UP By Election : उत्तर प्रदेश में रामपुर की स्वार और मिर्जापुर की छानबे सीट पर विधानसभा उपचुनाव होने हैं. इस बीच खबर है कि इन दोनों में से एक-एक सीट पर भाजपा और अपना दल (S) अपने-अपने प्रत्याशी उतारेंगी. आइए जानते हैं इन सीटों पर बीजेपी का क्या सियासी गणित है.
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Swar Vidhansabha Upchunav 2023: उत्तर प्रदेश में रिक्त दो विधानसभा सीटों पर उपचुनाव को लेकर सियासी दल तैयारियां कर रही हैं. इसी बीच खबर है कि बीजेपी एक सीट पर अपना प्रत्याशी उतारने की तैयारी में है. वहीं दूसरी सीट पर सहयोगी अपना दल (Apna Dal) के प्रत्याशी चुनाव लड़ाने की तैयारी है. जानकारी के मुताबिक, स्वार (Swar) में भाजपा और छानबे (Chhanbey) में अपना दल उप चुनाव लड़ सकती है. हालांकि विधानसभा चुनाव में स्वार और छानबे दोनों सीटें गठबंधन में अपना दल को मिली थी, लेकिन स्वार सीट पर उपचुनाव में परचम फहराकर भाजपा सपा नेता आजम खान के रामपुर गढ़ को ध्वस्त करना चाहती है.
छानबे सीट पर उपचुनाव की कमान संभालेंगे आशीष पटेल
सूत्रों के मुताबिक, तय हुआ है कि अपना दल से योगी सरकार में मंत्री आशीष पटेल छानबे सीट पर उपचुनाव की कमान संभालेंगे. वहीं, रामपुर सीट पर उपचुनाव की कमान वित्त मंत्री सुरेश खन्ना के पास रहेगी. निकाय चुनाव में आशीष पटेल को लखीमपुर खीरी और उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक को सुल्तानपुर जिले की जिम्मेदारी दी गई है. गौरतलब है कि पिछले विधानसभा चुनाव में इन दोनों सीटों पर अपना दल ने चुनाव लड़ा था. छानबे सीट (Chhanbey seat) पर राहुल कोल ने जीत का परचम लहराया था. हालांकि स्वार से अपना दल प्रत्याशी हमजा को शिकस्त का सामना करना पड़ा था.
राहुल कोल के निधन के बाद से खाली है छानबे सीट
गौरतलब है कि मिर्जापुर में छानबे सीट विधायक राहुल कोल के निधन के बाद खाली है. राहुल प्रकाश कोल काफी समय से कैंसर से जंग लड़ रहे थे. 2 फरवरी को उनका मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया था. कोल बीजेपी गठबंधन के अपना दल (S) से विधायक थे. 2017 से उनका इस सीट पर कब्जा था.
अब्दुल्ला आजम को सजा के बाद स्वार सीट खाली
वहीं, सपा के कद्दावर नेता और पूर्व मंत्री आजम खान के बेटे और सपा विधायक अब्दुल्ला आजम को दो साल की सजा सुनाए जाने के बाद रामपुर की स्वार सीट खाली हुई है. 2022 विधानसभा चुनाव के दौरान स्वार पर भाजपा गठबंधन अपना दल (एस) ने उम्मीदवार उतारा था. इस चुनाव में सपा की ओर से अब्दुल्ला आजम ने लगभग 61 हजार वोट के अंतर से जीत हासिल की थी. सजा होने के बाद उनकी विधायकी चली गई.
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