उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम बोर्ड का मामला अब PM मोदी तक पहुंचा, सुब्रह्मण्यम स्वामी ने किया ये आग्रह
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उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम बोर्ड का मामला अब PM मोदी तक पहुंचा, सुब्रह्मण्यम स्वामी ने किया ये आग्रह

मंदिरों के अधिग्रहण को अवैध करार देते हुए सुब्रह्मण्यम स्वामी ने पीएम मोदी को लिखे पत्र में कहा कि राज्य सरकार द्वारा 51 मंदिरों का अधिग्रहण भाजपा और उसकी विचारधारा के लिए शर्मिंदगी का विषय है. 

फाइल फोटो.

देहरादून: उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम बोर्ड का मामला अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक पहुंच गया है. भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने PM मोदी को पत्र लिख आग्रह किया है कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत को उस कानून को वापस लेने का निर्देश दिया जाए, जिसके तहत उत्तराखंड के मंदिर सरकार के नियंत्रण में आते हैं.

मंदिरों के अधिग्रहण को अवैध करार देते हुए सुब्रह्मण्यम स्वामी ने पीएम मोदी को लिखे पत्र में कहा कि राज्य सरकार द्वारा 51 मंदिरों का अधिग्रहण भाजपा और उसकी विचारधारा के लिए शर्मिंदगी का विषय है. चारधाम देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम-2019 का विरोध कई संगठनों सहित चारधामों के हक हकूक धारी कर रहे हैं. स्वामी ने कहा कि मंदिरों के अधिग्रहण के खिलाफ कोर्ट के आदेश की प्रतीक्षा करने के बजाय, ये पार्टी हित में होगा कि सीएम त्रिवेंद्र को कानून वापस लेने के निर्देश दिए जाएं.

स्वामी ने पीएम मोदी को पत्र के जरिए बताया कि त्रिवेंद्र सरकार राज्य के लगभग सभी मंदिरों को अधिग्रहित करने और मुख्यमंत्री को न्यासी बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त करने के लिए कानून लाई है, जो न केवल पार्टी की नीति और हिंदुत्व की विचारधारा के खिलाफ है बल्कि अवैध है.

उन्होंने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय ने भी एक मामले में स्पष्ट रूप से कहा है कि संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत सरकार किसी भी मंदिर का प्रशासनिक रूप से अधिग्रहण नहीं कर सकती है, सिवाय तब, जब मंदिर के धन में हेराफेरी की गई हो. लेकिन उत्तराखंड के मंदिरों में कोई धन की हेराफेरी नहीं हुई है. बद्रीनाथ, केदारनाथ और अन्य 49 मंदिरों में से किसी भी मंदिर में धन की हेराफेरी का कोई दस्तावेज नहीं है, इसलिए सरकार द्वारा उत्तराखंड के इन मंदिरों का अधिग्रहण असंवैधानिक है.

दरअसल, 2019 में भाजपा शासित राज्य सरकार द्वारा पारित यह अधिनियम, चारधाम क्षेत्र से संबंधित 51 से अधिक मंदिरों को अपने नियंत्रण में लेने के बारे में है. यह अधिनियम वर्तमान में पुजारियों, स्थानीय ट्रस्टों द्वारा नियंत्रित मंदिरों पर सरकार को नियंत्रण में सक्षम बनाता है. नए अधिनियम में कहा गया है कि सांसद, विधायक और राज्य सरकार द्वारा नियुक्त प्रतिनिधि मंदिरों को चलाएंगे. अधिनियम के अनुसार, देवस्थानम बोर्ड का प्रमुख राज्य का मुख्यमंत्री होगा, और कई सरकारी अधिकारियों को प्रशासन में रखा गया है. अधिनियम कहता है, यदि मुख्यमंत्री हिंदू नहीं है, तो सबसे वरिष्ठ हिंदू मंत्री बोर्ड का प्रमुख होगा. मंदिरों के अधिग्रहण के खिलाफ सुब्रह्मण्यम स्वामी की याचिका पर राज्य सरकार ने अभी तक उच्च न्यायालय के नोटिस का जवाब नहीं दिया है.

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