UP Vidhansabha Chunav 2022: मथुरा की छाता सीट पर है बीजेपी का कब्जा, सपा यहां नहीं खोल सकी है खाता
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UP Vidhansabha Chunav 2022: मथुरा की छाता सीट पर है बीजेपी का कब्जा, सपा यहां नहीं खोल सकी है खाता

आज हम बताएंगे उत्तर प्रदेश चुनाव के लिहाज से छाता विधानसभा सीट पर कैसी चल रही है तैयारी और पिछले चुनावों का रिजल्ट और यहां का समीकरण....

सांकेतिक तस्वीर

मथुरा:  2022 को लेकर सभी राजनैतिक दलों ने कमर कस ली है. देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में अपनी सत्ता बनाना हर पार्टी का सपना होता है. सत्ताधारी दल बीजेपी, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस समेत सभी दलों में हलचल शुरू हो गई है.  इसी बीच मथुरा जिले की छाता (mathura chhata Vidhansabha Seat) की. इस सीट पर फिलहाल बीजेपी (BJP) के लक्ष्मी नारायण सिंह चौधरी यहां से विधायक हैं. फिलहाल वे उत्तर प्रदेश सरकार की कैबिनेट में डेयरी विकास, पशुपालन और मत्स्य पालन मंत्री भी हैं. आज हम बताएंगे उत्तर प्रदेश चुनाव के लिहाज से छाता विधानसभा सीट पर कैसी चल रही है तैयारी और पिछले चुनावों का रिजल्ट और यहां का समीकरण....

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धार्मिक पर्यटन स्थल के लिए प्रसिद्ध
मथुरा ऐतिहासिक रूप से कनिष्क वंश द्वारा स्थापित नगर है. आज ये धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में प्रसिद्ध है. मथुरा को श्री कृष्ण जन्म भूमि के नाम से भी जाना जाता है. वाल्मीकि रामायण में मथुरा को मधुपुर या मधुदानव का नगर कहा गया है.

मथुरा के चारों ओर चार शिव मंदिर हैं
पूर्व में पिपलेश्वर का, दक्षिण में रंगेश्वर का और उत्तर में गोकर्णेश्वर का और पश्चिम में भूतेश्वर महादेव का मन्दिर है. चारों दिशाओं में स्थित होने के कारण भगवान शिव को मथुरा का कोतवाल कहते हैं. मथुरा जिले के अंतर्गत पांच तहसील आती हैं. मथुरा, गोवर्धन, छाता, मांट, महावन..

जाट-ठाकुर बाहुल्य क्षेत्र है छाता
मथुरा की छाता विधानसभा सीट से हमेशा दिग्गज ही मैदान मारते रहे हैं. पूर्व में बसपा से मंत्री रहे लक्ष्मी नारायण सिंह चौधरी इस इलाके के दिग्गज नेता माने जाते हैं. वो यहां से अलग-अलग पार्टी में रहकर चार बार जीत चुके हैं. इस इलाके को जाट-ठाकुर बाहुल्य माना जाता है.

छाता इलाके के समीकरण 
यहां हमेशा से ही जाट और ठाकुरों की तूती बोलती रहती है. ब्राह्मण यहां तीसरे स्थान पर आते हैं. आंकड़ों के मुताबिक यहां साढ़े तीन लाख वोटर्स है. जिसमें 90 हज़ार वोटों के साथ ठाकुर पहले नंबर पर तो वहीं 65 हजार वोटों के साथ जाट दूसरे नंबर पर आते हैं. जबकि 45 हज़ार ब्राह्मण, 35 हजार जाटव, 30 हजार मुस्लिम, 15 हज़ार गूर्जर, 15 हजार वाल्मीकि, 15 हजार बघेल के साथ लगभग 50 हजार के ऊपर अन्य कई जातियां भी शामिल हैं.

क्या रहा छाता विधानसभा सीट का राजनीतिक इतिहास
1980 के बाद के चुनाव की बात करें तो तब जनता पार्टी सेक्युलर चंदन सिंह जीते थे. 1985 में लोकदल प्रत्याशी के रूप में चौधरी लक्ष्मी नारायण पहली बार जीते. 1989 में बीजेपी से किशोरी श्याम जीते. 1993 और 1995 में तेजपाल सिंह (जनता दल) जीते. फिर 1996 में चौधरी लक्ष्मी नारायण ने कांग्रेस के टिकट पर एंट्री ली. फि 2002 में ठाकुर तेजपाल सिंह लोकदल से चुनकर आते है. लेकिन चौधरी लक्ष्मी नारायण इस बार बीएसपी के टिकट पर 2007 में जीत जाते है. हालांकि तेजपाल सिंह की वापसी 2012 में फिर होती है. लेकिन 2017 के चुनाव में बीजेपी के टिकट पर चौधरी लक्ष्मी नारायण जीतते है. हालांकि सपा यहां से कभी चुनाव नहीं जीत पाई है.

कौन है मौजूदा विधायक लक्ष्मी नारायण सिंह चौधरी?
जानकारी के लिए बता दें कि छाता विधानसभा सीट से बीजेपी के चौधरी लक्ष्मी नारायण सिंह विधायक हैं. चौधरी लक्ष्मी नारायण सिंह उत्तर प्रदेश की 9वीं , 13वीं, 15वीं और 17वीं विधानसभा के सदस्य हैं, वर्तमान में योगी आदित्यनाथ मंत्रालय में डेयरी विकास, पशुपालन, मत्स्य पालन मंत्री भी हैं.  वह पहले बहुजन समाज पार्टी के सदस्य थे और मुख्यमंत्री मायावती के नेतृत्व वाली सरकार में कैबिनेट मंत्री भी थे. और मीडिया द्वारा उन्हें पार्टी के " जाट चेहरे" के रूप में पहचान मिली थी. इस सीट पर बाहरी व्यक्ति का कोई प्रभाव यहां नहीं चलता, जहां जाट-ठाकुरों का वोट पड़ता है. वहीं ब्राह्मण समाज भी अपना मत दे देता है, उसी प्रत्याशी की जीत होती है. 

हनुमान जी को बता दिया था जाट
2017 विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान हनुमान जी की जाति को लेकर बयानबाजी हो रही थी. उस समय योगी सरकार के मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण का मानना था कि हनुमान जी जाट थे. चौधरी का तर्क है कि हनुमान जी जाट थे, क्योंकि किसी को भी परेशानी या फिर मुश्किल में देखकर जाट जाने-पहचाने बिना भी उसे बचाने के लिए कूद पड़ता है.

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बंद पड़ी चीनी मिल यहां का बड़ा मुद्दा
इस विधानसभा में चीनी मिल हैं, जो वर्षों से बंद पड़ी हुई हैं. बसपा सरकार में कृषि मंत्री रहने के बाद भी लक्ष्मी नारायण चौधरी भी गन्ना किसानों के हित में कदम नहीं उठा पाए थे. लेकिन बीजेपी में आने के बाद अब किसानों की उम्मीद भी जागी हैं.मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तीन साल बाद फिर आगरा मंडल की एकमात्र छाता शुगर मिल को चालू किए जाने के संकेत दिए थे. मिल को चालू करने के लिए अक्टूबर 2017 में 350 करोड़ रुपये देने की घोषणा भी मुख्यमंत्री ने की थी. छाता शुगर मिल को चालू कराने की मांग किसान पिछले करीब पांच साल से उठा रहे हैं. चीनी मिल ने होने से यहां हजारों लोग बेरोजगार हो गए, इसलिए जनता में चौधरी लक्ष्मी नारायण के प्रति नाराजगी भी देखने मिल सकती है.

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