गलती से 20 लोगों को लगी थी कोरोना टीके की कॉकटेल डोज, रिसर्च में पता चला- ये महाबली बन गए
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गलती से 20 लोगों को लगी थी कोरोना टीके की कॉकटेल डोज, रिसर्च में पता चला- ये महाबली बन गए

इस लापरवाही के शिकार हुए पीड़ितों के शरीर में एंटीबॉडी दोगुनी मिली है. अलग-अलग कोरोना वैक्सीन का डोज लेने वालों के शरीर में कोविड के वैरिएंट ऑफ कंसर्न ग्रुप (अल्फा, बीटा, गामा और डेल्टा स्ट्रेन) के खिलाफ भी कारगर एंटीबॉडी बन गई है.

सांकेतिक तस्वीर.

सिद्धार्थनगर: उत्‍तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले के औदहीं कला गांव में कुछ महीने पहले 20 लोगों को गलती से टीके की कॉकटेल डोज लगा दी गई थी. एक डोज कोविशील्ड का लगा था, दूसरा कोवैक्सीन का. शुरुआत में इस गलती को लेकर यूपी सरकार और स्वास्थ्य विभाग की खूब आलोचना हुई. उस समय तक यह प्रमाणित नहीं था कि वैक्सीन की कॉकटेल डोज हानिकारक है या लाभदायक.

गलती से लगी थी कोरोना वैक्सीन की कॉकटेल
लेकिन उन 20 लोगों के लिए खुशखबरी आई है. गलती से लगे वैक्सीन के कॉकटेल डोज ने उन्हें कोरोना वायरस के खिलाफ महाबली बना दिया है. इस लापरवाही के शिकार हुए पीड़ितों के शरीर में एंटीबॉडी दोगुनी मिली है. अलग-अलग कोरोना वैक्सीन का डोज लेने वालों के शरीर में कोविड के वैरिएंट ऑफ कंसर्न ग्रुप (अल्फा, बीटा, गामा और डेल्टा स्ट्रेन) के खिलाफ भी कारगर एंटीबॉडी बन गई है.

रिसर्च में वैक्सीन कॉकटेल काफी प्रभावी निकला
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर), रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर (आरएमआरसी) गोरखपुर और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) पुणे के विशेषज्ञों ने गलती से कोरोना वैक्सीन की अलग-अलग डोज लेने वाले सभी 20 पीड़ितों से संपर्क किया. एंटीबॉडी टेस्ट के लिए इनका सैंपल कलेक्ट किया. उनमें से 18 ने ही रिसर्च की मंजूरी दी. इस समय सभी सेहतमंद हैं.

चार और 11 जून को औदहीं कला गांव पहुंची मेडिकल टीम
आईसीएमआर की टीम डॉ. गौरव और डॉ. राजीव की अगुआई में चार जून को गांव में पहुंची. सभी पीड़ितों की सेहत की जांच की और नमूने लिए. इसके बाद 11 जून को एक बार फिर से टीम गांव में पहुंची. इन सभी के नमूने लेकर जांच के लिए एनआईवी पुणे भेजा. तीसरा 180 दिन बाद और चौथा 365 दिन बाद लिया जाएगा. चारों नमूनों का अलग-अलग अध्ययन होगा.

रिसर्च के लिए अलग-अलग समय के चार नमूने कलेक्ट होंगे
सभी नमूनों की जांच रिपोर्ट का अध्ययन एनआईवी पुणे की टीम अलग-अलग करेगी और रिजल्ट भी अलग-अलग जारी किया जाएगा. जिससे यह पता चल सके कि समय के साथ शरीर में क्या-क्या बदलाव दिख रहे हैं. आरएमआरसी के निदेशक डॉ. रजनीकांत ने बताया कि दो अलग-अलग वैक्सीन लगने के कारण उसके प्रभाव की निगरानी के लिए एक साल की समय सीमा तय की गई है. इस दौरान सभी लोगों की सेहत की निगरानी की जाएगी. 

इन बिन्दुओं को रिसर्च में किया गया शामिल
रिसर्च में कई बिन्दुओं पर नजर रखी गई. वैक्सीन लगवाने से पहले कोई बीमारी तो नहीं थी। वैक्सीन के बाद सेहत में क्या बदलाव हुए. कितने को बुखार हुआ. कितने को दर्द हुआ. कोई साइड इफेक्ट तो नहीं हुआ. बाद में कोई बीमार तो नहीं हुआ. टीका लेने वालों में दो लोग हाइपरटेंशन के मरीज थे. उनकी सेहत पर असर की निगरानी हुई.

रिसर्च कोआर्डिनेटर डॉ. रजनीकांत क्या बोले?
यह रिसर्च का प्रारंभिक परिणाम है, जो काफी उत्साहजनक है. अलग-अलग वैक्सीन लगने के बाद किसी को कोई दिक्कत नहीं हुई. उनमें न्यूट्रिलाइजिंग एंटीबॉडी मिली, जो कि नए वैरिएंट पर कारगर है. संक्रमित होने पर यही एंटीबॉडी वायरस पर अटैक करती है. इसमें शरीर के दूसरे अंगों पर भी वैक्सीन के प्रभाव का अध्ययन किया गया. वह भी रिजल्ट सकारात्मक रहा.

औदहीं कलां गांव के बूथ पर 14 मई की घटना
सिद्धार्थनगर के औदहीं कलां गांव के बूथ पर 31 मार्च और 1 अप्रैल को लोगों को कोविशील्ड की डोज लगाई गई. इन सब की उम्र 45 वर्ष से अधिक है. इन्हें 45 दिन बाद बूस्टर डोज के लिए सेंटर पर बुलाया गया था. उस दिन सेंटर पर को-वैक्सीन का आवंटन हुआ था. एएनएम व नर्स की लापरवाही से लोगों को बूस्टर डोज में को-वैक्सीन लग गई. चूक का पता चलने पर हड़कंप मच गया. आनन-फानन में टीकाकरण रोका गया. मामले की जांच हुई और लापरवाही बरतने वाले कर्मचारियों पर कार्रवाई भी हुई.

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