UP Vidhansabha Chunav 2022: जानें सहारनपुर की बेहट सीट का इतिहास, अभी है कांग्रेस के पास, क्या आगे भी बना रहेगा साथ?
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UP Vidhansabha Chunav 2022: जानें सहारनपुर की बेहट सीट का इतिहास, अभी है कांग्रेस के पास, क्या आगे भी बना रहेगा साथ?

साल 2012 में कांग्रेस से जुड़ने के बाद नरेश सौनी को विधायिकी का टिकट भी मिला था, लेकिन उस दौरान वह बीएसपी के महावीर राणा से हार गए थे. लेकिन अगले ही विधानसभा चुनाव में उन्होंने महावीर राणा को हराया और विधायक बने...

UP Vidhansabha Chunav 2022: जानें सहारनपुर की बेहट सीट का इतिहास, अभी है कांग्रेस के पास, क्या आगे भी बना रहेगा साथ?

सहारनपुर: उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा (UP Assembly Elections 2022) चुनाव होने वाले हैं. ऐसे में सभी विधायक और संभावित प्रत्याशियों के साथ-साथ पार्टी के बड़े नेता अपनी किस्मत आजमाने में लग गए हैं. इसी बीच बात करते हैं सहारनपुर जिले की बेहट सीट (Saharanpur Behat Vidhansabha Seat) की. इस सीट पर फिलहाल कांग्रेस (Congress) पावर में है और नरेश सैनी (MLA Naresh Saini) यहां से विधायक हैं. जानते हैं बेहट सीट का राजनीतिक इतिहास और पिछले चुनावों का रिजल्ट और भी बहुत जानकारी...

बेहट विधानसभा क्षेत्र में हैं ये संस्थान
जानकारी के लिए बता दें कि सहारनपुर जिले में विधानसभा की सात सीटे हैं. इनमें से एक बेहट सीट साल 2012 में परिसीमन के बाद बनी थी. ऐसे में 2012 में ही यहां पहली बार विधानसभा चुनाव हुए थे. बता दें, इससे पहले यह एरिया सरसावा विधानसभा क्षेत्र का अंतर्गत आता था. इस क्षेत्र में एक प्राइवेट मेडिकल कॉलेज और इंजीनियरिंग कॉलेज है. वहीं, यूपी सरकार ने इस इलाके में एक नया स्पोर्ट्स कॉलेज भी बनवाया है. इसके अलावा, बेहट विधानसभा इलाके में खनन और स्टोन क्रेशर का काम ज्यादा होता है, क्योंकि इस क्षेत्र में बरसाती नदियों की संख्या अच्छी है.

क्या रहा बेहट विधानसभा सीट का राजनीतिक इतिहास
गौरतलब है कि बेहट विधानसभा सीट बनने के बाद से यहां साल 2012 में पहली बार विधानसभा चुनाव हुए. सबसे पहले बहुजन समाजवादी पार्टी (BSP) के प्रत्याशी महावीर सिंह राणा यहां से जीत हासिल कर विधायक बने. उन्होंने कांग्रेस के नरेश सैनी को 514 वोट से हराया था. लेकिन, साल 2017 में महावीर राणा बसपा छोड़ कर भारतीय जनता पार्टी (BJP) में आ गए थे. 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के नरेश सैनी ने 23551 वोटों के अंतर से जीत हासिल कर महावीर को हराया और मौजूदा समय में वह विधायक हैं. वहीं, बीएसपी टिकट पर चुनाव लड़ने वाले हाजी मोहम्मद इकबाल तीसरे नंबर पर रहे.

सामाजिक तौर पर क्या है बेहट की रिपोर्ट
आंकड़ों के मुताबिक, बेहट विधानसभा सीट में मुस्लिम वोटर्स की संख्या ज्यादा है. लेकिन यह इलाका आर्थिक रूप से कमजोर है. कई एरिया तो ऐसे भी हैं, जहां सिर्फ कच्चे मकान बने हैं. बताया जाता है कि विधानसभा सीट के घाड क्षेत्र में जब भीषण गर्मी होती है, तो पीने के पानी की भी दिक्कत बनी रहती है. वहीं, बेहट विधानसभा क्षेत्र में उद्योंगों की भी भारी कमी है. यहां का प्रमुख घंटी उद्योग भी बंद ही हो रहा है.

कई बार गांवों से नहीं हो पाता संपर्क
बताया जाता है कि भारी बारिश के दिनों में नदियां बाढ़ की कगार पर आ जाती हैं, जिससे बेहट विधानसभा क्षेत्र के कई गांव से संपर्क करना मुश्किल हो जाता है. यहां के मेन मार्ग गांव तक नहीं पहुंच पाते. वहीं, पानी के तेज बहाव की वजह से कई इलाकों में कटान की भी दिक्कत देखने को मिलती है. ऐसे में सबसे ज्यादा नुकसान होता है किसान को, जिसकी कई बीघा जमीन और फसलें नदियों में बह जाती हैं. 

कौन हैं बेहट सीट के मौजूदा विधायक नरेश सैनी?
जानकारी के लिए बता दें कि बेहट विधानसभा सीट से कांग्रेस के नरेश सैनी विधायक हैं. 1964 में जन्मे सौनी सहारनपुर के गंगोह के रहने वाले हैं. उनकी दो बेटियां और एक बेटा है. नरेश अपनी पत्नी और बच्चों समेत गंगोह में ही रहते हैं. उन्होंने अपनी पढ़ाई मेरठ यूनिवर्सिटी से की है. नरेश के पास एमए इन पॉलिटिकल साइंस की डिग्री है. वहीं सैनी परिवार का मुख्य पेशा खेती रहा है. 

साल 2012 में कांग्रेस से जुड़ने के बाद नरेश सौनी को विधायिकी का टिकट भी मिला था, लेकिन उस दौरान वह बीएसपी के महावीर राणा से हार गए थे. लेकिन अगले ही विधानसभा चुनाव में उन्होंने महावीर राणा को हराया और विधायक बने.

विधायक नरेश सैनी के काम
बता दें, नरेश सैनी ने बेहट विधानसभा क्षेत्र में बाढ़ से बचाव के लिए काम किया है. उन्होंने यहां नदियों के किनारे तटबंध बनवाए हैं. वहीं, इस इलाके में कई विकास कार्य जो कोरोना वायरस महामारी की वजह से बंद करने पड़े. वहीं, मुसीबत के समय में नरेश सैनी ने अपनी निझि से ऑक्सीजन प्लांट्स की व्यवस्था की थी. इसी के साथ, कई नदियों पर पुल भी सैनी कार्यकाल में बने.

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