देवरिया शेल्टर होम मामले में पुलिस अधीक्षक को हटाया गया, कई अन्य अफसरों पर भी गिरी गाज
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देवरिया शेल्टर होम मामले में पुलिस अधीक्षक को हटाया गया, कई अन्य अफसरों पर भी गिरी गाज

देवरिया के पुलिस अधीक्षक रोहन पी. कनय को हटाकर DGP कार्यालय में लगा दिया गया है, साथ ही उनके खिलाफ विभागीय जांच के भी आदेश दिए गए हैं.

फाइल फोटो.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने देवरिया जिले में बालिका संरक्षण गृह में रहने वाली लड़कियों से कथित तौर पर जबरन वेश्यावृत्ति कराये जाने के मामले में वहां के पुलिस अधीक्षक को हटा दिया तथा कई अन्य अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की गयी. गृह विभाग के सूत्रों के मुताबिक सरकार ने देवरिया के पुलिस अधीक्षक रोहन पी. कनय को हटाकर पुलिस महानिदेशक कार्यालय से सम्बद्ध कर दिया. उनके खिलाफ विभागीय जांच के आदेश भी दिये गये हैं. उनके स्थान पर महोबा के पुलिस अधीक्षक एन. कोलांची को देवरिया का नया पुलिस कप्तान बनाया गया है.

इसके अलावा 24 सितम्बर 2017 से 24 मार्च 2018 तक देवरिया के पुलिस अधीक्षक रहे और वर्तमान में बस्ती रेंज के पुलिस उपमहानिरीक्षक पद पर तैनात राकेश शंकर को भी पद से हटाकर पुलिस महानिदेशक कार्यालय से सम्बद्ध करके उनके खिलाफ भी विभागीय कार्रवाई शुरू कर दी गयी है.

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इसी मामले में लापरवाही बरतने के आरोप में देवरिया सदर के पुलिस क्षेत्राधिकारी दयाराम सिंह गौर को भी स्थानान्तरित करके विभागीय कार्रवाई प्रारम्भ की गयी है. इसके अलावा 31 जुलाई को देवरिया कोतवाली में बालिका संरक्षण गृह के जिम्मेदार लोगों के खिलाफ जिला प्रोबेशन अधिकारी द्वारा दर्ज कराये गये मुकदमे में वक्त रहते कार्रवाई नहीं करने के आरोपी विवेचक और थाना प्रभारी को निलम्बित करते हुए विभागीय कार्रवाई के आदेश दिये गये हैं.

पुलिस महानिदेशक ओ.पी. सिंह ने गत 13 अगस्त को गोरखपुर जोन के अपर पुलिस महानिदेशक को देवरिया के मां विंध्यवासिनी महिला प्रशिक्षण एवं समाज सेवा संस्थान द्वारा बालिका संरक्षण गृह में लड़कियों को अवैध रूप से रखे जाने और उनका शारीरिक तथा मानसिक शोषण किये जाने के मामले में स्थानीय पुलिस की भूमिका तथा बरती गयी शिथिलता की जांच करके रिपोर्ट देने को कहा था. उसी रिपोर्ट के आधार पर यह कार्रवाई की गयी है.

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मामले की सुनवाई कर रहे इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सोमवार को प्रकरण की एसआईटी जांच से असंतुष्टि जताते हुए सरकार से पूछा था कि उस बालिका संरक्षण गृह की मान्यता रद्द किये जाने के बावजूद विभिन्न घटनाओं में मुक्त करायी गयी लड़कियों को वहां भेजने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई. उसके बाद से ही स्थानीय पुलिस के खिलाफ कदम उठाये जाने के आसार प्रबल हो गये थे.

उल्लेखनीय है कि देवरिया स्थित मां विंध्यवासिनी महिला प्रशिक्षण एवं समाज सेवा संस्थान के बालिका संरक्षण गृह में रहने वाली एक लड़की की शिकायत पर पिछले दिनों शेल्टर होम की निवासी लड़कियों के यौन शोषण का सनसनीखेज मामला सामने आया था. उस संरक्षण गृह का पंजीयन विभिन्न अनियमितताओं के आरोप में जून 2017 में रद्द कर दिया गया था, मगर उसके बावजूद उसका संचालन बंद नहीं हुआ था. 

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश पर देवरिया के जिलाधिकारी सुजीत कुमार को हटा दिया गया था. इसके अलावा संरक्षण गृह को बंद करने का आदेश दिये जाने से छह महीने बाद तक देवरिया के डीपीओ रहे अभिषेक पाण्डेय को निलम्बित कर दिया गया था. उनके बाद दो अधिकारियों नीरज कुमार और अनूप सिंह को उनके विभाग का अतिरिक्त प्रभार दिया गया था. इन दोनों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई का निर्देश दिया गया था.

(इनपुट-भाषा)

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