एशिया के सबसे बड़े गांव का गोल्ड मेडलिस्ट छाया, चंद्रयान-3 की कामयाबी में अहम किरदार बने
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एशिया के सबसे बड़े गांव का गोल्ड मेडलिस्ट छाया, चंद्रयान-3 की कामयाबी में अहम किरदार बने

Chandrayaan 3 Landing : गाजीपुर जिले के रेवतीपुर गांव के रहने वाले वैज्ञानिक कमलेश शर्मा बेंगलुरु में इसरो (ISRO) के चंद्र मिशन का हिस्‍सा हैं. कमलेश चंद्रयान 3 की लैंडिंग के लिए पूरी टीम के साथ लगे हुए हैं. चंद्रयान मिशन में कमलेश के योगदान को लेकर पूरे गांव में हर्ष का माहौल है. गांव में हवन-पूजन पाठ किए जा रहे हैं. 

Ghazipur Scientist Kamlesh Sharma

Chandrayaan 3 Landing : चंद्रयान 3 की सफल लैंडिंग को लेकर पूरे देश में प्रार्थना का दौर जारी है. इस बीच एशिया के सबसे बड़े गांव रेवतीपुर (गाजीपुर) में भी मिशन की सफलता को लेकर दुआएं मांगी जा रही हैं. इसी गांव के रहने वाले वैज्ञानिक कमलेश शर्मा चंद्रयान मिशन 3 का हिस्‍सा हैं. लॉचिंग टीम के सदस्‍य रहे कमलेश शर्मा के योगदान को लेकर स्‍थानीय लोगों में हर्ष का माहौल है. 

गांव वाले मांग रहे दुआएं 
गाजीपुर जिले के रेवतीपुर गांव के तेजमल राय पट्टी के रहने वाले वैज्ञानिक कमलेश शर्मा वर्तमान में बेंगलुरु में इसरो (ISRO) के चंद्र मिशन का हिस्‍सा हैं. कमलेश चंद्रयान 3 की लैंडिंग के लिए पूरी टीम के साथ लगे हुए हैं. मिशन की सफलता के लिए कमलेश के घर वाले और स्‍थानीय लोग दुआएं मांग रहे हैं. 

लाइव प्रसारण किया जाएगा 
साथ ही रेवतीपुर गांव स्थित नेहरू विद्यापीठ इंटर कॉलेज में चंद्रयान की लैंडिंग का लाइव प्रसारण दिखाया जाएगा. इसको लेकर छात्र- छात्राओं में काफी उत्साह है. चंद्रयान की लैंडिंग शाम को होनी है और कॉलेज के छात्र और छात्राएं चंद्रयान की सफल लैंडिंग के लिए प्रार्थना व हवन- पूजन कर रहे हैं. छात्राओं का कहना है कि हम जहां चंद्रयान की लैंडिंग को लेकर उत्साहित हैं. वहीं, अपने गांव के भाई कमलेश शर्मा के इस मिशन में शामिल होने को लेकर भी गौरवान्वित हैं. छात्राओं का कहना है कि हम भी आगे चलकर कमलेश की तरह वैज्ञानिक बनना चाहते हैं. 

कौन है कमलेश शर्मा 
कमलेश शर्मा पुत्र वेद प्रकाश शर्मा चंद्रयान 3 की टेक्निकल टीम का अहम हिस्‍सा हैं. कमलेश की शुरुआती शिक्षा गांव में ही हुई है. इसके बाद उन्‍होंने लखनऊ विश्‍वविद्यालय से ग्रेजुएशन और गणित से पोस्‍ट ग्रेजुएशन किया है. साल 2008 में लखनऊ विश्‍वविद्यालय के इतिहास में सर्वाधिक अंक प्राप्‍त करने पर उन्‍होंने रिकॉर्ड 10 गोल्‍ड मेडल हासिल किए. 

2010 में इसरो ज्‍वॉइन किया 
इसके बाद कमलेश ने नेट और गेट में भी सफलता प्राप्‍त की. साल 2010 में कमलेश का चयन इसरो में हो गया. कमलेश शर्मा ने 12 अप्रैल 2010 को इसरो ज्‍वॉइन किया था. इसरो के कई सैटेलाइट मिशन में कमलेश शर्मा ने भाग लिया है. आज कमलेश की उपलब्धि पर हर ग्रामीण गर्व कर रहा है. 

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