कोरोना की थर्ड वेव से बच्चों को कैसे रखें सुरक्षित, जानें आयुष मंत्रालय की होमकेयर गाइडलाइन
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कोरोना की थर्ड वेव से बच्चों को कैसे रखें सुरक्षित, जानें आयुष मंत्रालय की होमकेयर गाइडलाइन

एक्सपर्ट्स के अनुसार तीसरी लहर बच्चों के लिए बहुत ही खतरनाक हो सकती है. टाइप-1 डायबिटीज, हृदय, फेफड़ा या रोग प्रतिरोधक तंत्र की तकलीफ से ग्रसित बच्चों को महामारी की तीसरी लहर में सबसे अधिक खतरा होगा.

 

फाइल फोटो

नई दिल्ली: कोरोना महामारी के समय में बच्चों को वायरस संक्रमण से बचाने और उनका ख्याल रखने के लिए आयुष मंत्रालय ने होमकेयर गाइडलाइन (Homecare Guideline) जारी की है. आयुष मंत्रालय की गाइडलाइंस के मुताबिक, आयुर्वेदिक और प्राकृतिक चिकित्सा के उपयोग के साथ मास्क पहनने, योग करने, बीमारी के लक्षणों की पहचान करने, डॉक्टरों के साथ मशविरा करने के साथ-साथ पेरेंट्स को वैक्सीन लेने तक की सलाह दी गई है.

  1. बच्चा थका दिख रहा है और सांस तेज ले रहा है तो अभिभावक हो जाएं सतर्क
  2. बच्चों को कोरोना से बचाव के लिए आयुष मंत्रालय ने जारी की गाइडलाइन
  3. 95 फीसदी से ऑक्सीजन का स्तर कम हो तो तुरंत डॉक्टर से मिलें

 

एक्सपर्ट्स के अनुसार तीसरी लहर बच्चों के लिए बहुत ही खतरनाक हो सकती है. टाइप-1 डायबिटीज, हृदय, फेफड़ा या रोग प्रतिरोधक तंत्र की तकलीफ से ग्रसित बच्चों को महामारी की तीसरी लहर में सबसे अधिक खतरा होगा.

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क्या है गाइडलाइन?
कोरोना से बचाव के सबसे पहले उपाय है मास्क पहनना, हाथ धोना और सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखना. इन्हें बच्चों को जरूर इस्तेमाल करना चाहिए. इसके लिए माता-पिता की जिम्मेदारी है कि बच्चों को इनके प्रति अवेयर करें. जितना हो सके बच्चों को घर पर ही रखें. ट्रेवल करने से जितना बच सकते हैं बचें. बच्चों को माता-पिता वीडियो और फोन कॉल्स के जरिए दोस्तों और रिश्तेदारों से कनेक्ट करके रखें.

पांच से 18 साल के बच्चों को मास्क पहनना जरूरी है, जबकि 2 से 5 साल तक के बच्चों के लिए मास्क उनकी इच्छा पर निर्भर है और अगर बच्चा पहन सकता है तो उसको पहनने दें. माता पिता को ज्यादा ध्यान रखने की जरुरत है. किसी बच्चे के अंदर अगर कोरोना संक्रमण के लक्षण नजर भी आते हैं तो उन्हें बुजुर्गों से दूर रखें. क्योंकि वे गंभीर बीमारियों के शिकार हो सकते हैं.

इन लक्षणों से पहचानें बच्चों में कोरोना संक्रमण
अगर बच्चे को चार-पांच दिन से ज्यादा बुखार रहे. बच्चों को खाना अच्छा न लगे और वो खाना कम कर दें. बच्चे को सांस लेने में तकलीफ महसूस हो, ऑक्सीजन लेवल 95 फीसदी से नीचे और बच्चा सुस्त लगने लगे. अगर इनमें से कोई भी लक्षण बच्चे में दिखाई दे तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें.

ऐसे करें बच्चों की देखभाल
अगर बच्चों में संक्रमण दिखता है तो उनको हल्का गुनगुना पानी पीने के लिए दें. 2 साल से अधिक के बच्चों को सुबह और रात को सोने से पहले ब्रश जरूर कराएं. तेल मसाज, नाक में तेल लगाना, प्राणायाम, मेडिटेशन और अन्य शारीरिक अभ्यास के लिए भी 5 साल से ज्यादा उम्र के बच्चों की क्षमता को देखते हुए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए. 5 साल से ज्यादा उम्र के बच्चों को तेल मालिश और गर्म पानी के साथ गरारा करना चाहिए. इसके लिए माता-पिता बच्चों को प्रोत्साहित करें. बच्चों की इम्युनिटी मजबूत करने के लिए हल्दी दूध, च्वयनप्राश और प्राकृतिक जड़ी बूटियों का काढ़ा देना चाहिए.

गाइडलाइन में कहा गया है कि बच्चों को पर्याप्त नींद लेनी चाहिए और आसानी से पचने वाले ताजा और संतुलित भोजन करना चाहिए. गाइडलाइन में बच्चों के खेलने के स्थान, चारपाई, बेड, कपड़े और खिलौनों पर प्रत्येक शाम को कीटाणु रोधक छिड़काव कराने का सुझाव दिया गया है.

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