गोवा में फेनी का चलन करीब 500 साल पुराना है. फेनी एक तरह की पारंपरिक शराब है, जिसे काजू फल से तैयार किया जाता है. इसमें किसी भी तरह के ऑर्गेनिक या आर्टिफिशियल फ्लेवर का इस्तेमाल नहीं किया जाता है.
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Know Facts: गोवा (Goa) एक ऐसा राज्य है जिसका नाम सुनते ही दूर-दूर तक फैला समुद्र का किनारा (Sea Beach), मार्डन लाइफस्टाइल, थिरकते कदम और काजू (Cashew) से बनी लाजवाब फेनी (Feni) याद आने लगती है. हर वक्त मस्ती करते इस राज्य में लोग शांति की तलाश में भी आते हैं. गोवा में आने वाले पर्यटक समुद्री तटों की सैर करने के साथ ही यहां कि पारंपरिक शराब फेनी का स्वाद चखना नहीं भूलते हैं.
गोवा की Feni अपने स्वाद के लिए दुनिया भर में मशहूर है. Goa नाम जुबां पर आता है तो फेनी खुद याद आती है, अगर फेनी नाम पहले याद है तो उसके साथ गोवा, मतलब दोनों ही एक दूसरे के बिना अधूरे माने जा सकते हैं. आज हम आपको यहां की मशहूर फेनी के बारे में बताने जा रहे हैं. फेनी यानी एक तरह की शराब, जिसे बेहद खास तरीके से तैयार किया जाता है. आइए सबसे पहले जानते हैं कि फेनी क्या होती है.
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क्या है फेनी?
गोवा में फेनी का चलन करीब 500 साल पुराना है. फेनी एक तरह की पारंपरिक शराब है, जिसे काजू फल से तैयार किया जाता है. इसमें किसी भी तरह के ऑर्गेनिक या आर्टिफिशियल फ्लेवर का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. दूसरे शराब की तरह फेनी पीने से हैंगओवर नहीं होता.
संस्कृत शब्द से निकला फेनी
‘फेनी’ नाम संस्कृत शब्द फेना से लिया गया है, जिसका अर्थ ‘झाग’. ये इशारा करता है कि जब पानी में खमीर चढ़ने से हल्का नशीला अल्कहोल बनता है तो बुदबुदे उठते हैं2009 में गोवा सरकार ने फेनी को जियोग्राफिकल इंडिकेशन (GI) सर्टिफिकेट जारी किया था. 2016 में गोवा सरकार ने इसे हेरिटेज ड्रिंक (Heritage Drink) का दर्जा देने का प्रोसेस भी शुरू किया था.
कैसे तैयार होती है फेनी?
Feni तैयार करने के लिए तो सबसे पहले काजू फल के पक जाने के बाद उनको तोड़कर कुचला जाता है. इस पूरी प्रक्रिया से निकलने वाले जूस को मिट्टी या कॉपर के बर्तन में इकट्ठा किया जाता है. बाद में इसे फर्मेंट करने के लिए कुछ समय के लिए जमीन में गाड़ दिया जाता है. कुछ TIME बाद इसे निकालकर लकड़ी की आग पर डिस्टिल किया जाता है. बर्तन में पड़े JUICE को कई बार भाप (Steam) बनाकर डिस्टिल किया जाता है. इसमें फर्मेंट किया हुआ चार फीसदी जूस ही अल्कोहल बनता है.
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तीन बार किया जाता है डिस्टिलेशन
डिस्टिलेशन का काम तीन बार किया जाता है. पहले प्रोसेस से निकले हुए जूस को ऊर्रक (Urrack) कहते हैं. यह सबसे कम स्ट्रॉन्ग होता है. ऊर्रक को फिर डिस्टिल कर कैजुलो बनाया जाता है. लोकल मार्केट में कैजुलो की मांग उतनी नहीं रहती है. सबसे आखिर में वाले प्रोसेस में फेनी तैयार होती है.
दो तरह की होती है फेनी
Goa में खासकर दो तरह की फेनी सबसे ज्यादा फेमस है. एक काजू फेनी (Cashew Feni) और दूसरी नारियल फेनी (Coconut Feni). काजू फेनी की तुलना में बात करें तो नारियल फेनी का चलन ज्यादा पुराना है. गोवा में नारियल अधिक मात्रा में होते हैं, यही कारण है कि यहां पहली बार नारियल से फेनी से तैयार किया गया. हालांकि, पुर्तगाल से आने वाले लोगों ने यहां काजू से फेनी बनाने का काम शुरू किया था. तो साफ है कि नारियल से बनाई फेनी का आविष्कार पुर्तगालियों के हिंदुस्तान पहुंचने के बहुत पहले हो चुका था.
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कैसा होता हे इसका स्वाद?
इसका स्वाद अपने आप में बेहद अलग है. फेनी का फ्लेवर फल की तरह और इसका स्वाद कसैला होता है. फेनी में अल्कोहल की मात्रा 43 फीसदी से 45 फीसदी होती है. यही कारण है कि इसका स्वाद बहुत स्ट्रॉन्ग होता है. इससे गंध भी आती है. इसके गंध से ही कई लोग पता लगा लेते हैं कि इसे कैसे तैयार किया गया है.
बीमारियों में भी कारगर
फेनी का इस्तेमाल केवल शराब ही नहीं बल्कि कई तरह के काम के लिए किया जाता है. दांत की समस्या, मसूड़ों की सूजन समेत मुंह में होने वाली कई तरह की समस्या के लिए फेनी को असरदार बताया जाता है. कई लोगों का तो यह भी मानना है कि फेनी से बॉडी को गर्मी मिलती है और रेस्पिरेटरी सिस्टम भी साफ होता है.
गोवा को 30 मई 1987 में भारतीय राज्य का दर्जा मिला
गोवा 30 मई को अपनी बर्थडे सेलिब्रेट करता है, 30 मई 1987 को गोवा को एक भारतीय राज्य का दर्जा मिला था. शोर शराबे और प्रदूषण से कहीं दूर प्रकृति की गोद में बसा गोवा सैलानियों के लिए स्वर्ग है. प्राकृतिक नज़रो से घिरा समुद्र का किनारा, हाथ पारंपरिक फेनी हो और पार्टनर के साथ रोमांटिक शाम हो. ये सभी चीजें एक साथ सिर्फ गोवा में ही मिल सकती है. इसलिए गोवा बॉलीवुड सितारों, आम पर्यटकों और विदेशी पर्यटकों का सबसे पसंदीदा डेस्टीनेशन माना जाता है.
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