Famous Laddu: चाहे भगवान को प्रसाद चढ़ाना हो, किसी का स्वागत-सत्कार करना हो या कोई उत्सव हो, लड्डू के बिना यह सब अधूरा रह जाता था. आज के जमाने में भी भगवान को भोग लगाने से लेकर शादी-ब्याह की हर रस्म लड्डू के बिना अधूरी है. अगर हम लड्डू की बात करें तो जुबां पर कानपुर के ठग्गू के लड्डू का नाम आता है. यहां के लड्डूओं के दीवाने अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर बॉलीवुड के शहंशाह अमिताभ बच्चन भी हैं.


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50 साल से ज्यादा पुरानी है दुकान
ये दुकान करीब 50 साल पुरानी है. यह दुकान रामऔतार पांडेय ने खोली थी. उन्होंने ही इस दुकान का नामकरण किया. इस दुकान में मिलने वाले लड्डू पूरी तरह से देशी होते हैं. इसमें देशी आयटम मिक्स रहते हैं. इसे सूजी ,खोया ,गोंद ,चीनी ,काजू ,इलायची बादाम ,पिस्ता से तैयार किया जाता है. ये दुकान इसलिए भी खास है क्योंकि यहां पर लड्डू बनाकर स्टोर नही किए जाते हैं. जितना भी लड्डू बनता है वो रोजाना बिक जाता है. लड्डू के अलावा यहां की खास बात है यहां मिलने वाली कुल्फी बदनाम है. अब कुल्फी क्यों बदनाम है ये तो आपको यहीं आकर पता चलेगा.


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बदनाम कुल्फी
इस दुकान के बाहर मिलती है बदनाम कुल्फी, इसका नाम भी अजीब है और इसकी टैगलाइन. भले ही इसका नाम बदनाम हो पर ये लोगों की जुबां पर चढ़ जाती है. टैग लाइन- मेहमान को चखाना नहीं टिक जाएगा, चखते ही जेब और जुबां की गर्मी हो जाएगी गायब. केसर पिस्ता की कुल्फी जमाई नहीं जाती है बल्कि नमक और बर्फ के बीच हैंड जर्न की जाती है जिससे इसका टेस्ट और टैक्चर फ्रोजन कुल्फी जैसा होता. ये शुद्ध दूध से बनाई जाती है.


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साल 2005 में यहां फिल्म बंटी और बबली की शूटिंग हुई
कानपुर शहर उस वक्त सबसे ज्यादा लाइमलाइट में आया, जब साल 2005 में यहां फिल्म बंटी और बबली की शूटिंग हुई थी. इस फिल्म में शहर की मशहूर मिठाई की दुकान के लड्डू को दिखाया गया था.


कैसे बना लड्डू शब्द
लड्डू शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द लत्तिका या लड्दुका शब्द से हुई जान पड़ती है, जिसका अर्थ है छोटे-छोटे गोल. माना जाता है कि बाद में इस भारतीय मिठाई को लड्डू कहा जाने लगा होगा.


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