ने 312 सीटें जीतकर पूर्ण बहुमत हासिल की.
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शिवपाल यादव ने SP से अलग होकर बनाई थी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी
सपा ने जो 47 सीटें जीती थीं उनमें एक सीट शिवपाल यादव की भी शामिल थी. उन्होंने जसवंतनगर असेंबली सीट से जीत हासिल की थी. विधानसभा चुनाव के तुरंत बाद अखिलेश और शिवपाल के बीच का विवाद काफी बढ़ गया. शिवपाल को समाजवादी पार्टी छोड़नी पड़ी. उन्होंने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का गठन किया और 2019 के लोकसभा चुनाव में उतरे. हालांकि शिवपाल यादव की पार्टी एक भी सीट जीत पाने में कामयाब नहीं हुई.
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इस वर्ष होली के दौरान भी मिले थे शिवपाल-अखिलेश में सुलह के संकेत
शिवपाल और अखिलेश के बीच सुलह के संकेत इस साल समाजवादी पार्टी के लखनऊ दफ्तर में आयोजित होली मिलन समारोह के दौरान भी मिले थे. तब अखिलेश यादव ने चाचा शिवपाल के पैर छुए थे. शिवपाल ने भी भतीजे को आशीर्वाद दिया था. इसके बाद सपा ने शिवपाल यादव की विधानसभा सदस्यता रद्द करने के लिए स्पीकर हृदय नारायण दीक्षित के पास दायर अपनी याचिका वापस ले ली थी. स्पीकर ने शिवपाल के खिलाफ दायर याचिका वापस करने के सपा के आग्रह को स्वीकार कर लिया था.
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