हेमंत दा हमेशा से ही माहौल बना देने वाले लोगों में से थे. धोती-कुर्ता उनकी पहचान बन गया था. जब भी वे लाइव कॉन्सर्ट करते थे तो धोती-कुर्ते में ही करते थे और ऑडिएंस को बांध के रखना उन्हें अच्छे से आता था. एक ऐसा ही किस्सा जो बहुत कम लोगों को पता होगा...
Trending Photos
निमिषा श्रीवास्तव/लखनऊ: हेमंत कुमार मुखोपाध्याय उर्फ हेमंत दा सुरों के वह बादशाह थे, जिनकी आवाज सुन लोगों के पांव थिरकते नहीं थकते. हेमंत दा एक गायक होने के साथ-साथ संगीतकार और फिल्म निर्माता भी थे. है अपना दिल तो आवारा, जाने वह कैसे लोग थे जिनके, न तुम हमें जानो, जैसे सैकड़ों अमर गीतों को अपनी आवाज देने वाले हेमंत कुमार की पहचान वैसे तो बंगाल से होती है, लेकिन उत्तर प्रदेश से भी उनका गहरा नाता रहा है. दरअसल, साल 1920 में आज के ही दिन हेमंत दा का जन्म वाराणसी में हुआ था. अपने ननिहाल में जन्मे हेमंत दा ने हिंदी गीतों को सिर्फ देश में ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में पहचान दिलाई. आज उनके 101वीं जयंती पर हम आपको उनसे जुड़े कुछ ऐसे किस्से बताएंगे, जो आपने शायद न ही सुने हों. इन दिलचस्प किस्सों को सामने लाने में हमारी मदद की राजीव श्रीवास्तव जी ने, जो हिंदी सिनेमा और संगीत से जुड़े इतिहासकार हैं और उस गोल्डन एरा की फिल्म इंडस्ट्री को करीब से जानते हैं...
आइए जानते हैं हेमंत कुमार से जुड़ीं कुछ रोचक बातें...
1. "भगवान भी अगर गाता तो हेमंत दा की आवाज में गाता"
कहा जाता है कि हेमंत कुमार संगीत की समझ लेकर ही पैदा हुए थे. उनकी आवाज में ऐसी खनक थी कि जो सुने दीवाना हो जाता था. ये उनकी कला का एक बड़ा उदाहरण है कि कुछ लोग मानते हैं कि बांग्ला म्यूजिक इंडस्ट्री में हेमंत दा से बड़ा कोई गायक नहीं हुआ. जबकि उस समय किशोर कुमार भी दिग्गज गायकों में से थे.
उनकी आवाज सुनकर खुद संगीतकार सलिल चौधरी ने कहा था कि अगर भगवान खुद आकर गाता तो हेमंत दा की ही आवाज में गाता. इतना ही नहीं, लता मंगेश्कर भी यही कहती थीं कि जब हेमंत कुमार गाते हैं तो लगता है मानों कोई पुजारी मंदिर में बैठकर गा रहा हो.
फांसी के तख्त पर आखिरी सांस तक बिस्मिल ने गाया था 'सरफरोशी की तमन्ना,' जानें कैसे आईं ये अमर लाइनें
2. लाइव कॉन्सर्ट में यूं समां बाधं देते थे हेमंत कुमार
हेमंत दा हमेशा से ही माहौल बना देने वाले लोगों में से थे. धोती-कुर्ता उनकी पहचान बन गया था. जब भी वे लाइव कॉन्सर्ट करते थे तो धोती-कुर्ते में ही करते थे और ऑडिएंस को बांध के रखना उन्हें अच्छे से आता था. एक ऐसा ही किस्सा जो बहुत कम लोगों को पता होगा, वह था-
एक बार हेमंत कुमार लाइव कॉन्सर्ट कर रहे थे. कुछ समय बाद, वह किसी गीत के आखिरी अंतरे पर ही थे, तभी हेमंत दा ने देखा कि ऑडिएंस से कुछ महिलाएं उठ कर जा रही हैं. उन्होंने तुरंत अपना गाना पूरा किया और बिना किसी अनाउंसमेंट के उन महिलाओं को देखते हुए दूसरा गाना शुरू कर दिया. वह गीत था- चली गोरी पी से मिलन को चली. गीत सुनते ही पब्लिक हंस पड़ी और तालियों से ऑडिटोरियम गूंजने लगा. महिलाएं भी यह देख वापस आकर बैठ गईं. कुछ ऐसे ही हंसमुख स्वभाव के थे हेमंत दा.
3. भारत सरकार ने हेमंत दा पर निकाला था डाक टिकट
दिन था 15 मई 2003. भारत सरकार कुछ नए डाक टिकट जारी कर रही थी. लेकिन इस बार इन डाक टिकटों में कुछ नया और खास था. क्योंकि इस बार के टिकट म्यूजिक इंडस्ट्री के उन 4 दिग्गज गायकों पर बने थे, जिन्होंने हिंदी गीतों को पूरी दुनिया में पहचान दिलाई थी. इनमें से ही एक थे हेमंत कुमार. हिंदी फिल्म इंडस्ट्री का नाम पूरी दुनिया में रोशन करने वाले ये चार लोग, जिनपर टिकट निकल रहे थे, वह थे सिंगर मुकेश, किशोर कुमार, मोहम्मद रफी और हेमंत कुमार. चारों टिकट एक साथ ही रिलीज किए गए. यह पल ऐतिहासिक है, ऐसा पहली बार हुआ था कि किसी भी गायक को भारत सरकार की तरफ से ऐसा सम्मान मिला हो.
मशहूर सिंगर Jubin Nautiyal से जुड़े कुछ दिलचस्प किस्से जो उनके फैंस को आएंगे बेहद पसंद
4. हेमंत दा के संगीन ने फ्लॉप मूवी को भी सुपरहिट करा दिया
1954 में रिलीज हुई नागिन फिल्म में एक गीत था- 'तन डोले मेरा मन डोले'. इस गाने ने देशभर में धूम मचा दी थी. दरअसल, नागिन फिल्म की सफलता के पीछे हेमंत कुमार का संगीत था. फिल्म के प्रोड्यूसर शशिधर मुखर्जी ने जब देखा कि इस मूवी को ज्यादा लोग पसंद नहीं कर रहे, लेकिन इसके गाने सुपरहिट हैं, तो उन्होंने इसके गानों के करीब 1000 रिकॉर्ड होटल्स और रेस्टोरेंट्स में मुफ्त बांट दिए. हर जगह बस नागिन फिल्म के गाने ही सुनाई देने लगे और लोगों के मन में उतर गए. इसके बाद यह फिल्म देखने के लिए सिनेमा हॉल में भीड़ लगने लगी.
5. हेमंत दा के गीत 'कहीं दीप जले, कहीं दिल' का रोचक इतिहास
60 के दशक में लता मंगेशकर की आवाज में कोई दिक्कत आ गई थी, जिससे वह गा नहीं पा रही थीं. उनके आध्यात्मिक गुरु जम्मू महाराज ने अपने योग, तपस्या और काफी मेहनत से लता जी की आवाज सही करने में मदद की. काफी समय बाद जब लता मंगेशकर दोबारा गाने के लिए तैयार हुईं तो उन्होंने सबसे पहला गीत हेमंत जी के लिए गाया. फिल्म थी- 20 साल बाद और गीत था- कहीं दीप जले कहीं दिल.
6. लता मंगेशकर के साथ गाने में होती थी दिक्कत
लता जी ने एक इंटर्व्यू में बताया था कि जब भी कोई गाना रिकॉर्ड होता था, तो गायक और गायिका एक साथ खड़े होते थे. लेकिन उन्हें हेमंत कुमार के साथ गाने में बहुत दिक्कत होती थी. क्योंकि हेमंत दा उनसे बहुत लंबे थे. उनके साथ गाने के लिए लता जी को स्टूल या किसी बक्से पर खड़ा होना पड़ता था.
इस हादसे की वजह से चली गई थी Disha Patani की याददाश्त, 6 महीने तक कुछ नहीं था याद
7. हेमंत कुमार की आवाज थी सबसे अलग
हेमंत दा एक ऐसे गायक थे, जो सिर्फ गायिकी के लिए नहीं, बल्कि कंपोजिंग के लिए भी फेमस थे. राजीव श्रीवास्तव ने बताया कि हेमंत कुमार की आवाज मध्य सप्तक थी. उनके कंठ से निकली वाणी का अलग ही सौंदर्य था. ऐसा लगता था कि उनकी आवाज आध्यात्मिक स्पर्श देती है. न वह खरल में जाते थे और न हाई पिच पर गाते थे. दरअसल, हेमंत दा की आवाजा गहरी थी. उनसे बात करो तो लगता था, मानों किसी मंदिर से या गहरे कुएं से आवाज आ रही हो. उनकी आवाज में अलग ही गूंज थी, उन्हें माइक से ईको की जरूरत भी नहीं पड़ती थी.
देवानंद पर फिल्माया हेमंत कुमार का गाना 'है अपना दिल तो आवारा' अमीन सयानी के बिनाका गीतमाला में टॉप गीत बना था और पूरा साल ही टॉप पर रहा. यह गीत 'सोल्हवां साल' फिल्म का था, जो साल 1958 में रिलीज हुई थी. देव साहब भी इस गाने को याद कर एनर्जी से भर जाते थे. इस गीत को याद कर वह भी कहते थे कि उस समय हर व्यक्ति के होठों पर 'है अपना दिल...' रहता ही था. ऐसे ही कई गीत, जैसे- 'गंगा आए कहां से, गंगा जाए कहां रे', 'छुपा लो यूं दिल में प्यार मेरा' ने भी ऐसी लोकप्रियता हासिल की थी, जिसका कोई जवाब नहीं.
5 ऐसी वेब सीरीज़ जो पहली फुर्सत में देखनी चाहिए, बताती हैं महिलाओं के जज्बे की कहानी
8. शंकर जयकिशन के मुरीद थे हेमंत कुमार
हेमंत दा दूसरों के संगीत की भी बहुत सराहना करते थे. अपने समय के लोकप्रिय संगीत निर्देशक शंकर जयकिशन के गीत उन्हें बेहद पसंद थे. 'बोल राधा बोल संगम होगा कि नहीं' उनके पसंदीदा गीतों में से एक था.
WATCH LIVE TV