नैनीताल: सेब की खेती से आत्मनिर्भर बने सोबन सिंह बिष्ट, कर रहे सलाना तीन गुना कमाई
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नैनीताल: सेब की खेती से आत्मनिर्भर बने सोबन सिंह बिष्ट, कर रहे सलाना तीन गुना कमाई

नैनीताल जिले में युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने और उन्हें स्वरोजगार से जोड़ने के लिए सोबन सिंह बिष्ट का प्रयास मील का पत्थर साबित हो सकता है. पिछले 3 सालों में उन्होंने ये बेहतरीन सेब का बगीचा तैयार किया है. 

नैनीताल: सेब की खेती से आत्मनिर्भर बने सोबन सिंह बिष्ट, कर रहे सलाना तीन गुना कमाई

नैनीताल: नैनीताल के सुंदरखाल गांव में छोटे-छोटे पेड़ों से सजा सेब का बगीचा इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है. गांव में सोबन सिंह बिष्ट ने एक हजार सेब की उन्नत प्रजाति का बगीचा तैयार किया है. सोबन बिष्ट बताते हैं कि इससे वे न सिर्फ आत्मनिर्भर बने हैं बल्कि युवा भी उनके बगीचे की तरह अपनी जमीन पर ऐसा ही बगीचा बनाने जा रहे हैं. सोबन ने बताया कि राज्य सरकार भी इसमें मदद कर रही है.

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कई युवाओं के लिए सोबन सिंह हैं प्रेरणाश्रोत
नैनीताल जिले में युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने और उन्हें स्वरोजगार से जोड़ने के लिए सोबन सिंह बिष्ट का प्रयास मील का पत्थर साबित हो सकता है. पिछले 3 सालों में उन्होंने ये बेहतरीन सेब का बगीचा तैयार किया है. उनसे प्रेरणा लेकर अब इलाके के कई युवाओं ने ऐसा ही सेब के बगीचे तैयार कर रहे है. खुद सोबन का बेटा भी बाहर नौकरी के लिए नहीं जाना चाहता है. नैनीताल निवासी विक्रम बिष्ट ने बताया कि उन्हें भी इससे प्रेरणा मिली है और वो भी अपने खेतों में 250 सेब की हाई डेंसिटी का बगीचा तैयार कर रहे हैं.

 

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खास तकनीक की खेती से तीन गुना ज्यादा आमदनी
सोबन सिंह बिष्ट बताते है कि हाई डेंसिटी तकनीक से सेब की खेती से उनकी आमदनी में 3 गुना की बढ़ोत्तरी हुई गई और भविष्य में और भी होगी. पहाड़ के युवाओं को स्वरोजगार से जोड़कर आत्मनिर्भर बनाने का राज्य सरकार का प्रयास तभी साकार होगा जब सोबन बिष्ट जैसे सफल काश्तकारों की कहानी सामने लाई जाएगी.

क्या है हाई डेंसिटी एप्पल ऑर्चर्ड?
इस बगीचे में हाई डेंसिटी विधि से पेड़ों को लगाया जाता है. ये पेड़ रुट स्टॉक जो विश्व में उच्च तकनीक के सेब के पौधे होते हैं. ये पौधे स्कार्टलेट, स्पर 2, ग्रीनी स्मिथ, रेड कॉर्न, सुपर चीफ, रेड स्पर डेलिशियस, रेडलम गाला और किंग रॉड प्रजाति के पौधे लगाए जाते हैं. इन पेड़ों के सपोर्ट के लिये तार और पोल लगाए जाते हैं. इनकी अधिकतम दूरी 3 फ़ीट होती है. जबकि पेड़ों की अधिकतम ऊंचाई 8 फ़ीट होती है. ये पेड़ दूसरे वर्ष में फल देना शुरू कर देते हैं. ये सभी प्रजातियां इटली, जर्मनी, हॉलैंड और न्यूजीलैंड में प्रचलित है. इन सेब की प्रजाति को सोलर फेंसिंग और हेल नेट का प्रयोग किया जाता है. सोलर फेंसिंग में हूटर का भी प्रयोग किया जाता है जिससे जंगली जानवर उसकी आवाज सुनकर नहीं आते हैं. सबसे खास बात सेब की इस प्रजाति के पेड़ो की सिंचाई है जो ड्रिप सिस्टम से की जाती है.

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