UP के इन 31 शहरों में इस नए और आधुनिक तरीके से रोका जाएगा Water Pollution
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UP के इन 31 शहरों में इस नए और आधुनिक तरीके से रोका जाएगा Water Pollution

राजधानी और कानपुर समेत इन 31 शहरों में इस नई योजना की शुरुआत होने वाली है- अयोध्या, गोंडा, अकबरपुर, बहराइच, सीतापुर, बस्ती, हरदोई, फर्रूखाबाद, अलीगढ़, हाथरस, शिकोहाबाद, फतेहपुर, बड़ौत, हापुड़...

UP के इन 31 शहरों में इस नए और आधुनिक तरीके से रोका जाएगा Water Pollution

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में जल प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है. ऐसे में इसे कंट्रोल करने के लिए राज्य स्तर पर कोशिशें शुरू कर दी गई हैं. इसके लिए एक ‘सेप्टेज मैनेजमेंट योजना’ तौयार की गई है, जिसके तहत घरों के शौचालयों के सेप्टिक टैंक से निकलने वाले मल को ट्रीट किया जाएगा. शहरों के इन इलाकों में फीकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट लगाए जाने वाले हैं. पहले फेज में राज्य के 33 शहरों को इसके लिए चुना गया है. इनमें राजधानी के साथ कानपुर, मऊ और भी कई जिले हैं.

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40 प्रतिशत घर सीवेज सिस्टम से नहीं जुड़े हैं
Regional Centre for Urban and Environmental Studies (RCUES) ने एक स्टडी में पाया था कि अमृत योजना में शामिल बहुत से ऐसे शहर हैं जहां 25 से 40 प्रतिशत घर सीवेज सिस्टम से जुड़ नहीं पाए हैं. ऐसे में इन घरों से निकलने वाले मल को साइंटिफिक तरीके से ट्रीट नहीं किया जा पा रहा है. इसलिए सेप्टिक टैंकों से सीवेज निकाला जाता है और उसे जमीन पर फेंक दिया जाता है या फिर खुले नालों में डाल दिया जाता है. अब यही मल बहकर गंगा या बाकी नदियों में जाता है. ऐसे में इस समस्या से निजात पाने के लिए ही RCUES 31 शहरों के लिए ‘सेप्टेज मैनेजमेंट योजना’ की शुरुआत कर रहा है.

ये हैं वह 31 शहर
बता दें, राजधानी और कानपुर समेत इन 31 शहरों में इस नई योजना की शुरुआत होने वाली है- अयोध्या, गोंडा, अकबरपुर, बहराइच, सीतापुर, बस्ती, हरदोई, फर्रूखाबाद, अलीगढ़, हाथरस, शिकोहाबाद, फतेहपुर, बड़ौत, हापुड़, खुर्जा, शामली, देवरिया, बांदा, झांसी, ललितपुर, उरई, अमरोहा, बदायूं, चंदौसी, मुरादाबाद, पीलीभीत, शाहजहांपुर आजमगढ़, जौनपुर, मऊ और मुगलसराय.

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उन्नाव और झांसी में पायलट प्रोजेक्ट
बता दें, उत्तर प्रदेश में पायलट प्रोजेक्ट के तौर उन्नाव और झांसी में प्लांट लगाने की शुरुआत की गई है. वहीं, देश के कई राज्यों जैसे कनार्टक, उड़ीसा और महाराष्ट्र में यह योजना लागू की गई है और इसके अच्छे रिजल्ट भी देखने को मिले हैं. अब इसी क्रम में उत्तर प्रदेश में भी इसकी शुरुआत हो रही है. 

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